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चंडीगढ़ PGI को देशभर में कैडेवर ऑर्गन ट्रांसप्लांट में मिला पहला स्थान - pgi organ transplant

चंडीगढ़ पीजीआई लगातार चौथे साल देश का ऐसा अस्पताल बना है जिसमें सबसे ज्यादा कैडेवर ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए गए हों. चंडीगढ़ पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जगतराम ने कहा कि इस सफलता पर उन्हें बेहद गर्व है.

chandigarh pgi cadaver organ transplant
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Published : Dec 8, 2020, 10:23 PM IST

Updated : Dec 23, 2020, 3:13 PM IST

चंडीगढ़: पीजीआई चिकित्सा के क्षेत्र में लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. इसी कड़ी में चंडीगढ़ पीजीआई ने एक नया इतिहास रचा है. चंडीगढ़ पीजीआई लगातार चौथे साल देश का ऐसा अस्पताल बना है जिसमें सबसे ज्यादा कैडेवर ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए गए हों. इस मौके पर हमने चंडीगढ़ पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जगतराम से खास बातचीत की.

पीजीआई को देशभर में कैडेवर ऑर्गन ट्रांसप्लांट में मिला पहला स्थान, देखें वीडियो

प्रोफेसर डॉ. जगत राम ने कहा कि पीजीआई की इस सफलता पर उन्हें बेहद गर्व है. इसके लिए भी वो पूरी टीम को बधाई देते हैं, क्योंकि टीम में शामिल सभी हेल्थ वर्कर्स और डॉक्टर्स की मेहनत का नतीजा है कि पीजीआई को लगातार चौथे साल ये सम्मान प्राप्त हुआ है. हालांकि इस साल कोविड की वजह से पीजीआई में पहले के मुकाबले काफी कम ट्रांसप्लांट हुए हैं, लेकिन फिर भी टीम ने बेहतरीन काम किया. हाल ही में एक बच्चे के दिल का सफल ट्रांसप्लांट भी किया गया.

ट्रांसप्लांट के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि ट्रांसप्लांट दो तरह के होते हैं. एक होता है कैडेवर ट्रांसप्लांट और दूसरा होता है लाइव ट्रांसप्लांट. लाइव ऑर्गन ट्रांसप्लांट सर्जरी वो होती है जब किसी मरीज को किसी अंग की जरूरत होती है और उसका कोई परिवार का सदस्य या रिश्तेदार उसे अंगदान करता है. इसमें सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट होते हैं और कई केसों में लिवर ट्रांसप्लांट भी किया जाता है.

ये भी पढे़ं- दुनिया के टॉप साइंटिस्ट की लिस्ट में चंडीगढ़ PGI के 10 वैज्ञानिक

जबकि कैडेवर ट्रांसप्लांट तब होता है जब एक व्यक्ति का किसी दुर्घटना या कार्डियक अरेस्ट से ब्रेन डेड हो जाता है. ब्रेन डेड होने की वजह से व्यक्ति फिर ठीक नहीं हो सकता. ऐसे मरीजों के अंग दूसरे मरीजों के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिए जाते हैं. कुछ दिन पहले चंडीगढ़ में 39 दिन की एक बच्ची को नहीं बचाया जा सका. डॉक्टर ने इस बच्चे को ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. जिसके बाद उस बच्ची के माता-पिता ने उसके अंग दान करने की इच्छा जताई. डॉ. स्नेह ने उस बच्ची की दोनों किडनी एक 15 साल के बच्चे के शरीर में प्रत्यारोपित की जिससे उस बच्चे की जान बच गई.

उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पीजीआई में आंखों और किडनी ट्रांसप्लांट काफी सामान्य सर्जरी बन चुकी है. एक अस्पताल के तौर पर चंडीगढ़ पीजीआई देश का एक ऐसा अस्पताल है जिसमें सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. इसके अलावा यहां पर दिल, फेफड़े, लीवर, पेनक्रिएटिक आदि ट्रांसपोर्ट भी किए जा रहे हैं.

चंडीगढ़: पीजीआई चिकित्सा के क्षेत्र में लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. इसी कड़ी में चंडीगढ़ पीजीआई ने एक नया इतिहास रचा है. चंडीगढ़ पीजीआई लगातार चौथे साल देश का ऐसा अस्पताल बना है जिसमें सबसे ज्यादा कैडेवर ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए गए हों. इस मौके पर हमने चंडीगढ़ पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जगतराम से खास बातचीत की.

पीजीआई को देशभर में कैडेवर ऑर्गन ट्रांसप्लांट में मिला पहला स्थान, देखें वीडियो

प्रोफेसर डॉ. जगत राम ने कहा कि पीजीआई की इस सफलता पर उन्हें बेहद गर्व है. इसके लिए भी वो पूरी टीम को बधाई देते हैं, क्योंकि टीम में शामिल सभी हेल्थ वर्कर्स और डॉक्टर्स की मेहनत का नतीजा है कि पीजीआई को लगातार चौथे साल ये सम्मान प्राप्त हुआ है. हालांकि इस साल कोविड की वजह से पीजीआई में पहले के मुकाबले काफी कम ट्रांसप्लांट हुए हैं, लेकिन फिर भी टीम ने बेहतरीन काम किया. हाल ही में एक बच्चे के दिल का सफल ट्रांसप्लांट भी किया गया.

ट्रांसप्लांट के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि ट्रांसप्लांट दो तरह के होते हैं. एक होता है कैडेवर ट्रांसप्लांट और दूसरा होता है लाइव ट्रांसप्लांट. लाइव ऑर्गन ट्रांसप्लांट सर्जरी वो होती है जब किसी मरीज को किसी अंग की जरूरत होती है और उसका कोई परिवार का सदस्य या रिश्तेदार उसे अंगदान करता है. इसमें सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट होते हैं और कई केसों में लिवर ट्रांसप्लांट भी किया जाता है.

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जबकि कैडेवर ट्रांसप्लांट तब होता है जब एक व्यक्ति का किसी दुर्घटना या कार्डियक अरेस्ट से ब्रेन डेड हो जाता है. ब्रेन डेड होने की वजह से व्यक्ति फिर ठीक नहीं हो सकता. ऐसे मरीजों के अंग दूसरे मरीजों के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिए जाते हैं. कुछ दिन पहले चंडीगढ़ में 39 दिन की एक बच्ची को नहीं बचाया जा सका. डॉक्टर ने इस बच्चे को ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. जिसके बाद उस बच्ची के माता-पिता ने उसके अंग दान करने की इच्छा जताई. डॉ. स्नेह ने उस बच्ची की दोनों किडनी एक 15 साल के बच्चे के शरीर में प्रत्यारोपित की जिससे उस बच्चे की जान बच गई.

उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पीजीआई में आंखों और किडनी ट्रांसप्लांट काफी सामान्य सर्जरी बन चुकी है. एक अस्पताल के तौर पर चंडीगढ़ पीजीआई देश का एक ऐसा अस्पताल है जिसमें सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. इसके अलावा यहां पर दिल, फेफड़े, लीवर, पेनक्रिएटिक आदि ट्रांसपोर्ट भी किए जा रहे हैं.

Last Updated : Dec 23, 2020, 3:13 PM IST
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