चंडीगढ़: कोरोना उन मरीजों के लिए ज्यादा घातक साबित होता है. जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है और जिन लोगों को डायबिटीज जैसी बीमारी है. आखिर ऐसा क्यों होता है और डायबिटीज के मरीज किस तरह से अपना बचाव कर सकते हैं. इस बारे में चंडीगढ़ पीजीआई के एंडॉक्रिनलॉजी विभाग के एचओडी प्रोफेसर अनिल भंसाली से ईटीवी भारत हरियाणा ने खास बातचीत की.
ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉक्टर अनिल भंसाली ने कहा कि हमारी इम्यूनिटी के लिए शरीर में टी सेल और बी सेल जिम्मेदार होते हैं. जब हमारे शरीर में शुगर का स्तर अनियंत्रित होता है, इससे टी सेल और बी सेल की कार्य प्रणाली बिगड़ जाती है. जिस वजह से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है.
ऐसे में सिर्फ कोरोना ही नहीं बल्कि अन्य वायरस भी हमारे शरीर को आसानी से अपना शिकार बना सकते हैं. ऐसा देखा गया है कि कोरोना होने के बाद मरीजों का शुगर का स्तर बढ़ जाता है. ये स्तर बढ़कर 400 से 500 तक पहुंच जाता है. इसके अलावा मरीजों को इलाज में स्टेरॉइड्स दिए जाते हैं. जिसे डायबिटीज और ज्यादा बिगड़ जाता है.
डॉक्टर ने बताया कि लोगों को शुगर के सही स्तर के बारे में भी पूरी जानकारी नहीं है. लोग अलग-अलग स्तर को सही मानते हैं, लेकिन अगर खाली पेट शुगर का स्तर चेक किया जाए तो वो 100 होना चाहिए और पूरे दिन में शुगर का स्तर 140 से कम होना चाहिए. अगर खाना खाने के बाद स्तर 140 से ज्यादा है या खाली पेट रहने पर 100 से ज्यादा है तो वो मरीज डायबिटीज का शिकार हो सकता है.
डॉक्टर अनिल भंसाली ने कहा कि लोगों को विटामिंस के बारे में पूरी जानकारी नहीं है कि कौन से विटामिन इम्यूनिटी बढ़ाने में ज्यादा सहायक होते हैं. इसके लिए लोगों को विटामिन सी, विटामिन बी कंपलेक्स और जिंक का सेवन करना चाहिए, ये तीनों विटामिन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं. इसके अलावा ये भी देखा गया है कि जो लोग कसरत और योगा करते हैं उन लोगों को भी कोरोना का खतरा कम है. इसलिए पोस्टिक भोजन के साथ-साथ कसरत और योगा करना भी जरूरी है.
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इसके अलावा डायबिटीज के इलाज को लेकर कई तरह की रिसर्च जारी है. डायबिटीज के परमानेंट इलाज को लेकर कई तकनीकों पर काम किया जा रहा है. खास तौर पर स्टेम सेल थेरेपी पर भी काफी काम हो रहा है और उम्मीद है कि भविष्य में स्टेम सेल थेरेपी और अन्य दवाओं के सहारे डायबिटीज का इलाज हो सकेगा. इसके अलावा उन दवाओं पर भी काम किया जा रहा है जिससे मरीजों को डायबिटीज होने से ही बचाया जा सके, ताकि कोई मरीज डायबिटीज से पीड़ित ही ना हो.