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हरियाणा के हित में राजनीति से ऊपर उठकर खड़े हैं सरकार के साथ- भूपेंद्र सिंह हुड्डा - Haryana Latest News

मंगलवार को चंडीगढ़ के मामले पर हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र (Haryana Assembly Special Session) में मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा रखे गए प्रस्ताव का पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सर्मथन किया और केन्द्र सरकार से इस प्रस्ताव पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया.

bhupinder singh Hooda
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Published : Apr 5, 2022, 8:33 PM IST

चंडीगढ़: चंडीगढ़ मुद्दे को लेकर बुलाए गए हर‍ियाणा व‍िधानसभा के व‍िशेष सत्र (Haryana Assembly Special Session) में पक्ष और व‍िपक्ष पूरी तरह से एकजुट नजर आ रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष ने पंजाब सरकार द्वारा पास प्रस्ताव के विरुद्ध हरियाणा विधानसभा में लाए गए हरियाणा सरकार के प्रस्ताव का सदन में समर्थन किया. हुड्डा ने सरकार को भरोसा दिलाया कि प्रदेशहित के मुद्दे पर विपक्ष राजनीति से ऊपर उठकर सरकार के साथ खड़ा है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा कहा कि सरकार जहां कहेगी, उस मोर्चे पर हरियाणा के हक में लड़ने के लिए विपक्ष तैयार है. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलना चाहिए व एक सुर में हरियाणा के अधिकारों की वकालत करनी चाहिए. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा में पास किया गया प्रस्ताव एक राजनीतिक जुमला है. इसके कोई संवैधानिक मायने नहीं है. लेकिन हरियाणा के सभी राजनीतिक दलों को ऐसी प्रदेश विरोधी गतिविधियों के विरूद्ध एकजुटता से खड़ा होना चाहिए. क्योंकि इससे पहले भी पंजाब की सरकारों द्वारा हरियाणा के हितों का अतिक्रमण करने की कोशिश होती रही है और हरियाणा की जनता का हक मारने का काम किया गया है.

हरियाणा के हित में राजनीति से ऊपर उठकर खड़े हैं सरकार के साथ- भूपेंद्र सिंह हुड्डा

ये भी पढ़ें- हरियाणा ने भी चंडीगढ़ पर जताया हक, विधानसभा में सर्वसम्मति से संकल्प पारित

उन्होंने ने बताया कि अलग राज्य बनने के बाद से ही हरियाणा और पंजाब के बीच तीन मसलों पर विवाद चलता आ रहा है. पहला पानी, दूसरा हिंदी भाषी क्षेत्र और तीसरा राजधानी का मसाला. उन्होंने कहा कि किस तरह पानी को लेकर अलग-अलग कमीशन और कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसले सुनाए. शाह कमीशन ने चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी बनाए रखने की सिफारिश की थी. साथ ही हिंदी भाषी क्षेत्रों को भी हरियाणा में मिलाने पर बरसों से केंद्र सरकार से बातचीत हो रही है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हमारी प्रथम प्राथमिकता है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक हरियाणा को एसवाईएल का पानी मिले. वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट हरियाणा के पक्ष में फैसला सुना चुकी है. सबसे पहले उसे अमल किया जाना चाहिए. उसके बाद अन्य मसलों पर भी बातचीत होनी चाहिए. दोनों प्रदेश की सरकार बातचीत तो करें पर हरियाणा के अधिकारों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. पंजाब हमारा बड़ा भाई यानी एल्डर ब्रॉदर है, लेकिन हम पर हावी होने की कोशिश कतई ना करें. हरियाणा के अधिकारों को बाईपास करके एकतरफा फैसलों के चलन से पंजाब सरकार को बचना चाहिए.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में हरियाणा की स्थाई सदस्यता खत्म करने का मसला भी आज सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में पहले सदस्य (पावर) पंजाब से और सदस्य (सिंचाई) हरियाणा से होते थे. लेकिन नए नियमों में यह अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. नए नियमों से हरियाणा के हित सुरक्षित नहीं रह पाएंगे. हरियाणा सरकार को इसका भी पुरजोर तरीके से विरोध करना चाहिए. साथ ही चंड़ीगढ़ प्रसाशक के तौर पर हरियाणा के राज्यपाल की भी नियुक्ति होनी चाहिए. वहीं राज्यपाल की नियुक्ति के लिए रोटेशन पॉलिसी लागू होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी है और रहेगी- दुष्यंत चौटाला

