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ईटीवी भारत की खबर पर कृषि मंत्री ने लिया संज्ञान, बोले- सब्जियों को भी करेंगे फसल बीमा योजना में शामिल - भिवानी टमाटर खेती खराब

भिवानी की तोशाम विधानसभा में किसानों के टमाटर की फसल एक से दो रुपये किलो के भाव से मंडियों में खरीदी जा रही थी. जिसके बाद किसानों ने टमाटर को नष्ट करने के लिए खेत में ही ट्रैक्टर चला दिया. इस खबर को ईटीवी भारत हरियाणा ने प्रमुखता से दिया. कृषि मंत्री को डिजिटल चैट कार्यक्रम के जरिए अवगत करवाया. अब इस खबर का असर हुआ है.

agriculture minister jp dalal reached tomatoes farmers after etv bharat story
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Published : May 28, 2020, 7:03 AM IST

भिवानी: किसानों के टमाटर की बिक्री ना होने का मुद्दा ईटीवी भारत हरियाणा ने प्रमुखता से दिखाया कि किस तरीके से किसान टमाटर फसल को खेत में ही नष्ट कर रहे थे. ईटीवी भारत ने खबर की गंभीरता को समझा और डिजिटल चैट कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री जेपी दलाल के सामने उनकी समस्या रखी.

स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव ने भी इस मुद्दे पर कृषि मंत्री जेपी दलाल से सवाल पूछे. साथ ही ईटीवी भारत ने डिजिटल चैट कार्यक्रम के जरिए कृषि मंत्री को किसानों की समस्या से अवगत करवाया. इसके बाद खबर पर संज्ञान लेते हुए कृषि मंत्री जेपी दलाल बिना कोई देर किए पीड़ित किसानों से मुलाकात की. उन्होंने किसानों को नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया.

क्लिक कर देखें स्पेशल रिपोर्ट

ये था पूरा मामला

बता दें कि भिवानी की तोशाम विधानसभा में किसानों के टमाटर की बिक्री नहीं हो रही थी. जिसके विरोध में करीब 8 गांव के किसान धरने पर बैठ गए. किसानों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उनकी फसल 1 से दो रुपये किलो के भाव से बिक रही है. जिससे उन्हें काफी घाटा हुआ. मजबूरन किसानों ने टमाटर की फसल पर ट्रैक्टर चलाना ही सही समझा. किसानों की इस समस्या सामाजिक सरोकार रखने वाले ईटीवी भारत ने प्रमुखता से उठाया. जिसके बाद कृषि मंत्री धरना दे रहे किसानों के पास पहुंचे और उन्हें नुकासन की भरपाई का आश्वासन दिया.

टमाटर की खेती करने वाले किसान रमेश ने कहा कि टमाटर के उत्पादन पर प्रति किलो चार रुपये और उसे तोड़ने, छटाई करने और मंडी तक पहुंचे में चार रुपये प्रति किलो का खर्च आता है. कुल मिला कर टमाटर की खेती पर उन्हें 8 रुपये प्रति किलो का खर्च आता है. जबकि मंडियों में ये टमाटर एक या दो रुपये किलो बिक रहा है. फिर वही टमाटर लोगों को दुकानों और रेहड़ियों पर 20 से 30 रुपये किलो मिलता है.

टमाटर किसानों पर आर्थिक संकट

रोशन और सुरेश नाम के किसान ने बताया कि टमाटर ने उन्हें बर्बाद कर दिया है. राजकुमार ने यहां तक कहा कि उसने 53 एकड़ में टमाटर की बुआई की और बिक्री ना होने पर बर्बाद हो गया. किसान ने कहा कि घर वाले उसे घर में नहीं घुसने देते. उन्होंने सरकार से पूछा कि अब अगली फसल की बुआई-बिजाई कैसे करें, कैसे खाने के लिए गेहूं और तूड़ी खरीदें, कैसे बच्चों के स्कूल की फीस दें. इन किसानों का कहना है कि सरकार ने उनकी मदद नहीं कि तो मजबूरी में आत्महत्या कर लेंगे.

