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एसवाईएल पर पंजाब ने फंसाया नया पेंच, कैप्टन अमरिंदर बोले- यमुना का पानी भी किया जाए शामिल

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमिरंदर सिंह ने एसवाईएल का पानी देने से दो टूक इनकार कर दिया है. साथ ही एक नई शर्त रख दी है.

capt amarinder urges centre to be cautious on syl issue
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमिरंदर सिंह
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Published : Aug 18, 2020, 6:48 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 9:23 AM IST

चंडीगढ़: एसवाईएल को लेकर एक बार फिर सियासी जंग छिड़ गई है. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एसवाईएल के पानी को देने से साफ इनकार कर दिया है. साथ ही उन्होंने यमुना नदी के पानी को भी शामिल करने की शर्त रख दी है. बता दें कि एसवाईएल के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बैठक बुलाई. इस बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े.

पानी देने से दो टूक इनकार

बैठक के तुरंत बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि बैठक में मैंने उनको स्पष्ट कह दिया है कि पंजाब के पास कोई पानी नहीं है. उन्होंने कहा कि पंजाब में जमीनी पानी का स्तर घटता जा रहा है. जिससे प्रदेश के हालात हर रोज बिगड़ रहे हैं.

कैप्टन ने रखी ये शर्त

साथ ही उन्होंने कहा कि जब पंजाब और हरियाणा का बंटवारा हुआ, तो उसमें सभी चीजों का बंटवारा 60:40 के अनुपात में हुआ. बंटवारे में रावी, व्यास और सतलुज को जोड़ा गया लेकिन यमुना को नहीं. इस पर मैंने बैठक में यही सुझाव दिया कि जब सभी चीजों का 60:40 के अनुपात में बंटवारा हुआ तो इसमें यमुना को भी जोड़ना चाहिए और तब 60:40 के अनुपात में बंटवारा करना चाहिए.

  • I have suggested that they should include the water of Yamuna also & then divide it on 60:40 basis: Punjab CM Captain Amarinder Singh https://t.co/jXmFg1qxF5

    — ANI (@ANI) August 18, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी इस मामले पर एक बार फिर से बैठक होगी. उससे पहले मैं और हरियाणा के मुख्यमंत्री एक बार चंडीगढ़ में बैठक करेंगे, उसके बाद दिल्ली में जाकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात करेंगे.

क्या है एसवाईएल विवाद?

ये पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए-नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.

ये भी पढ़ें:-'SYL को लेकर अगले हफ्ते बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी रिपोर्ट'

इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.

चंडीगढ़: एसवाईएल को लेकर एक बार फिर सियासी जंग छिड़ गई है. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एसवाईएल के पानी को देने से साफ इनकार कर दिया है. साथ ही उन्होंने यमुना नदी के पानी को भी शामिल करने की शर्त रख दी है. बता दें कि एसवाईएल के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बैठक बुलाई. इस बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े.

पानी देने से दो टूक इनकार

बैठक के तुरंत बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि बैठक में मैंने उनको स्पष्ट कह दिया है कि पंजाब के पास कोई पानी नहीं है. उन्होंने कहा कि पंजाब में जमीनी पानी का स्तर घटता जा रहा है. जिससे प्रदेश के हालात हर रोज बिगड़ रहे हैं.

कैप्टन ने रखी ये शर्त

साथ ही उन्होंने कहा कि जब पंजाब और हरियाणा का बंटवारा हुआ, तो उसमें सभी चीजों का बंटवारा 60:40 के अनुपात में हुआ. बंटवारे में रावी, व्यास और सतलुज को जोड़ा गया लेकिन यमुना को नहीं. इस पर मैंने बैठक में यही सुझाव दिया कि जब सभी चीजों का 60:40 के अनुपात में बंटवारा हुआ तो इसमें यमुना को भी जोड़ना चाहिए और तब 60:40 के अनुपात में बंटवारा करना चाहिए.

  • I have suggested that they should include the water of Yamuna also & then divide it on 60:40 basis: Punjab CM Captain Amarinder Singh https://t.co/jXmFg1qxF5

    — ANI (@ANI) August 18, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी इस मामले पर एक बार फिर से बैठक होगी. उससे पहले मैं और हरियाणा के मुख्यमंत्री एक बार चंडीगढ़ में बैठक करेंगे, उसके बाद दिल्ली में जाकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात करेंगे.

क्या है एसवाईएल विवाद?

ये पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए-नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.

ये भी पढ़ें:-'SYL को लेकर अगले हफ्ते बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी रिपोर्ट'

इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.

Last Updated : Aug 19, 2020, 9:23 AM IST
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