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भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस की स्टीयरिंग कमेटी में क्यों नहीं मिली जगह, जानिए राजनीतिक जानकार क्या कहते हैं

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Published : Oct 29, 2022, 9:04 PM IST

कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष की नियुक्ति होने के बाद पार्टी ने नई स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया (Formation of new steering committee of Congress) है. इस कमेटी में 47 नेताओं को शामिल किया गया है, जिसमें खासतौर पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी भी शामिल हैं. G-23 के कई नेताओं को भी स्टीयरिंग कमेटी में शामिल किया गया है. सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर भूपेंद्र हुड्डा को इसमें जगह ना देकर पार्टी क्या संदेश देना चाहती है.

Formation of new steering committee of Congress
Formation of new steering committee of Congress

चंडीगढ़: कांग्रेस की स्टीयरिंग कमेटी में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके राज्यसभा सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा को जगह नहीं मिली. सियासी गलियारों में इस बात को लेकर काफी चर्चा शुरू हो गई है, क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा नए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बने थे. उन्होंने खड़गे के अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान उनके समर्थन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी.

राजनीतिक मामलों के जानकर प्रोफेसर गुरमीत सिंह इस पर कहते हैं कि हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी ने इन दोनों नेताओं के लिए पार्टी के अंदर कोई और भूमिका तय की हो. जिसकी वजह से उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया है. वे यह भी कहते हैं कि पार्टी जानती है कि हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बिना कांग्रेस का चल पाना आसान नहीं है. ऐसे में हो सकता है कि भविष्य में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अंदर किसी और भूमिका में शामिल किया जाए.

कांग्रेस पार्टी ने स्टीयरिंग कमेटी (Congress Steering Committee) में जिन दो नेताओं को हरियाणा से जगह दी है, उनमें पूर्व हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर पार्टी ने क्यों भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इसमें जगह नहीं मिली. राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि हो सकता है पार्टी हरियाणा में चल रही कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी को बैलेंस करने का प्रयास किया गया हो. प्रोफेसर कहते हैं कि बीते कुछ समय से जिस तरीके से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में पार्टी के एक ताकतवर नेता के तौर पर खुद को बरकरार रखे हुए हैं उससे कई नेता नाराज चल रहे हैं.

हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष को भी उनकी पसंद का बनाया गया है. कांग्रेस पार्टी के डेलिगेट्स की नियुक्ति हो या फिर आदमपुर विधानसभा उपचुनाव (Adampur assembly by election) में उम्मीदवार का चयन, इन सब में भी उनकी ताकत के आगे पार्टी के अंदर उनके विरोधी कमजोर दिखाई दिए. जिससे नाराज होकर पार्टी के कुछ नेता इन सब मसलों पर सवाल भी उठाने लगे थे. ऐसे में हो सकता है पार्टी ने उसको संतुलित करने के लिए भी इस तरह का कदम उठाया हो.

प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि वर्तमान स्थितियों में कांग्रेस पार्टी किसी भी तरह का जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि बीते कुछ समय में जिस तरीके से पार्टी से कई नेताओं ने नाराज होकर किनारा किया है, अब कांग्रेस पार्टी हरियाणा में उसको फिर से दोहराकर खुद को कमजोर नहीं करना चाहेगी.

गुरमीत सिंह के मुताबिक हरियाणा के अंदर भूपेंद्र सिंह हुड्डा पार्टी के सबसे मजबूत नेता के तौर पर जाने जाते हैं. पार्टी उनसे नाराज नेताओं को केंद्र में जगह देकर उनकी नाराजगी को कम करने का प्रयास कर रही हो. साथ ही ऐसा करके पार्टी यह संदेश देने की भी कोशिश कर रही होगी कि उनके लिए हरियाणा के सभी वरिष्ठ नेता अहम हैं और पार्टी को उनकी भी उतनी ही जरूरत है जितनी की अन्य नेताओं की.

यह भी पढ़ें-कांग्रेस की सबसे पावरफुल स्टीरिंग कमेटी में भूपेंन्द्र हुड्डा को नहीं मिली जगह

चंडीगढ़: कांग्रेस की स्टीयरिंग कमेटी में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके राज्यसभा सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा को जगह नहीं मिली. सियासी गलियारों में इस बात को लेकर काफी चर्चा शुरू हो गई है, क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा नए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बने थे. उन्होंने खड़गे के अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान उनके समर्थन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी.

राजनीतिक मामलों के जानकर प्रोफेसर गुरमीत सिंह इस पर कहते हैं कि हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी ने इन दोनों नेताओं के लिए पार्टी के अंदर कोई और भूमिका तय की हो. जिसकी वजह से उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया है. वे यह भी कहते हैं कि पार्टी जानती है कि हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बिना कांग्रेस का चल पाना आसान नहीं है. ऐसे में हो सकता है कि भविष्य में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अंदर किसी और भूमिका में शामिल किया जाए.

कांग्रेस पार्टी ने स्टीयरिंग कमेटी (Congress Steering Committee) में जिन दो नेताओं को हरियाणा से जगह दी है, उनमें पूर्व हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर पार्टी ने क्यों भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इसमें जगह नहीं मिली. राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि हो सकता है पार्टी हरियाणा में चल रही कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी को बैलेंस करने का प्रयास किया गया हो. प्रोफेसर कहते हैं कि बीते कुछ समय से जिस तरीके से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में पार्टी के एक ताकतवर नेता के तौर पर खुद को बरकरार रखे हुए हैं उससे कई नेता नाराज चल रहे हैं.

हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष को भी उनकी पसंद का बनाया गया है. कांग्रेस पार्टी के डेलिगेट्स की नियुक्ति हो या फिर आदमपुर विधानसभा उपचुनाव (Adampur assembly by election) में उम्मीदवार का चयन, इन सब में भी उनकी ताकत के आगे पार्टी के अंदर उनके विरोधी कमजोर दिखाई दिए. जिससे नाराज होकर पार्टी के कुछ नेता इन सब मसलों पर सवाल भी उठाने लगे थे. ऐसे में हो सकता है पार्टी ने उसको संतुलित करने के लिए भी इस तरह का कदम उठाया हो.

प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि वर्तमान स्थितियों में कांग्रेस पार्टी किसी भी तरह का जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि बीते कुछ समय में जिस तरीके से पार्टी से कई नेताओं ने नाराज होकर किनारा किया है, अब कांग्रेस पार्टी हरियाणा में उसको फिर से दोहराकर खुद को कमजोर नहीं करना चाहेगी.

गुरमीत सिंह के मुताबिक हरियाणा के अंदर भूपेंद्र सिंह हुड्डा पार्टी के सबसे मजबूत नेता के तौर पर जाने जाते हैं. पार्टी उनसे नाराज नेताओं को केंद्र में जगह देकर उनकी नाराजगी को कम करने का प्रयास कर रही हो. साथ ही ऐसा करके पार्टी यह संदेश देने की भी कोशिश कर रही होगी कि उनके लिए हरियाणा के सभी वरिष्ठ नेता अहम हैं और पार्टी को उनकी भी उतनी ही जरूरत है जितनी की अन्य नेताओं की.

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