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चंडीगढ़ में एंबुलेंस की कमी को दूर करने के लिए प्रशासन ने बनाई रणनीति - नेशनल एंबुलेंस सर्विस

चंडीगढ़ के लिए सरकार द्वारा 8 एंबुलेंस दी गई है, जो कि बहुत ही कम है. ऐसे में मरीजों के लिए एंबुलेंस की कमी आ रही है. इस बात का फायदा निजी एंबुलेंस वाले मरीजों से मनचाहे पैसे वसूल कर उठा रहे हैं. इसी वजह से प्रशासन ने अब एक बड़ा फैसला लिया है.

ambulances shortage in Chandigarh
चंडीगढ़ में एंबुलेंस की कमी दूर करने के लिए प्रशासन ने बनाई रणनीति.
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Published : Mar 6, 2023, 9:27 PM IST

चंडीगढ़ में एंबुलेंस की कमी दूर करने के लिए प्रशासन ने बनाई रणनीति.

चंडीगढ़: शहर में स्वास्थ्य के तीन बड़े संस्थान होने के बावजूद भी एंबुलेंस की कमी आ रही है. ऐसे में शहर में राज्य के तौर पर दी गई आठ एंबुलेंस ही चल रही हैं. जिनमें से तीन एंबुलेंस से मरीजों को अस्पताल से घर छोड़ने के लिए रखा गया है. वहीं, बाकी को इमरजेंसी कॉल आने पर मरीज को लाने और ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. चंडीगढ़ में निजी एंबुलेंस इस बात का फायदा उठाते हुए मरीजों से मनचाहे पैसे वसूलने का काम कर रही हैं.

वहीं, सरकारी अस्पतालों की एंबुलेंस सेवा उपलब्ध ना होने से लोग आए दिन शिकायतें दर्ज करवा रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण कई बार लोगों को स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पाती है. इसके कारण जरूरतमंद मरीजों को निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है. जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से मरीजों को शहर के सामाजिक संगठन, सभाओं, और एनजीओ की ओर से चलाई जा रही एंबुलेंस को सरकारी एंबुलेंस के तौर पर उपलब्ध कर इस्तेमाल करने का फैसला प्रशासन द्वारा लिया गया है.

इस बारे में जानकारी देते हुए चंडीगढ़ डीएचएस डॉ. सुमन सिंह ने बताया कि चंडीगढ़ में दो तरह की एंबुलेंस की सुविधा है. एक जो सरकारी तौर पर चलती हैं. वहीं, एक प्राइवेट सेक्टर की एंबुलेंस है. चंडीगढ़ में 3 बड़े हॉस्पिटल हैं जिनमें सेक्टर 32, सेक्टर 16 और पीजीआई शामिल है. वहीं, इस समय पीजीआई और सेक्टर 32 में जो एंबुलेंस है, वह उन्हीं संस्थानों के बीच में चलती है. इन संस्थानों में इस्तेमाल होने वाली एंबुलेंस को आम जनता के लिए बाहर नहीं निकाला जाता.

उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में 8 एंबुलेंस हैं, जिनमें से 3 एंबुलेंस का इस्तेमाल मरीजों को इमरजेंसी के समय अस्पताल में लाने और घर तक छोड़ने के लिए किया जाता है. 6 एंबुलेंस नेशनल एंबुलेंस सर्विस के अंदर चला रहे हैं. ऐसे में इन एंबुलेंस का इस्तेमाल उस समय किया जाता है, जब किसी मरीज के द्वारा इमरजेंसी कॉल आती है. सरकारी एंबुलेंस के अलावा शहर में इस समय 42 प्राइवेट एंबुलेंस है. जिनका समय लाने और ले जाने के समय की फीस की कोई जानकारी नहीं रखी गई है.

ऐसे में सरकारी और गैर सरकारी एंबुलेंस को एक स्तर पर लेते हुए, लोगों की भलाई के लिए इस्तेमाल में लाने के लिए योजना बनाई जा रही है. इस योजना के मुताबिक एंबुलेंस सेवा के लिए सिर्फ एक ही नंबर उपलब्ध करवाया जाएगा. इन प्राइवेट एंबुलेंस के लिए एक मिनिमम अमाउंट तय किया जाएगा. ताकि लोगों पर एंबुलेंस का अधिक खर्च का बोझ ना पढ़ सके.

ये भी पढ़ें: कैथल में दुष्कर्म के दोषी को 10 साल की कैद, 7 साल की मासूम बच्ची के साथ की थी वारदात

आगामी 17 मार्च को एंबुलेंस सेवा के लिए शुल्क तय करने के संबंध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा बैठक रखी गई है. जिनमें चंडीगढ़ नवयुवक उमंग फाउंडेशन, चंडीगढ़ सेवा सोसायटी, इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी, सेवा भारती, अग्रवाल सभा, सनातन धर्म समिति, निष्काम सेवा आदि सामाजिक संगठन की एंबुलेंस को आम मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. ऐसे में इन एंबुलेंस की सेवाओं को सरकारी सेवाओं के साथ जोड़ा जाएगा. 17 मार्च को स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस संबंध में कीमतें भी तय की जाएगी. जिसमें उक्त सभी संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.

