नई दिल्ली/चंडीगढ़: हरियाणा के बीजेपी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत से मुकालात की है. ये मुलाकात हरियाणा में पानी की समस्या को लेकर की गई है. सांसदों ने 6 बिंदुओं का मांग पत्र भी केंद्रीय मंत्री को सौंपा है.
इस मुलाकात में हरियाणा बीजेपी के तीनों राज्यसभा सांसद, केंद्रीय राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया, हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह, भिवानी सांसद धर्मबीर सिंह थे. बैठक के दौरान सांसदों ने एसवाईएल नहर का मुद्दा भी उठाया.
क्या है एसवाईएल विवाद?
ये पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए-नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.
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इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को सौंपा मांग पत्र