चंडीगढ़: कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने राज्य में निजी सेक्टर में नौकरियों में जिलावार 10 फीसद आरक्षण के विरोध में राज्यपाल को ज्ञापन भेजा है. नीरज शर्मा का कहना है कि इस विधेयक के कानून के रूप में लागू होने के बाद प्रदेश में नया उद्योग नहीं आएगा. प्रदेश में बना बेहतर औद्योगिक माहौल प्रभावित होगा. उन्होंने जिलावार 10 फीसदी आरक्षण को अनुचित बताया.
नीरज शर्मा का कहना है कि इस प्रावधान को करते हुए सरकार ने फरीदाबाद, गुरुग्राम जैसे बड़े और चरखी दादरी जैसे छोटे जिले का अंतर भी नहीं सोचा. इसके अलावा जिस जिले में कंपनी या संस्थान है उस जिले को भी इस आरक्षण में वरीयता नहीं दी गई है. शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार अभी तक फरीदाबाद और गुरुग्राम से एकत्र राजस्व ही प्रदेश के दूसरे हिस्सों में बांटती थी. अब सरकार ने इस क्षेत्र की नौकरियां भी छीन ली है.
शर्मा को स्थानीय उम्मीदवार नियोजन विधेयक-2020 में प्रवासी मजदूरों के खिलाफ की गई टिप्पणी पर भी घोर आपत्ति है, इसमें लिखा गया है कि यह विधेयक इसलिए बनाया जा रहा है कि प्रवासी श्रमिकों की एक बड़ी संख्या विशेषत कम वेतन पर कार्यरत रोजगारों के लिए प्रतिस्पर्धा के चलते स्थानीय आधारभूत संरचना, मूलभूत ढांचे व आवास संबंधी सुविधाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है.
ये भी पढ़ें- हरियाणा पंचायती राज में 'ऑड-ईवन' और लॉटरी सिस्टम के जरिए होगी महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी
इसके अलावा प्रवासी मजदूर मलिन बस्तियों का प्रसार करते हैं. नीरज शर्मा के अनुसार प्रवासी मजदूरों जिन्होंने हरियाणा में उद्योग, कारखाने, छोटी वर्कशाप दुकान से लेकर अब खेत-खलियान तक अपना खून-पसीना बहाकर पारिश्रमिक अर्जित किया है, के बारे में इस विधेयक के प्रारूप में और ऐसी ही आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं. नीरज ने इसके खिलाफ राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को भी पत्र लिखकर मांग की है कि वे इस कानून को सरकार को पुनर्विचार के लिए लौटा दें.