ये भी पढ़ें: चंडीगढ़ पेड पार्किंग केस को लेकर विपक्ष का सदन में हंगामा, अधिकारियों की भूमिका की होगी जांच

चंडीगढ़ में एंबुलेंस की कमी दूर करने के लिए प्रशासन ने बनाई रणनीति.

चंडीगढ़: शहर में स्वास्थ्य के तीन बड़े संस्थान होने के बावजूद भी एंबुलेंस की कमी आ रही है. ऐसे में शहर में राज्य के तौर पर दी गई आठ एंबुलेंस ही चल रही हैं. जिनमें से तीन एंबुलेंस से मरीजों को अस्पताल से घर छोड़ने के लिए रखा गया है. वहीं, बाकी को इमरजेंसी कॉल आने पर मरीज को लाने और ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. चंडीगढ़ में निजी एंबुलेंस इस बात का फायदा उठाते हुए मरीजों से मनचाहे पैसे वसूलने का काम कर रही हैं.

वहीं, सरकारी अस्पतालों की एंबुलेंस सेवा उपलब्ध ना होने से लोग आए दिन शिकायतें दर्ज करवा रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण कई बार लोगों को स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पाती है. इसके कारण जरूरतमंद मरीजों को निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है. जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से मरीजों को शहर के सामाजिक संगठन, सभाओं, और एनजीओ की ओर से चलाई जा रही एंबुलेंस को सरकारी एंबुलेंस के तौर पर उपलब्ध कर इस्तेमाल करने का फैसला प्रशासन द्वारा लिया गया है.

इस बारे में जानकारी देते हुए चंडीगढ़ डीएचएस डॉ. सुमन सिंह ने बताया कि चंडीगढ़ में दो तरह की एंबुलेंस की सुविधा है. एक जो सरकारी तौर पर चलती हैं. वहीं, एक प्राइवेट सेक्टर की एंबुलेंस है. चंडीगढ़ में 3 बड़े हॉस्पिटल हैं जिनमें सेक्टर 32, सेक्टर 16 और पीजीआई शामिल है. वहीं, इस समय पीजीआई और सेक्टर 32 में जो एंबुलेंस है, वह उन्हीं संस्थानों के बीच में चलती है. इन संस्थानों में इस्तेमाल होने वाली एंबुलेंस को आम जनता के लिए बाहर नहीं निकाला जाता.

उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में 8 एंबुलेंस हैं, जिनमें से 3 एंबुलेंस का इस्तेमाल मरीजों को इमरजेंसी के समय अस्पताल में लाने और घर तक छोड़ने के लिए किया जाता है. 6 एंबुलेंस नेशनल एंबुलेंस सर्विस के अंदर चला रहे हैं. ऐसे में इन एंबुलेंस का इस्तेमाल उस समय किया जाता है, जब किसी मरीज के द्वारा इमरजेंसी कॉल आती है. सरकारी एंबुलेंस के अलावा शहर में इस समय 42 प्राइवेट एंबुलेंस है. जिनका समय लाने और ले जाने के समय की फीस की कोई जानकारी नहीं रखी गई है.

ऐसे में सरकारी और गैर सरकारी एंबुलेंस को एक स्तर पर लेते हुए, लोगों की भलाई के लिए इस्तेमाल में लाने के लिए योजना बनाई जा रही है. इस योजना के मुताबिक एंबुलेंस सेवा के लिए सिर्फ एक ही नंबर उपलब्ध करवाया जाएगा. इन प्राइवेट एंबुलेंस के लिए एक मिनिमम अमाउंट तय किया जाएगा. ताकि लोगों पर एंबुलेंस का अधिक खर्च का बोझ ना पढ़ सके.

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आगामी 17 मार्च को एंबुलेंस सेवा के लिए शुल्क तय करने के संबंध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा बैठक रखी गई है. जिनमें चंडीगढ़ नवयुवक उमंग फाउंडेशन, चंडीगढ़ सेवा सोसायटी, इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी, सेवा भारती, अग्रवाल सभा, सनातन धर्म समिति, निष्काम सेवा आदि सामाजिक संगठन की एंबुलेंस को आम मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. ऐसे में इन एंबुलेंस की सेवाओं को सरकारी सेवाओं के साथ जोड़ा जाएगा. 17 मार्च को स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस संबंध में कीमतें भी तय की जाएगी. जिसमें उक्त सभी संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.

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