चंडीगढ़: हरियाणा में धान घोटाले को लेकर भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई की तरफ से आज चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हरियाणा में करोड़ों रुपये के धान घोटाले का आरोप लगाए हैं.
यूनियन के प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी और आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश कुमार ने कहा कि आढ़ती, सेलर और सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत कर हरियाणा में धान घोटाला हुआ है.
अधिकारियों पर धान घोटाले के आरोप
उन्होंने कहा कि सेलर और आढ़ती की तरफ से कागजों में दिखा दिया गया कि हरियाणा के किसानों से धान ले लिया गया है, लेकिन ये धान महज कागजों पर ही खरीदा गया. इसमें सच्चाई ये है कि यूपी और बिहार के आढ़तियों से सस्ते दामों में धान की खरीद की और उसे कागजों में दिखाया गया. हरियाणा के किसानों का धान ये कह कर नहीं लिया गया कि कोटा पूरा हो गया. प्रदेश के किसानों से धान बहुत ही कम संख्या में खरीद गया है.
गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि सरकार का कहना है कि 64 लाख 40 हजार 108 मीट्रिक टन धान खरीदा गया और मिलिंग के लिए 1304 राइस मिलर्स को दिया गया है, लेकिन इसमें हरियाणा के किसानों का धान बहुत ही कम है. सरकार ने धान की जो जांच करवाई उसमें माना है कि 1204 मिल्स में 90 करोड़ का चावल कम पाया है.
सीबीआई जांच की मांग
यहां पर गौर करने की बात है कि कागजों पर सरकार को आढ़ती और सेलर ने धान की खरीद दिखा दी, जो कि हरियाणा से नहीं हुई और आढ़ती ने सरकार से कमीशन लेने के साथ सेलर्स नेम मीनिंग ट्रांसपोर्ट आदि का खर्चा ले लिया.
इससे हरियाणा के किसानों को चूना लगाया गया है. इस घोटाले पर किसान यूनियन सीबीआई जांच की मांग करते हैं. अगर सीबीआई जांच नहीं होती है तो हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा. जिसको लेकर किसान यूनियन जिलेवार आंदोलन भी करेगी.
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वहीं गुरनाम सिंह चढूनी ने सरकार पर आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार ने प्रदेश के किसानों के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा के तहत फसल का ब्यौरा देने की कंडीशन रख दी. मगर बाहरी राज्यों के किसानों के लिए रियायत दे दी है कि टेलीफोन के माध्यम से अपनी फसल का पंजीकरण करवा सकते हैं ताकि धान घोटाला हो सके.