चंडीगढ़: हरियाणा में कांग्रेस पार्टी करीब 9 साल से सत्ता से बात चल रही है. पार्टी उम्मीद कर रही है कि 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में वह सत्ता में फिर से वापस लौटेगी. इसके लिए पार्टी के तमाम नेता लगातार जनता के दरबार में हाजिरी लगाकर सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करने में जुटे हुए हैं. इस बात को भी सभी जानते हैं कि हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा सूबे में कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़ा चेहरा हैं. लेकिन, 2014 और 2019 के चुनाव में उनकी मौजूदगी के बावजूद पार्टी चुनाव नहीं जीत पाई. हालांकि 2014 के मुकाबले पार्टी का प्रदर्शन 2019 में बेहतर रहा, लेकिन सत्ता से पार्टी दूर रही. इस सब के बीच कर्नाटक चुनाव में प्रभारी के तौर पर अपनी रणनीति का लोहा मनवा चुके रणदीप सुरजेवाला भी आप आने वाले चुनाव में कांग्रेस पार्टी के एक बड़े चेहरे के तौर पर देखे जाने लगे हैं.
10 साल से संगठन नहीं बना पाई कांग्रेस: हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी परेशानी करीब 10 साल से संगठन ना बन पाना बनी हुई है. जिसकी घोषणा पार्टी अभी तक नहीं कर पाई है. जबकि विधानसभा चुनाव के लिए डेढ़ साल से कम का वक्त रह गया है. इस कमजोरी की वजह से पार्टी उस तरीके से विरोधी दलों को चुनौती नहीं दे पा रही है. जैसे कि कांग्रेस पार्टी 2014 से पहले की स्थिति में थी. पार्टी के तमाम बड़े नेता जल्द संगठन की घोषणा की बात तो करते हैं, लेकिन यह घोषणा कब होगी इसका कोई भी समय नहीं बता पाता है. इस सबके बीच पार्टी के नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला भी अब हरियाणा की सियासत में सक्रिय हो गए हैं. अब संगठन की चर्चा से ज्यादा चर्चा इस बात की है कि क्या आने वाले दिनों में रणदीप सुरजेवाला हरियाणा में पार्टी का बड़ा चेहरा बनेंगे?
कर्नाटक चुनाव में जीत के बाद बढ़ा रणदीप सुरजेवाला का कद: इस सबके बीच अब कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिली जीत के बाद हरियाणा में पार्टी के एक और नेता बड़े चेहरे के तौर पर उभर रहे हैं. वह हैं, कांग्रेस पार्टी के वर्तमान में राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री रहे रणदीप सुरजेवाला. रणदीप सुरजेवाला ने पार्टी को प्रभारी रहते हुए कर्नाटक में शानदार जीत दिलाई, जिसके बाद हरियाणा में उनके समर्थक उन्हें प्रदेश के भावी सीएम का चेहरा देख रहे हैं. इसी वजह से जब भी पहली बार कर्नाटक चुनाव जीतने के बाद कैथल पहुंचे तो उनके समर्थकों ने उनके पक्ष में जमकर नारेबाजी की.
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फिर से हरियाणा की सियासत में सक्रिय होंगे सुरजेवाला?: कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता रणदीप सुरजेवाला जैसे ही कैथल में प्रवेश किया, तो सवाल फिर से उठने लगा कि क्या अब वह हरियाणा की सियासत वे फिर से सक्रिय होंगे? क्योंकि बीते काफी लंबे समय से वह कर्नाटक के प्रभारी रहते हुए हरियाणा की राजनीति से दूर थे. अब हरियाणा में भी चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, ऐसे में उनकी एंट्री होना इस बात का संकेत है कि अब हरियाणा की राजनीति में अपनी सक्रियता को और तेज होगी. हालांकि हरियाणा की राजनीति से जुड़े मुद्दों पर वे पहले भी सक्रिय थे और कर्नाटक के प्रभारी बनने के बाद ही अपनी सक्रियता बनाए रखे हुए थे.
क्या हुड्डा खेमे को टक्कर देने के लिए एक साथ खड़ा होगा विरोधी धड़ा?: हरियाणा में कांग्रेस पार्टी लंबे वक्त अपना संगठन ही नहीं बना पाई है. इसकी सबसे बड़ी वजह प्रदेश में पार्टी का गुटों में बांटा होना भी माना जाता है. दरअसल प्रदेश कांग्रेस में सबसे बड़ा गुट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है. यही गुट हरियाणा कांग्रेस पर अपना आधिपत्य भी बनाए हुए हैं. जबकि विरोधी धड़े में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा, पार्टी की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी, पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव और रणदीप सुरजेवाला को माना जाता है. ऐसे में जब रणदीप सुरजेवाला ने अपनी चुनावी रणनीति के तहत कर्नाटक में पार्टी को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का मौका दिया, तो सियासी गलियारों में यह भी चर्चा हो चली है कि हो सकता है कि हुड्डा विरोधी खेमा आने वाले दिनों में एक मंच पर खड़ा होकर उनको चुनौती भी दे. हालांकि इसके लिए अभी कुछ दिनों का इंतजार करना पड़ सकता है. लेकिन, इसकी संभावनाएं सियासी गलियारों में काफी ज्यादा है.
