चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में एक दंपति द्वारा आपसी सहमति के आधार पर तलाक लेने की मांग पर उनको 6 महीने के कानूनी अधिकार की समय सीमा से छूट दे दी है. हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि पति-पत्नी के बीच अलगाव हो गया है और उनके एक साथ रहने की सभी संभावनाएं खत्म हो चुकी है तो उनको कुछ दिन और साथ रहने या रिश्ते बचाए रखने की कोशिश करने के लिए 6 महीने का समय दिया जाएगा.
इसी के साथ हाईकोर्ट ने दंपति को 6 महीने तक सीमा अवधि से भी छूट देते हुए तुरंत फैमिली कोर्ट को उनके तलाक पर फैसला लेने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने ये आदेश एक दंपति द्वारा आपसी सहमति के आधार पर तलाक मांगने की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है.
कोर्ट को बताया गया कि उनका विवाह दिसंबर 2018 में झज्जर में हिंदू रीति रिवाज के अनुसार हुआ था और दोनों पति-पत्नी हिसार में रह रहे थे. बताया गया कि उनकी कोई संतान भी नहीं है. आपसी मनमुटाव के चलते दोनों अगस्त 2019 से अलग रहने लगे और सुलह न होने के चलते उन्होंने 13 अक्टूबर 2020 को फैमिली कोर्ट के समक्ष हिंदू विवाह अधिनियम के तहत आपसी सहमति से शादी खत्म करने के लिए तलाक के लिए एक संयुक्त याचिका दायर की.
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13 दिसंबर 2020 को मामले की पहली सुनवाई के समय उनके बयान भी दर्ज किए गए और दूसरी सुनवाई के लिए मामला 19 अप्रैल 2021 तक के लिए स्थगित कर दिया गया. इस बीच तलाक मांगने वाली पत्नी ने अपने दूसरे विवाह की तैयारी शुरू कर दी थी लेकिन तलाक के लिए आपसी सहमति याचिका के विचाराधीन रहने पर वैसा नहीं कर पा रही थी इसलिए उसने पंजाब हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है.