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ठंड बढ़ने के साथ ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ा, जानें क्या है ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण और कैसे करें बचाव

Brain stroke: ठंड बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में ब्रेन स्ट्रोक के ज्यादा मामले सामने आने लगते हैं. पीजीआई चंडीगढ़ में ही रोजाना 80 से ज्यादा ब्रेन स्ट्रोक के मामले आ रहे हैं. ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों में युवा भी शामिल है. आखिर ये ब्रेन स्ट्रोक क्यों होता है ,इसके लक्ष्ण क्या है ,इसका इलाज क्या है, ऐसे तमाम प्रश्नों के साथ हमारे चंडीगढ़ संवाददाता ने पीजीआई चंडीगढ़ के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ धरीज खुराना से बात की.

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ठंड बढ़ने के साथ ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ा
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 14, 2023, 4:37 PM IST

चंडीगढ़- ठंड में ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते मामले को देख कर लोगों को सर्तक रहने की जरूरत है. विशेष तौर पर 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को विशेष हिदायत बरतने की जरूरत है. जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है उनको तो और सतर्कता की आवश्यकता है.

क्यों होता है ब्रेन स्ट्रोक: पीजीआई चंडीगढ़ के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ धरीज खुराना बताते हैं कि ठंड बढ़ने के साथ खून की नलियां सिकुड़ने लगती है जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है. मस्तिष्क तक रक्त की आपूर्ति में कमी होने लगती है. जिससे मस्तिष्क की कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्व सही तरीके से नहीं मिल पाता है. नलियों के सिकुड़ने से शरीर की मांसपेशियां भी सही तरीके से काम नहीं कर पाती है जिससे ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है. साथ ही ठंड में लोग अन्य मौसम की तुलना में कम पानी पीते हैं जिससे खून गाढ़ा हो सकता है. ठंड में ब्लड प्रेशर वाले मरीजों को ज्यादा समस्या होती है. खास कर उन मरीजों को जो बीच में ही ब्लड प्रेशर की दवा छोड़ देते हैं. डॉ धरीज खुराना के अुनसार सुबह के समय ब्रेन स्ट्रोक होने की संभावना ज्यादा होती है. खुराना बताते हैं कि पचास साल से अधिक उम्र वाले को ब्रेन स्ट्रोक की समस्या अधिक देखी जाती है.

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण: ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण के बारे में जानकारी होने पर मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता है. डॉ धरीज खुराना के अनुसार ब्रेन स्ट्रोक का संकेत सबसे पहले चेहरा, पैर, हाथ के सुन्न पड़ जाने से देखा जा सकता है. मरीज को अचानक बोलने में कठिनाई होने लगती है. वह सही ढंग से नहीं बोल पाता है. इसके अलावा देखने में दिक्कत आने लगती है. आंखों के सामने धुंधला दिखने लगता है. तेज सिरदर्द होने लगता है जिससे बहुत कठिनाई होने लगती है. इनमें से कोई लक्ष्ण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. ब्रेन स्ट्रोक मुख्य रूप से मस्तिष्क को प्रभावित करता है. मनुष्य के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. ब्रेन स्ट्रोक के बाद मस्तिष्क का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है और मरीज खाने और निगलने की समस्या से जूझता है.

ब्रेन स्ट्रोक आने पर क्या करना चाहिए: पीजीआई चंडीगढ़ के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ धरीज खुराना बताते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक आने पर व्यक्ति को तुरंत नजदीक के ऐसे अस्पताल ले जाना चाहिए जहां इस तरह के ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों का इलाज होता है. समय रहते अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन कराना चाहिए ताकि ब्रेन स्ट्रोक के प्रभाव कम से कम किया जा सके. देरी होने पर ब्रेन स्ट्रोक का इलाज मुश्किल हो जाता है. लिहाजा स्ट्रोक आने पर तुरंत मरीज का इलाज शुरू हो जाना चाहिए अन्यथा देरी होने पर मरीज की जान भी जा सकती है.

