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Business Building: सवालों के घेरे में बिजनेस बिल्डिंग, स्टेट ऑफिस ने तथ्यों को छुपा कर ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट हासिल करने का लगाया आरोप

चंडीगढ़ में बनी बिजनेस बिल्डिंग को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. स्टेट ऑफिस का दवा है कि तथ्य को छुपा कर ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट प्राप्त किया था. वहीं, इस मामले में चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिसर कम डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह ने कहा है कि मामला विचाराधीन है. जल्द ही सभी तथ्य सामने आ जाएंगे. (business building in Chandigarh)

business building in Chandigarh
चंडीगढ़ फेस- 2 बिजनेस बिल्डिंग सवालों के घेरे में.
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 24, 2023, 12:31 PM IST

चंडीगढ़: शहर की महत्वपूर्ण इमारतों में से एक फेस- 2 में बनी बिजनेस बिल्डिंग की इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. इसमें चंडीगढ़ के मेयर अनूप गुप्ता की वित्तीय हिस्सेदारी है. चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिस ने दावा किया है कि, बिल्डिंग प्लान और उसका बिजनेस सर्टिफिकेट गलत तरीके से पेश करते हुए तथ्य छुपाकर प्राप्त किया गया है. सीलिंग के खतरे का सामना कर रही इमारत को गोदरेज इटर्निया द्वारा चलाया जा रहा है, जिसने चरण- 1 में चंडीगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में इस जमीन पर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के निर्माण के लिए मंजूरी ली थी.

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सवालों के घेरे में बिजनेस बिल्डिंग: बता दें कि, 15 भूमि मालिकों को एस्टेट ऑफिस द्वारा जारी किए गए नोटिस में दावा किया गया है कि राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति से पूर्व मंजूरी लिए बिना निर्माण किया गया है. क्योंकि इमारत अधिसूचित वन्यजीव अभयारण्य (सुखना वन्यजीव अभयारण्य और सिटी बर्ड अभयारण्य) के 10 किलोमीटर भीतर गिनी जाती है. इसका मतलब यह है कि इसके लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुमति की जरूरत है. ऐसे में मौजूदा अधिकारी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. इमारत के पूरा होने के 10 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से उक्त अनुमति संपदा कार्यालय, यूटी चंडीगढ़ को जमा नहीं की गई है. वहीं, इस मामले में चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिसर कम डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह की देखरेख में जो नोटिस जारी किए गए हैं.

तथ्यों को छुपा कर ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट हासिल करने का आरोप: इसके अलावा, औद्योगिक क्षेत्र, चरण- I और चरण-II, योजना 2005 में औद्योगिक स्थलों के भूमि उपयोग को वाणिज्यिक गतिविधि में चंडीगढ़ रूपांतरण के खंड 20 के अनुसार, इस साइट पर निर्माण के लिए ईआईए अधिसूचना 2006 का अनुपालन आवश्यक है. ऐसे में प्रॉपर्टी अफसर के संज्ञान में आया है कि राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) ने शर्तों को पूरा न करने और शर्तों के उल्लंघन के लिए इस साइट के खिलाफ 20 जुलाई को कार्रवाई शुरू की है. इसलिए, 26 फरवरी 2009 को व्यवसाय प्रमाण पत्र (OC) के आवेदन के साथ प्रस्तुत पर्यावरण मंजूरी (EC) अमान्य प्रतीत होती है. इसके अलावा 31 अगस्त 2009 की भवन योजना और उसके बाद 9 जून 2015 की ओसी के साथ संशोधित भवन योजना (RBP) को गलत तरीके से प्रस्तुत करके और तथ्यों को छिपाकर ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट हासिल किया गया है.

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सवालों के घेरे में बिल्डिंग की पर्यावरण मंजूरी: इस बारे में चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिसर कम डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह कहा कि, एसडीओ (बी) और शहरी नियोजन विभाग, यूटी चंडीगढ़ की टीम द्वारा 19 जुलाई, 2023 को साइट पर संयुक्त निरीक्षण के दौरान भवन उल्लंघन की सूचना दी गई थी. बिल्डिंग की पर्यावरण मंजूरी सवालों के घेरे में आने के बाद नोटिस जारी किया गया है. चंडीगढ़ के पर्यावरण विभाग ने पिछले महीने नोटिस जारी करते हुए कहा कि इमारत के लिए वन्यजीव मंजूरी नहीं ली गई है. नोटिस के अनुसार, ऑपरेशन शुरू करने से पहले वन्यजीव मंजूरी की आवश्यकता थी, जो यूटी प्रशासन के अनुसार नहीं ली गई है.

