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हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा पहुंचा हाईकोर्ट, कानून रद्द करने की मांग

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Published : Mar 12, 2021, 1:21 PM IST

हरियाणा में प्रदेश के युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने के हरियाणा सरकार के फैसले को एके इंडस्ट्रीज ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

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एके इंडस्ट्रीज नौकरी 75 प्रतिशत आरक्षण घातक हरियाणा लेटेस्ट न्यूज

हरियाणा में प्रदेश के युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण का मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गया है. बता दें कि हरियाणा सरकार के फैसले को एके इंडस्ट्रीज ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है.याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया है कि सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ खिलवाड़ है.

दायर याचिका में मांग की गई है कि माननीय हाईकोर्ट सरकार की इस नीति को रद्द करें.याचिका के अनुसार हरियाणा सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ अन्याय है. ओपन की जगह आरक्षण क्षेत्र से चयन करना उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा.सरकार का यह फैसला अधिकार क्षेत्र से बाहर है.सरकार का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के भी खिलाफ है.

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गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने राज्य में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75% आरक्षण हरियाणा के रिहायशी प्रमाण पत्र धारकों के लिए जरूरी कर दिया है.यह आरक्षण 50000 रुपए मासिक तक के वेतन की नौकरियों के लिए है. राज्य में चल रही निजी क्षेत्र की उन कंपनियों पर यह नियम लागू होगा जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं.

ये भी पढ़ें: पानीपत: नाबालिग लड़की को बहला फुसलाकर ले जाने वाले आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार

नियम के मुताबिक एसडीएम या इससे उच्च स्तर के अधिकारी 75% आरक्षण की जांच कर सकेंगे.अधिकारी कंपनी परिसर में भी जा सकेंगे. नियमों का उल्लंघन करने पर नियोक्ता पर 25000 रुपए से 500000 रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

ये भी पढ़ें: कैथल में घरेलू विवाद के चलते शिक्षक ने की पत्नी की हत्या

हरियाणा में प्रदेश के युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण का मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गया है. बता दें कि हरियाणा सरकार के फैसले को एके इंडस्ट्रीज ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है.याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया है कि सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ खिलवाड़ है.

दायर याचिका में मांग की गई है कि माननीय हाईकोर्ट सरकार की इस नीति को रद्द करें.याचिका के अनुसार हरियाणा सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ अन्याय है. ओपन की जगह आरक्षण क्षेत्र से चयन करना उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा.सरकार का यह फैसला अधिकार क्षेत्र से बाहर है.सरकार का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के भी खिलाफ है.

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गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने राज्य में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75% आरक्षण हरियाणा के रिहायशी प्रमाण पत्र धारकों के लिए जरूरी कर दिया है.यह आरक्षण 50000 रुपए मासिक तक के वेतन की नौकरियों के लिए है. राज्य में चल रही निजी क्षेत्र की उन कंपनियों पर यह नियम लागू होगा जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं.

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नियम के मुताबिक एसडीएम या इससे उच्च स्तर के अधिकारी 75% आरक्षण की जांच कर सकेंगे.अधिकारी कंपनी परिसर में भी जा सकेंगे. नियमों का उल्लंघन करने पर नियोक्ता पर 25000 रुपए से 500000 रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

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