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चंडीगढ़: चंडीगढ़ मुद्दे को लेकर बुलाए गए हर‍ियाणा व‍िधानसभा के व‍िशेष सत्र (Haryana Assembly Special Session) में पक्ष और व‍िपक्ष पूरी तरह से एकजुट नजर आ रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष ने पंजाब सरकार द्वारा पास प्रस्ताव के विरुद्ध हरियाणा विधानसभा में लाए गए हरियाणा सरकार के प्रस्ताव का सदन में समर्थन किया. हुड्डा ने सरकार को भरोसा दिलाया कि प्रदेशहित के मुद्दे पर विपक्ष राजनीति से ऊपर उठकर सरकार के साथ खड़ा है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा कहा कि सरकार जहां कहेगी, उस मोर्चे पर हरियाणा के हक में लड़ने के लिए विपक्ष तैयार है. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलना चाहिए व एक सुर में हरियाणा के अधिकारों की वकालत करनी चाहिए. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा में पास किया गया प्रस्ताव एक राजनीतिक जुमला है. इसके कोई संवैधानिक मायने नहीं है. लेकिन हरियाणा के सभी राजनीतिक दलों को ऐसी प्रदेश विरोधी गतिविधियों के विरूद्ध एकजुटता से खड़ा होना चाहिए. क्योंकि इससे पहले भी पंजाब की सरकारों द्वारा हरियाणा के हितों का अतिक्रमण करने की कोशिश होती रही है और हरियाणा की जनता का हक मारने का काम किया गया है.

हरियाणा के हित में राजनीति से ऊपर उठकर खड़े हैं सरकार के साथ- भूपेंद्र सिंह हुड्डा

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उन्होंने ने बताया कि अलग राज्य बनने के बाद से ही हरियाणा और पंजाब के बीच तीन मसलों पर विवाद चलता आ रहा है. पहला पानी, दूसरा हिंदी भाषी क्षेत्र और तीसरा राजधानी का मसाला. उन्होंने कहा कि किस तरह पानी को लेकर अलग-अलग कमीशन और कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसले सुनाए. शाह कमीशन ने चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी बनाए रखने की सिफारिश की थी. साथ ही हिंदी भाषी क्षेत्रों को भी हरियाणा में मिलाने पर बरसों से केंद्र सरकार से बातचीत हो रही है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हमारी प्रथम प्राथमिकता है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक हरियाणा को एसवाईएल का पानी मिले. वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट हरियाणा के पक्ष में फैसला सुना चुकी है. सबसे पहले उसे अमल किया जाना चाहिए. उसके बाद अन्य मसलों पर भी बातचीत होनी चाहिए. दोनों प्रदेश की सरकार बातचीत तो करें पर हरियाणा के अधिकारों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. पंजाब हमारा बड़ा भाई यानी एल्डर ब्रॉदर है, लेकिन हम पर हावी होने की कोशिश कतई ना करें. हरियाणा के अधिकारों को बाईपास करके एकतरफा फैसलों के चलन से पंजाब सरकार को बचना चाहिए.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में हरियाणा की स्थाई सदस्यता खत्म करने का मसला भी आज सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में पहले सदस्य (पावर) पंजाब से और सदस्य (सिंचाई) हरियाणा से होते थे. लेकिन नए नियमों में यह अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. नए नियमों से हरियाणा के हित सुरक्षित नहीं रह पाएंगे. हरियाणा सरकार को इसका भी पुरजोर तरीके से विरोध करना चाहिए. साथ ही चंड़ीगढ़ प्रसाशक के तौर पर हरियाणा के राज्यपाल की भी नियुक्ति होनी चाहिए. वहीं राज्यपाल की नियुक्ति के लिए रोटेशन पॉलिसी लागू होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी है और रहेगी- दुष्यंत चौटाला

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