बिल्डिंग में 100 से अधिक कारोबार से संबंधित कार्यालय: उन्होंने बताया कि, इमारत में 100 से अधिक प्रमुख व्यवसाय चल रहे हैं. इस इमारत में 15 राज्यों के निर्भया फ्रेमवर्क के पैनिक बटन के बैक-एंड ऑपरेशन चलाने वाली कंपनी भी है. इसके अलावा, तीन राज्यों की एम्बुलेंस सेवाओं का बैक-एंड संचालन और टाटा मोटर्स, उबर, जोमैटो, महिंद्रा, क्वांटम पेपर्स, बायर, डॉ. ऑर्थो आदि के कार्यालय भी इस प्रतिष्ठान के अंदर हैं. जहां कुछ कार्यालय ओनरशिप में हैं, वहीं अन्य का किराया औसतन 1.5 लाख रुपये प्रति माह है. इंटीरियर और तकनीकी बुनियादी ढांचे के निवेश पर भी लाखों रुपये खर्च किए गए हैं.

जमीन के मालिकाना हक रखने वालों को नोटिस: जिन जमीन के मालिकाना हक रखने वालों को नोटिस भेजा गया है, उन्हें नोटिस एक ही पते पर गया है. यह नोटिस चंडीगढ़ के मेयर अनूप गुप्ता, योगेश गुप्ता, नीलम गुप्ता और वीना गुप्ता को भेजा गया है. मालिकाना हक रखने वाले अन्य सदस्यों में मैसर्स वाल्को इंडस्ट्रीज, नरिंदर मोहन मित्तल, सुरिंदर मोहन मित्तल और जतिंदर मोहन मित्तल का भी एक ही निवास स्थान पर है.

बिल्डिंग सील होने से हो सकता है कोरोड़ों का नुकसान: ऐसे में एस्टेट ऑफिस द्वारा कार्रवाई की जाती है तो गोदरेज अटॉर्निया में काम करने वाली 100 से ऊपर कंपनियों को करोड़ों का नुकसान हो सकता है. अगर कार्यालयों को एक दिन के लिए भी सील कर दिया जाता है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चंडीगढ़ में हो रहे निवेश माहौल के खराब होने की संभावना है. ऐसा होने से मैकडॉनल्ड्स और डॉमिनोज जैसी कंपनियों के बैक-ऑफिस संचालन पर तुरंत असर पड़ेगा. चंडीगढ़ के डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह ने कहा कि, ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट रद्द करने के संबंध में नोटिस जारी किया गया है. सुनवाई की एक और तारीख निर्धारित कर दी गई है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा.

चंडीगढ़: शहर की महत्वपूर्ण इमारतों में से एक फेस- 2 में बनी बिजनेस बिल्डिंग की इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. इसमें चंडीगढ़ के मेयर अनूप गुप्ता की वित्तीय हिस्सेदारी है. चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिस ने दावा किया है कि, बिल्डिंग प्लान और उसका बिजनेस सर्टिफिकेट गलत तरीके से पेश करते हुए तथ्य छुपाकर प्राप्त किया गया है. सीलिंग के खतरे का सामना कर रही इमारत को गोदरेज इटर्निया द्वारा चलाया जा रहा है, जिसने चरण- 1 में चंडीगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में इस जमीन पर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के निर्माण के लिए मंजूरी ली थी.

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सवालों के घेरे में बिजनेस बिल्डिंग: बता दें कि, 15 भूमि मालिकों को एस्टेट ऑफिस द्वारा जारी किए गए नोटिस में दावा किया गया है कि राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति से पूर्व मंजूरी लिए बिना निर्माण किया गया है. क्योंकि इमारत अधिसूचित वन्यजीव अभयारण्य (सुखना वन्यजीव अभयारण्य और सिटी बर्ड अभयारण्य) के 10 किलोमीटर भीतर गिनी जाती है. इसका मतलब यह है कि इसके लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुमति की जरूरत है. ऐसे में मौजूदा अधिकारी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. इमारत के पूरा होने के 10 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से उक्त अनुमति संपदा कार्यालय, यूटी चंडीगढ़ को जमा नहीं की गई है. वहीं, इस मामले में चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिसर कम डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह की देखरेख में जो नोटिस जारी किए गए हैं.

