नई दिल्ली : कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन को 70 दिनों से ज्यादा हो चुके हैं. अभी भी किसान और सरकार में किसी तरह की सहमति नहीं बन पाई है. वहीं, कुछ नेताओं का कहना है कि अब यह किसान आंदोलन राजनीतिक रूप लेता जा रहा है.
इस पूरे मामले पर केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि यह आंदोलन अब किसानों का आंदोलन नहीं रह गया है. कुछ लोगों के हाथों में पड़कर अब इसने सियासी रंग ले लिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार हर संभव कोशिश कर रही है कि किसानों को समझा-बुझाकर एक प्लेटफार्म पर लाया जा सके, लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं.
मोदी सरकार के सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मामलों के मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि 7 तारीख की घोषणा को लेकर कुछ गलतफहमियां पैदा की गई हैं. उत्तर प्रदेश के विधायक नंदकिशोर ने ऐसी कोई बात नहीं कही थी, मगर विपक्ष किसान आंदोलन के नाम पर सियासी रोटी सेंक रहा है. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां जो खुद की जमीन तलाश रही हैं वह किसान आंदोलन के माध्यम से अपने जनाधार बढ़ाने की भी कोशिश कर रही हैं, मगर यह संभव नहीं है.
ईटीवी से खास बातचीत में केंद्रीय मंत्री गुर्जर ने कहा कि हमारी सरकार किसानों की मदद के लिए कटिबद्ध है. सरकार ने यहां तक कहा है कि वह एक फोन कॉल की दूरी पर है और किसान जब भी प्लेटफार्म पर आकर बात करना चाहे सरकार उनके लिए तैयार है. सरकार ने अभी तक किसानों की आधी से ज्यादा मांगें मान ली हैं इसके बावजूद विपक्षी पार्टियां किसानों को बहला रही हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के साथ रही है और आगे भी हमेशा से किसानों के साथ रहेगी, मगर किसान समझने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. पूरे देश के किसान अब आंदोलन के समर्थन से अपनी वापसी ले चुके हैं. इसके बावजूद पंजाब और हरियाणा के किसानों को विपक्षी पार्टियां बहला-फुसलाकर आंदोलन के लिए प्रेरित कर रही हैं.
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वहीं, उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक सोमपाल गुर्जर ने बताया कि उन्होंने ऐसा कभी बयान नहीं दिया और ना ही उन्होंने किसी के ऊपर पिस्तौल लहराई है. यह विपक्षी पार्टियों की साजिश है और अगर यह साजिश वह सत्य कर देते हैं तो वह राजनीति तक छोड़ने को तैयार हैं.