क्या एहतियात बरतें: डॉ. धीरज खुराना ने बताया कि लोगों को अपनी जीवनशैली में बदलाव करने की जरूरत है. खान पान सही तरीके से लेना चाहिए. नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए. ठंड के मौसम में अचानक से बाहर नहीं निकलना चाहिए. क्योंकि तामपान में अंतर होने पर स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही तनाव लेने से भी लोगों को बचना चाहिए.

ये भी पढ़ें: किडनी मरीज घर पर डायलिसिस करवाएं, पीजीआई चंडीगढ़ की पहल, 80 मरीज घर पर ही करवा रहे हैं डायलिसिस

ये भी पढ़ें: पीजीआई चंडीगढ़ में खुला उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक, गंभीर रूप से जले मरीजों के बेहतर इलाज में मिलेगी मदद

चंडीगढ़- ठंड में ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते मामले को देख कर लोगों को सर्तक रहने की जरूरत है. विशेष तौर पर 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को विशेष हिदायत बरतने की जरूरत है. जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है उनको तो और सतर्कता की आवश्यकता है.

क्यों होता है ब्रेन स्ट्रोक: पीजीआई चंडीगढ़ के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ धरीज खुराना बताते हैं कि ठंड बढ़ने के साथ खून की नलियां सिकुड़ने लगती है जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है. मस्तिष्क तक रक्त की आपूर्ति में कमी होने लगती है. जिससे मस्तिष्क की कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्व सही तरीके से नहीं मिल पाता है. नलियों के सिकुड़ने से शरीर की मांसपेशियां भी सही तरीके से काम नहीं कर पाती है जिससे ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है. साथ ही ठंड में लोग अन्य मौसम की तुलना में कम पानी पीते हैं जिससे खून गाढ़ा हो सकता है. ठंड में ब्लड प्रेशर वाले मरीजों को ज्यादा समस्या होती है. खास कर उन मरीजों को जो बीच में ही ब्लड प्रेशर की दवा छोड़ देते हैं. डॉ धरीज खुराना के अुनसार सुबह के समय ब्रेन स्ट्रोक होने की संभावना ज्यादा होती है. खुराना बताते हैं कि पचास साल से अधिक उम्र वाले को ब्रेन स्ट्रोक की समस्या अधिक देखी जाती है.

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण: ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण के बारे में जानकारी होने पर मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता है. डॉ धरीज खुराना के अनुसार ब्रेन स्ट्रोक का संकेत सबसे पहले चेहरा, पैर, हाथ के सुन्न पड़ जाने से देखा जा सकता है. मरीज को अचानक बोलने में कठिनाई होने लगती है. वह सही ढंग से नहीं बोल पाता है. इसके अलावा देखने में दिक्कत आने लगती है. आंखों के सामने धुंधला दिखने लगता है. तेज सिरदर्द होने लगता है जिससे बहुत कठिनाई होने लगती है. इनमें से कोई लक्ष्ण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. ब्रेन स्ट्रोक मुख्य रूप से मस्तिष्क को प्रभावित करता है. मनुष्य के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. ब्रेन स्ट्रोक के बाद मस्तिष्क का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है और मरीज खाने और निगलने की समस्या से जूझता है.

ब्रेन स्ट्रोक आने पर क्या करना चाहिए: पीजीआई चंडीगढ़ के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ धरीज खुराना बताते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक आने पर व्यक्ति को तुरंत नजदीक के ऐसे अस्पताल ले जाना चाहिए जहां इस तरह के ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों का इलाज होता है. समय रहते अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन कराना चाहिए ताकि ब्रेन स्ट्रोक के प्रभाव कम से कम किया जा सके. देरी होने पर ब्रेन स्ट्रोक का इलाज मुश्किल हो जाता है. लिहाजा स्ट्रोक आने पर तुरंत मरीज का इलाज शुरू हो जाना चाहिए अन्यथा देरी होने पर मरीज की जान भी जा सकती है.

क्या एहतियात बरतें: डॉ. धीरज खुराना ने बताया कि लोगों को अपनी जीवनशैली में बदलाव करने की जरूरत है. खान पान सही तरीके से लेना चाहिए. नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए. ठंड के मौसम में अचानक से बाहर नहीं निकलना चाहिए. क्योंकि तामपान में अंतर होने पर स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही तनाव लेने से भी लोगों को बचना चाहिए.

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