तथ्यों को छुपा कर ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट हासिल करने का आरोप: इसके अलावा, औद्योगिक क्षेत्र, चरण- I और चरण-II, योजना 2005 में औद्योगिक स्थलों के भूमि उपयोग को वाणिज्यिक गतिविधि में चंडीगढ़ रूपांतरण के खंड 20 के अनुसार, इस साइट पर निर्माण के लिए ईआईए अधिसूचना 2006 का अनुपालन आवश्यक है. ऐसे में प्रॉपर्टी अफसर के संज्ञान में आया है कि राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) ने शर्तों को पूरा न करने और शर्तों के उल्लंघन के लिए इस साइट के खिलाफ 20 जुलाई को कार्रवाई शुरू की है. इसलिए, 26 फरवरी 2009 को व्यवसाय प्रमाण पत्र (OC) के आवेदन के साथ प्रस्तुत पर्यावरण मंजूरी (EC) अमान्य प्रतीत होती है. इसके अलावा 31 अगस्त 2009 की भवन योजना और उसके बाद 9 जून 2015 की ओसी के साथ संशोधित भवन योजना (RBP) को गलत तरीके से प्रस्तुत करके और तथ्यों को छिपाकर ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट हासिल किया गया है.

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सवालों के घेरे में बिल्डिंग की पर्यावरण मंजूरी: इस बारे में चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिसर कम डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह कहा कि, एसडीओ (बी) और शहरी नियोजन विभाग, यूटी चंडीगढ़ की टीम द्वारा 19 जुलाई, 2023 को साइट पर संयुक्त निरीक्षण के दौरान भवन उल्लंघन की सूचना दी गई थी. बिल्डिंग की पर्यावरण मंजूरी सवालों के घेरे में आने के बाद नोटिस जारी किया गया है. चंडीगढ़ के पर्यावरण विभाग ने पिछले महीने नोटिस जारी करते हुए कहा कि इमारत के लिए वन्यजीव मंजूरी नहीं ली गई है. नोटिस के अनुसार, ऑपरेशन शुरू करने से पहले वन्यजीव मंजूरी की आवश्यकता थी, जो यूटी प्रशासन के अनुसार नहीं ली गई है.

बिल्डिंग में 100 से अधिक कारोबार से संबंधित कार्यालय: उन्होंने बताया कि, इमारत में 100 से अधिक प्रमुख व्यवसाय चल रहे हैं. इस इमारत में 15 राज्यों के निर्भया फ्रेमवर्क के पैनिक बटन के बैक-एंड ऑपरेशन चलाने वाली कंपनी भी है. इसके अलावा, तीन राज्यों की एम्बुलेंस सेवाओं का बैक-एंड संचालन और टाटा मोटर्स, उबर, जोमैटो, महिंद्रा, क्वांटम पेपर्स, बायर, डॉ. ऑर्थो आदि के कार्यालय भी इस प्रतिष्ठान के अंदर हैं. जहां कुछ कार्यालय ओनरशिप में हैं, वहीं अन्य का किराया औसतन 1.5 लाख रुपये प्रति माह है. इंटीरियर और तकनीकी बुनियादी ढांचे के निवेश पर भी लाखों रुपये खर्च किए गए हैं.

जमीन के मालिकाना हक रखने वालों को नोटिस: जिन जमीन के मालिकाना हक रखने वालों को नोटिस भेजा गया है, उन्हें नोटिस एक ही पते पर गया है. यह नोटिस चंडीगढ़ के मेयर अनूप गुप्ता, योगेश गुप्ता, नीलम गुप्ता और वीना गुप्ता को भेजा गया है. मालिकाना हक रखने वाले अन्य सदस्यों में मैसर्स वाल्को इंडस्ट्रीज, नरिंदर मोहन मित्तल, सुरिंदर मोहन मित्तल और जतिंदर मोहन मित्तल का भी एक ही निवास स्थान पर है.

बिल्डिंग सील होने से हो सकता है कोरोड़ों का नुकसान: ऐसे में एस्टेट ऑफिस द्वारा कार्रवाई की जाती है तो गोदरेज अटॉर्निया में काम करने वाली 100 से ऊपर कंपनियों को करोड़ों का नुकसान हो सकता है. अगर कार्यालयों को एक दिन के लिए भी सील कर दिया जाता है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चंडीगढ़ में हो रहे निवेश माहौल के खराब होने की संभावना है. ऐसा होने से मैकडॉनल्ड्स और डॉमिनोज जैसी कंपनियों के बैक-ऑफिस संचालन पर तुरंत असर पड़ेगा. चंडीगढ़ के डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह ने कहा कि, ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट रद्द करने के संबंध में नोटिस जारी किया गया है. सुनवाई की एक और तारीख निर्धारित कर दी गई है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा.

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