ये भी पढ़ें- धान पर सियासी जंग, किसान बोले- सरकार के साथ लठ उठाकर भी लड़ना पड़े तो हम लड़ेंगे

फिलहाल तो कृषि मंत्री जेपी दलाल ने किसानों को आश्वसान दिया है कि वो इस बार सब्जियों को भी फसल बीमा योजना में लेकर आएंगे जिससे कि किसानों को नुकसान की आशंका कम से कम होगी. उन्होंने किसानों को नुकसान की भरपाई करने का भी आश्वासन दिया. जिससे किसान संतुष्ट दिखे.

भिवानी: किसानों के टमाटर की बिक्री ना होने का मुद्दा ईटीवी भारत हरियाणा ने प्रमुखता से दिखाया कि किस तरीके से किसान टमाटर फसल को खेत में ही नष्ट कर रहे थे. ईटीवी भारत ने खबर की गंभीरता को समझा और डिजिटल चैट कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री जेपी दलाल के सामने उनकी समस्या रखी.

स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव ने भी इस मुद्दे पर कृषि मंत्री जेपी दलाल से सवाल पूछे. साथ ही ईटीवी भारत ने डिजिटल चैट कार्यक्रम के जरिए कृषि मंत्री को किसानों की समस्या से अवगत करवाया. इसके बाद खबर पर संज्ञान लेते हुए कृषि मंत्री जेपी दलाल बिना कोई देर किए पीड़ित किसानों से मुलाकात की. उन्होंने किसानों को नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया.

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ये था पूरा मामला

बता दें कि भिवानी की तोशाम विधानसभा में किसानों के टमाटर की बिक्री नहीं हो रही थी. जिसके विरोध में करीब 8 गांव के किसान धरने पर बैठ गए. किसानों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उनकी फसल 1 से दो रुपये किलो के भाव से बिक रही है. जिससे उन्हें काफी घाटा हुआ. मजबूरन किसानों ने टमाटर की फसल पर ट्रैक्टर चलाना ही सही समझा. किसानों की इस समस्या सामाजिक सरोकार रखने वाले ईटीवी भारत ने प्रमुखता से उठाया. जिसके बाद कृषि मंत्री धरना दे रहे किसानों के पास पहुंचे और उन्हें नुकासन की भरपाई का आश्वासन दिया.

टमाटर की खेती करने वाले किसान रमेश ने कहा कि टमाटर के उत्पादन पर प्रति किलो चार रुपये और उसे तोड़ने, छटाई करने और मंडी तक पहुंचे में चार रुपये प्रति किलो का खर्च आता है. कुल मिला कर टमाटर की खेती पर उन्हें 8 रुपये प्रति किलो का खर्च आता है. जबकि मंडियों में ये टमाटर एक या दो रुपये किलो बिक रहा है. फिर वही टमाटर लोगों को दुकानों और रेहड़ियों पर 20 से 30 रुपये किलो मिलता है.

टमाटर किसानों पर आर्थिक संकट

रोशन और सुरेश नाम के किसान ने बताया कि टमाटर ने उन्हें बर्बाद कर दिया है. राजकुमार ने यहां तक कहा कि उसने 53 एकड़ में टमाटर की बुआई की और बिक्री ना होने पर बर्बाद हो गया. किसान ने कहा कि घर वाले उसे घर में नहीं घुसने देते. उन्होंने सरकार से पूछा कि अब अगली फसल की बुआई-बिजाई कैसे करें, कैसे खाने के लिए गेहूं और तूड़ी खरीदें, कैसे बच्चों के स्कूल की फीस दें. इन किसानों का कहना है कि सरकार ने उनकी मदद नहीं कि तो मजबूरी में आत्महत्या कर लेंगे.

ये भी पढ़ें- धान पर सियासी जंग, किसान बोले- सरकार के साथ लठ उठाकर भी लड़ना पड़े तो हम लड़ेंगे

फिलहाल तो कृषि मंत्री जेपी दलाल ने किसानों को आश्वसान दिया है कि वो इस बार सब्जियों को भी फसल बीमा योजना में लेकर आएंगे जिससे कि किसानों को नुकसान की आशंका कम से कम होगी. उन्होंने किसानों को नुकसान की भरपाई करने का भी आश्वासन दिया. जिससे किसान संतुष्ट दिखे.

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