चंडीगढ़ : साल 1967 में चंडीगढ़ शहर का गठन हुआ था. तब से लेकर अब तक चंडीगढ़ में 13 बार लोकसभा के चुनाव हो चुके है. इस 13 चुनावों के परिणामों को देखा जाए तो अधिकतर बार कांग्रेस का ही दबदबा रहा है. कांग्रेस पार्टी अब तक सात बार जीत दर्ज कर चुकी है.
अब तक बीजेपी ने तीन बार जीत दर्ज की है. 1967 में शहर की सीट का पहला लोकसभा चुनाव हुआ था, जिसमें भारतीय जन संघ के चंद गोयल ने जीत दर्ज की थी. मालूम हो कि जन संघ से ही बाद में साल 1980 में बीजेपी में बनी थी. इसके अलावा 1977 में जनता पार्टी के किशनकांत, साल 1989 में जनता दल से हरमोहन धवन जीते.
सबसे ज्यादा बार बंसल को सांसद बनने का मिला मौका
शहर से सबसे ज्यादा बार पवन बंसल को शहर का सांसद बनने का मौका मिला. बंसल शहर का लोकसभा में चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इस बार भी बंसल कांग्रेस की टिकट के प्रबल दावेदार हैं. जबकि बंसल अब तक सात बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. बंसल को छोड़कर किसी भी अन्य नेता को दो बार से ज्यादा जीतने का मौका नहीं मिला. सत्यपाल जैन भी दो बार ही चुनाव जीते और इससे पहले कांग्रेस के जगननाथ कौशल भी दो बार ही शहर से चुनाव जीते. जैन बीजेपी की टिकट पर पांच बार चुनाव लड़ चुके हैं. इस बार भी जैन टिकट के प्रबल दावेदार हैं.
1999 में मजबूत स्थिति होने के बावजूद बीजेपी हारी
1999 में बीजेपी की स्थिति मजबूत थी, लेकिन उसके बावजूद गुटबाजी के कारण बीजेपी शहर से 5 हजार वोटों से हार गई. उस समय सत्यपाल जैन की टिकट काटकर हाईकमान से बाहरी उम्मीदवार किशनलाल शर्मा को मैदान में उतार दिया गया था. जबकि इससे पहले दो चुनाव सत्यपाल जैन जीत चुके थे.
उस समय कांग्रेस की हालत पतली थी, लेकिन हरमोहन धवन के कांग्रेस में आने से बंसल 5 हजार वोटों से जीत गए. उस समय शहर में ज्ञानचंद गुप्ता का ग्रुप काफी सक्रिय था, जोकि उस समय सत्यपाल जैन के खिलाफ थे. मालूम हो कि ज्ञानचंद गुप्ता इस समय पंचकूला से विधायक हैं. स्थानीय गुटबाजी के कारण हाईकमान ने किशनलाल शर्मा को चंडीगढ़ से उम्मीदवार बनाकर भेजा था. जबकि किशनलाल शर्मा इससे पहले दिल्ली से सांसद बन चुके थे.