चंडीगढ़: हरियाणा की राजनीति में न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum support price) को लेकर बयानबाजियों का दौर फिर शुरू हो गया है. सीएम मनोहर लाल अपनी सरकार को गन्ने पर सबसे ज्यादा एमएसपी देने वाली सरकार बता रही है, वहीं हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया. भूपेंद्र हुड्डा का कहना है कि उनकी सरकार में फसलों पर सबसे ज्यादा एमएसपी दी गई थी.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि इन दिनों बीजेपी-जेजेपी सरकार गन्ने का रेट सिर्फ 12 रूपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर जमकर प्रचार और इवेंटबाजी कर रही है. जबकि, खेती की बढ़ती लागत की तुलना में सभी फसलों की एमएसपी व गन्ने की एफआरपी में बढ़ोत्तरी नाममात्र है. नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि कांग्रेस सरकार द्वारा साढ़े 9 साल के कार्यकाल में गन्ने के रेट में 165 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई, यानी हर साल 16 प्रतिशत से भी ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई.
भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार के 7 साल के कार्यकाल में कुल 16 फीसदी यानी कांग्रेस से 10 गुना कम बढ़ोत्तरी हुई. हरियाणा में 2005 तक किसानों को गन्ने का सिर्फ 117 रुपये रेट दिया जाता था, लेकिन, कांग्रेस सरकार आने के बाद इसमें ऐतिहासिक 193 रुपये की बढ़ोत्तरी करते हुए, रेट 310 रुपये तक पहुंचाया गया. जबकि, भाजपा सरकार ने 7 साल में सिर्फ 52 रुपये बढ़ोत्तरी करते हुए गन्ने का रेट 362 रुपये ही किया है.
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पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी सरकार में मंहगाई पर भी कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में पेट्रोल-डीजल के दाम, गन्ना खेती की लागत, लेबर से लेकर खाद, बीज, दवाई और खेती उपकरणों पर खर्च में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. सिर्फ डीजल की बात करें तो कांग्रेस सरकार के समय हरियाणा में इसका रेट लगभग 56 रुपये प्रति लीटर था, जो अब बढ़कर लगभग 90 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच चुका है.
पूर्व सीएम ने कहा कि इस डीजल में ही लगभग 62 फीसदी बढ़ोतरी हो चुकी है. पिछले 7 साल में जो लागत बढ़ी है उसकी तुलना में बढ़ोतरी न के बराबर है. भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान किसानों को 15 दिनों के भीतर गन्ने की पेमेंट हो जाती थी, लेकिन मौजूदा सरकार के दौरान कई-कई महीने तक मिलों में किसान का बकाया फंसा रहता है. आज भी नारायणगढ़ मिल में किसानों का सैंकड़ों करोड़ रुपया बकाया है, जिसका भुगतान बाकी है.
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