चंडीगढ़: अपने बेटे बीरेंद्र सिंह के लिए सियासी रास्ते खोलने के लिए 'कुर्बानी' देने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह इन दिनों बेचैन दिख रहे हैं. या यूं कहें कि एक बार फिर बीरेंद्र सिंह अपने पुराने रंग में रंगते दिखाई दे रहे हैं. बीरेद्र सिंह का वही रूप दिखाई दे रहा है, जिसमें वो अपने चिरपरिचित अंदाज में अपने ही सियासी दल को कठघरे में खड़ा करते हैं.
ट्वीट से सामने आई 'टीस'
हाल ही में एक ट्वीट कर चौ. बीरेंद्र सिंह ने बीजेपी सरकार को कठघरे में खड़ा किया. वैसे तो उनका ये ट्वीट हरियाणा में महिला सुरक्षा को लेकर था, लेकिन इस ट्वीट के जरिए उन्होंने प्रशासन और सरकार को खराब कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार ठहराया. इस ट्वीट के जरिए बीरेंद्र सिंह की टीस साफ देखने को मिली.
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हरियाणा में पिछले कुछ दिनों में यकायक बढ़ी आपराधिक घटनाएँ गम्भीर चिंता का विषय है।
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प्रशासन को क़ानून व्यवस्था पर नियन्त्रण के लिए कड़े क़दम उठाने के अलावा, हमें सामाजिक तौर पर भी चिंतन की ज़रूरत है।
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प्रशासन को क़ानून व्यवस्था पर नियन्त्रण के लिए कड़े क़दम उठाने के अलावा, हमें सामाजिक तौर पर भी चिंतन की ज़रूरत है।हरियाणा में पिछले कुछ दिनों में यकायक बढ़ी आपराधिक घटनाएँ गम्भीर चिंता का विषय है।
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प्रशासन को क़ानून व्यवस्था पर नियन्त्रण के लिए कड़े क़दम उठाने के अलावा, हमें सामाजिक तौर पर भी चिंतन की ज़रूरत है।
सत्ता पर काबिज पार्टी में शामिल होने के बाद भी सत्ता से दूर होने की टीस दिखाई दी. या शायद केंद्रीय मंत्री पद की कुर्बानी देने के बाद भी बेटे को मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने की टीस. शायद बीरेंद्र सिंह को ये लग रहा है कि अगर उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया होता तो शायद उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिल गई होती.
बीरेंद्र सिंह का ये अंदाज है पुराना
ये पहला मौका नहीं है जब सत्ताधारी पार्टी में होने के बाद भी जब बीरेंद्र सिंह ने अपने ही दल पर वार किया हो या फिर सवाल उठाए हों. इससे पहले कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री भजन लाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मोर्चाबंदी की थी. हालांकि ये सब पुरानी बाते हैं, लेकिन अब भी बीरेंद्र सिंह के इस मिजाज में बदलाव आता दिखाई नहीं दे रहा है.