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क्या हैं सुरजेवाला के शक्ति प्रदर्शन के मायने?: इस सबके बीच जिस तरह रणदीप सुरजेवाला ने कर्नाटक चुनाव में अपनी रणनीति का लोहा मनवाया है और कैथल में उन्होंने अपना शक्ति प्रदर्शन किया है. यह तो साफ है कि आने वाले दिनों में वे हरियाणा की राजनीति में अपनी सक्रियता को बढ़ाएंगे. इसके साथ ही कैथल में उनकी रैली में उनको भविष्य का सीएम बनाने की मांग भी उनके समर्थकों ने कर डाली. यानी आने वाले दिनों में रणदीप सुरजेवाला कांग्रेस पार्टी के एक बड़े चेहरे के तौर पर हरियाणा में हो सकते हैं. क्योंकि वे हाईकमान के भी करीबी हैं साथ ही कर्नाटक चुनाव में वे अपनी रणनीति का लोहा भी मनवा चुके हैं. ऐसे उनका सियासी कद और बढ़ गया है. ऐसे में वे पार्टी के अन्य बड़े चेहरों के सामने चुनौती तो जरूर खड़ा कर सकते हैं. इसके अलावा अपनी उपस्थिति दर्ज करान के लिए रणदीप सुरजेवाला केंद्र और प्रदेश सरकार पर भी लगातार हमला बोल रहे हैं.
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The Real Slogan is👇
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) June 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
“ बेटी डराओ, बृजभूषण बचाओ”
Today is a “black day” for Indian Sports!
Today, Law of the land has crumbled & been crushed under the bulldozer of BJP’s politics.
Today, “cry for justice” of India’s daughters has been consigned to dustbin & buried by Modi… pic.twitter.com/QliPj8IjsW
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कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी सभी गुटों को एक साथ लाना: हरियाणा में कांग्रेस विपक्ष से ज्यादा खुद से लड़ रही है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरा हैं, लेकिन पूर्व पार्टी अध्यक्ष रही कुमारी सैलजा हों या फिर पार्टी के वरिष्ठ नेता किरण चौधरी, वे लगातार भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कार्यशैली पर सवाल उठाती रही हैं. इस सबके बीच रणदीप सुरजेवाला भी हुड्डा गुट से अपने को अलग खड़ा करते हैं. यानी 2024 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद की पार्टी के नेताओं को एक मंच पर लाने की होगी. हालांकि अब कांग्रेस ने प्रदेश को नया प्रभारी भी दे दिया है, लेकिन क्या वह इन सब नेताओं को एक मंच पर ला पाएंगे या फिर पूर्व के प्रभारियों की तरह ही उसी ढर्रे पर काम करेंगे. यह देखना भी दिलचस्प होगा.
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मेरे प्यारे कांग्रेस के साथीयो, किसान-मज़दूर भाईयो,
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) June 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
चिलचिलाती धूप, धूल के अंधड़ व जुल्मी भाजपा-जजपा सरकार की लाठियों व संगीनों के साये में पीपली, कुरुक्षेत्र व पूरे हरियाणा में हमारे अन्नदाता संघर्ष कर रहे हैं।
खट्टर-दुष्यंत सरकार किसान-मज़दूर की पीठ पर लाठियाँ व पेट पर लात मार… pic.twitter.com/TYI8dhC8Cq
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चिलचिलाती धूप, धूल के अंधड़ व जुल्मी भाजपा-जजपा सरकार की लाठियों व संगीनों के साये में पीपली, कुरुक्षेत्र व पूरे हरियाणा में हमारे अन्नदाता संघर्ष कर रहे हैं।
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क्या रही पिछले दो विधानसभा चुनावों में पार्टी की स्थिति?: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा 2004 से 2014 तक प्रदेश के 2 बार लगातार मुख्यमंत्री रहे. 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी. उसका असर हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला. बीजेपी ने इस चुनाव में 47 सीटों पर जीत दर्ज कर प्रदेश में पहली बार सरकार बनाई. जबकि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी तीसरे नंबर पर रही और उसे मात्र 15 सीटें मिली, जबकि इंडियन नेशनल लोकदल ने 19 सीटें जीती थी.
2019 में गुटबाजी की वजह से सत्ता से दूर रही कांग्रेस!: वहीं, 2019 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही थी, लेकिन वही पार्टी का संगठन न बन पाना और नेताओं की आपसी गुटबाजी की वजह से इस चुनाव में भी कांग्रेस सत्ता से दूर रही. हालांकि 2014 के मुकाबले पार्टी का प्रदर्शन 2019 में बेहतर रहा. इस चुनाव में बीजेपी 40 सीट जीतने में कामयाब हुई. हालांकि वर्तमान में बीजेपी के पास 41 सीटें हैं. वहीं, जननायक जनता पार्टी ने इस चुनाव में 10 सीटें जीती जो कि आज बीजेपी की सत्ता में सहयोगी है. इन सबके बीच कांग्रेस पार्टी 31 सीटें जीतने में इस चुनाव में कामयाब हुई थी. लेकिन, कुलदीप बिश्नोई के पार्टी छोड़ने के बाद आदमपुर में हुए उपचुनाव में बीजेपी जीतने में कामयाब हुई और इसके बाद कांग्रेस के पास वर्तमान में 30 विधायक हैं. वहीं, हरियाणा में एक विधायक इंडियन नेशनल लोकदल, एक विधायक हरियाणा लोकहित पार्टी और 7 निर्दलीय विधायक हैं.