चंडीगढ़: शनिवार शाम 6 बजे सेक्टर 17 प्लाजा चंडीगढ़ में हजारों प्रॉपर्टी ऑनर्स रजिस्ट्री बैन का विरोध करते हुए कैंडल मार्च निकाला गया. पिछले दो सालों से चंडीगढ़ में शेयर की रजिस्ट्री बैन की एसओपी जारी होने के बाद से लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है. लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन टस से मस नहीं हो रहा है. इसलिए शनिवार शाम 6 बजे शहरवासी बड़ी संख्या में सेक्टर 17 प्लाजा में कैंडल मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन करने लगे. जहां प्रापर्टी ओनर्स के साथ उनके परिवार भी कैंडल मार्च में शामिल हुए.
इस विरोध प्रदर्शन में शहर के लगभग सभी संगठन तो शामिल हुए ही, उसके साथ-साथ उनके परिवार के सदस्य भी सैकड़ों की गिनती में सेक्टर 17 में कैंडल लेकर पहुंचे. इस मौके पर चंडीगढ़ प्रॉपर्टी शेयर होल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष हरपाल सिंह ने बताया कि शहरवासी चुप बैठने वाले नहीं हैं. जब तक हमारा हक हमें वापस नहीं मिलता, हमारा विरोध प्रदर्शन और विकराल रूप लेता रहेगा.
बता दें कि अपार्टमेंट एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चंडीगढ़ प्रशासन का बड़ा फैसला सामने आया था. इस फैसले के अनुसार केवल फैमिली में ही प्रापर्टी की सेल, ट्रांसफर व गिफ्ट डीड की वसीयत हो सकेगी. वसीयत में केवल फैमिली मेंबर्स के शेयर ही मान्य होंगे. परिवार के किसी एक या ज्यादा व्यक्तियों ने पूरी 100 प्रतिशत प्रॉपर्टी खरीद ली है. तो यह तभी ट्रांसफर हो सकेगी.
सेल, गिफ्ट या ट्रांसफर डीड है और उसकी अगर 10 जनवरी 2023 तक रजिस्ट्रेशन हो चुकी है, तो नियमों के अनुसार इसकी जमाबंदी हो पाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी 2023 को रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन एवं चंडीगढ़ प्रशासन के मामले में अपार्टमेंटों की बेच व खरीद पर रोक लगा दी थी. ऐसे में प्रशासन उसी दिन से कोर्ट के फैसले की समीक्षा कर रहा था.
वहीं चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के रेजिडेंशियल अपार्टमेंट एवं एस्टेट ऑफिस के दी चंडीगढ़ अपार्टमेंट रूल्स, 2001 पर सुप्रीम कोर्ट के अपार्टमेंट एक्ट को लेकर दिये गए आदेश का असर नहीं होगा. जतिंदर सिंह ने बताया जो नगर निगम के द्वारा हम पर अपार्टमेंट रूल थोपा जा रहा है, की 1 से 30 सेक्टर हेरिटेज है वह गलत है. वही हेरिटेज घर नहीं हो सकता. वहीं हम घर नक्शे के हिसाब से बनाते हैं. नक्शे के दौरान किसी तरह की चंडीगढ़ की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया गया हो तो हम कह सकते हैं, कि यह नियम लागू होना चाहिए.
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लेकिन कोई भी प्रॉपर्टी बनाने के दौरान किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाता. सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के आने के बाद अधिकारियों द्वारा जो निर्णय लिया गया है, वह जनता के हक में नहीं है. वहीं इस सिटी को सिटी ब्यूटीफुल ना होते हुए एक्सपेरिमेंट सिटी बनाया गया है. वहीं चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से ऐसा निर्णय लिया जाता है, जो स्थानीय शहर वासी के खिलाफ होता है. इसकी बड़ी वजह यह रहती है, कि इन अधिकारियों का शहर में कार्यकाल 2 से 3 साल के बीच में रहता है. जिसके दौरान यह शहर को न समझते हुए अपने हिसाब से फैसले लेते हैं. जिसका परिणाम है, कि लोग अपनी जमा पूंजी खरीदा मकान बेच नहीं पा रहे.
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