चंडीगढ़: महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर सियासी नाटक लगातार जारी है. महाराष्ट्र में इस वक्त कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ी जा रही है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी तीर छोड़े जा रहे हैं.
विपक्ष की तरफ से उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं. हरियाणा में भी एक ऐसा दौर आया था, जब एक राज्यपाल पर सत्ता की सेवा करने का आरोप लगा था. विपक्ष ने उन्हें देश के सामने झूठा बताया. यहीं नहीं खुद को कुर्सी का सही दावेदार मानने वाले दिग्गज नेता ने राज्यपाल के मुंह पर तमाचा भी जड़ दिया.
थप्पड़ जड़ने वाले नेता का नाम देवीलाल चौटाला था और उन राज्यपाल महोदय का नाम जीडी तपासे था. आज फिर देश के एक राज्यपाल को ऐसे आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. टीवी, न्यूज पोर्टल, अखबारों में 24 नवंबर को महाराष्ट्र के राज्यपाल के लिए अलग-अलग टाइटल इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
कहा जा रहा है कि राज्यपाल की मदद से अंधेरे में घात लगाकर सत्ता की चिड़िया पकड़ी गई. टीवी चैनलों पर 'चाणक्य की चतुराई', 'कोश्यारी की होशियारी', 'बेमेल गठबंधन से बच गया महाराष्ट्र', 'रातों रात पलट गई बाज़ी' जैसे जुमले उछल रहे हैं.
वहीं देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर हँसी-ठहाके का दौर जारी है, तरह-तरह के लतीफ़े, पैरोडी, वन-लाइनर और मीम लोग धड़ाधड़ शेयर कर रहे हैं.
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If there was any ethics in public life, not only Fadnavis, but RSS man Koshiyari & Kovind along with Amit Shah&Modi should resign after this brazen power grab&Maha fiasco. If there was any ethics in media, those who called this masterstroke or chanakya politics should also resign
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) November 26, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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Not only Ajit Pawar, the following people should immediately resign for trying to pull a fraud on our constitution
— Srivatsa (@srivatsayb) November 26, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
🔸Fadnavis
🔸Koshyari
🔸Shah
🔸Kovind
Their position is untenable. But Sanghis are shameless and they anyway don't believe or respect the Indian constitution.
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— Srivatsa (@srivatsayb) November 26, 2019
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🔸Shah
🔸Kovind
Their position is untenable. But Sanghis are shameless and they anyway don't believe or respect the Indian constitution.
क्या हुआ था हरियाणा में ?
वो साल था 1982. हरियाणा में भी महाराष्ट्र जैसी राजनीतिक नौटंकी हुई थी. हरियाणा का राजनीतिक इतिहास बताता है कि उस वक्त भी एक राज्यपाल को विलेन के किरदार में बताया गया था.
दरअसल 1982 के चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा अस्तित्व में आई. कांग्रेस-आई को 35 सीटें मिलीं और लोकदल को 31 सीटें. छह सीटें लोकदल की सहयोगी भाजपा को मिलीं. इन नतीजों से प्रदेश की पूरी राजनीति ही बदल गई थी और राज्यपाल ने कांग्रेस नेता चौधरी भजन लाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी.
इसका पता जब लोकदल के नेता चौधरी देवीलाल को लगा तो वह अपने सभी विधायकों के साथ राजभवन पहुंच गए. इसी के साथ उन्होंने अपने सभी विधायकों की परेड भी कराई और दावा किया कि उनके पास बहुमत है और उन्हें ही सीएम की शपथ दिलाई जाए.
राज्यपाल को मार दिया था तमाचा
वहीं, राज्यपाल ने उनकी एक न सुनी और ऐसा करने से साफ मना कर दिया. देवीलाल के साथ वहां मौजूद लोक दल के बड़े नेता भी यही नारे लगा रहे थे कि भजनलाल मंत्रिमंडल को बर्खास्त करके लोकदल की सरकार बनाए. ये नारे काफी देर तक लगते रहे.
इसके बाद जो हुआ वह और भी चौंकाने वाला था. इसी दौरान चौधरी देवीलाल और राज्यपाल जीडी तपासे के बीच बहुत तीखी बहस हो गई. इस दौरान गुस्साए देवीलाल ने तपासे की ठुड्डी पकड़ी और खरी-खोटी सुनाने लगे. इससे नाराज राज्यपाल ने उनका हाथ झटका तो गुस्साए चौधरी देवीलाल ने उनके गाल पर जोरदार तमाचा जड़ दिया. इस घटना की देशभर में निंदा की गई.
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हालांकि इसके बाद तपासे के साथ एक बुरी घटना और घटी थी. जोगिंदर सिंह हुड्डा ने देवीलाल के साथ हुए अन्याय से क्रोधित होकर तपासे के मुंह पर कालिख पोत दी थी. जिन्हें इसके बाद जोगिंदर सिंह हुड्डा तपासे के नाम जाना पहचाना जाने लगा था. परंतु वो आज इतिहास की स्मृति में कहीं खो गए हैं. राजनीति में कई घटनाएं केवल गिनाने के लिए रह जाती हैं.