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मर्जी के खिलाफ फोन रिकॉर्डिंग करना निजता का उल्लंघन- हाई कोर्ट

बच्ची की कस्टडी मामले में सुवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा है कि पति या पत्नी कोई भी हो. अगर वो एक दूसरे को बिना बताए फोन रिकॉर्डिंग कर रहा है तो वो प्राइवेसी की उल्लंघना है.

punjab haryana high court
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Published : Jun 4, 2020, 8:24 AM IST

Updated : Jun 4, 2020, 9:43 AM IST

चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने बच्ची की कस्टडी को लेकर मामले की सुनवाई की. हाई कोर्ट ने कहा कि चाहे पति हो या पत्नी, किसी भी तरह की फोन रिकॉर्डिंग यदि छुपाकर की जाए तो वो उसकी प्राइवेसी की उल्लंघना करना है.

इसके अलावा हाई कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी मां को दी. कोर्ट ने पिता को ये भी कहा कि बच्ची 5 साल की नहीं हुई है. कानून के अनुसार बच्ची को मां के पास रहने देना होगा. ऐसे में पिता अलग से बच्चे की कस्टडी के लिए याचिका बाद में दाखिल कर सकता है.

क्लिक कर देखें वीडियो

इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील दि्वजोत संधू ने बताया कि दरअसल बच्ची की कस्टडी को लेकर मां ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ता का विवाह साल 2012 में हुआ था और साल 2019 में दोनों पति पत्नी अलग रहने लग गए. उनकी बच्ची का इलाज दिल्ली एम्स से चल रहा था और पिता उसका इलाज करा रहे थे.

यही कहकर पिता ने बच्ची को कई महीनों तक अपने पास रखा और कस्टडी के लिए सिविल कोर्ट में याचिका भी दाखिल की जो कि विचाराधीन है. वहीं पत्नी ने पति पर बिना बताए फोन रिकॉर्डिंग का आरोप लगाया.

ये भी पढ़ें- युवराज सिंह के खिलाफ हिसार में दी गई शिकायत, दलित भावनाओं को आहत करने का आरोप

याचिकाकर्ता पत्नी ने कहा कि बिना जानकारी के धोखे से उसके पति ने बच्ची को अपने पास रखा और कोर्ट को ये दिखाने के लिए कि बच्ची के प्रति मां का क्या व्यवहार है फोन की रिकॉर्डिंग की. जिसकी उसे जानकारी नहीं थी. मामले का निपटारा करते हुए हाई कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी मां को दी. साथ ही कहा कि मेडिकल ट्रीटमेंट पिता करवाते रहेंगे और वो हफ्ते में 2 दिन 2 घंटे के लिए बच्ची से मिल सकते हैं.

चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने बच्ची की कस्टडी को लेकर मामले की सुनवाई की. हाई कोर्ट ने कहा कि चाहे पति हो या पत्नी, किसी भी तरह की फोन रिकॉर्डिंग यदि छुपाकर की जाए तो वो उसकी प्राइवेसी की उल्लंघना करना है.

इसके अलावा हाई कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी मां को दी. कोर्ट ने पिता को ये भी कहा कि बच्ची 5 साल की नहीं हुई है. कानून के अनुसार बच्ची को मां के पास रहने देना होगा. ऐसे में पिता अलग से बच्चे की कस्टडी के लिए याचिका बाद में दाखिल कर सकता है.

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इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील दि्वजोत संधू ने बताया कि दरअसल बच्ची की कस्टडी को लेकर मां ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ता का विवाह साल 2012 में हुआ था और साल 2019 में दोनों पति पत्नी अलग रहने लग गए. उनकी बच्ची का इलाज दिल्ली एम्स से चल रहा था और पिता उसका इलाज करा रहे थे.

यही कहकर पिता ने बच्ची को कई महीनों तक अपने पास रखा और कस्टडी के लिए सिविल कोर्ट में याचिका भी दाखिल की जो कि विचाराधीन है. वहीं पत्नी ने पति पर बिना बताए फोन रिकॉर्डिंग का आरोप लगाया.

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याचिकाकर्ता पत्नी ने कहा कि बिना जानकारी के धोखे से उसके पति ने बच्ची को अपने पास रखा और कोर्ट को ये दिखाने के लिए कि बच्ची के प्रति मां का क्या व्यवहार है फोन की रिकॉर्डिंग की. जिसकी उसे जानकारी नहीं थी. मामले का निपटारा करते हुए हाई कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी मां को दी. साथ ही कहा कि मेडिकल ट्रीटमेंट पिता करवाते रहेंगे और वो हफ्ते में 2 दिन 2 घंटे के लिए बच्ची से मिल सकते हैं.

Last Updated : Jun 4, 2020, 9:43 AM IST
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