चंडीगढ़: पीजीआईएमईआर में 15वें एसोसिएशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एनेस्थीसियोलॉजिस्ट से संबधी राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया. सम्मेलन में देश के 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संकाय द्वारा श्रम विश्लेषण पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में बच्चे के जन्म से जुड़े काल्पनिक बातों को उजागर किया गया. इस सम्मेलन में महिलाओं को गर्भ धारण के समय से लेकर बच्चे को जन्म देने तक की मुख्य बातें पर चर्चा की गई. (National Conference at PGIMER Chandigarh) (Obstetric Anaesthesiologists National Conference) (15th Association of Obstetric Anaesthesiologists)
इस दौरान एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ. जसमीत ने सिजेरियन डिलीवरी से पहले आमतौर पर गर्भवती महिलाएं पूछती हैं कि एनेस्थीसिया देने से उन्हें बाद में कमर दर्द तो नहीं होगा. यह सवाल बिल्कुल गलत है. एनेस्थीसिया देने की प्रक्रिया ठीक वैसी ही है जैसे हाथ में वेलफ्रॉन लगाकर ड्रिप देने की प्रक्रिया. इसमें इंजेक्शन देने के कुछ घंटे बाद तक दर्द की अनुभूति होती है, लेकिन उसके बाद सब सामान्य हो जाता है.
डॉ. ने बताया कि मौजूदा समय में हमारी जीवन शैली, रहन-सहन और खानपान ऐसे हो गए हैं कि उनके कारण कमर दर्द की समस्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में जरूरी है कि उससे बचाव के उपायों पर गंभीरता से गौर किया जाए. वहीं, लेबर पेन से बचाव के लिए अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ को शुरू से ही यह पूछें कि एनेस्थीसिया के विशेषज्ञ की देखरेख में किस तरीके से दर्द महसूस किए बिना सुरक्षित प्रसव कराया जा सकता है. उनके द्वारा बताए गए तकनीक का उपयोग करें क्योंकि मौजूदा समय में ढेरों सुरक्षित तकनीक उपलब्ध हैं.
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सम्मेलन में मौजूद यूनिवर्सिटी आफ मैरीलैंड के एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ. भवानी शंकर ने बताया कि लेबर पेन से बचाव के लिए एनेस्थीसिया की आधुनिक तकनीक के बारे में डॉक्टरों के साथ ही आमजन को जागरूक करने के लिए वह लगातार प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने painfreebirthing.com वेबसाइट भी बनाई है जिस पर कोई भी इस तकनीक से जुड़ी सभी तरह की जानकारियां महज एक क्लिक पर प्राप्त कर सकता है. (National Conference at PGIMER Chandigarh) (Obstetric Anaesthesiologists National Conference) (15th Association of Obstetric Anaesthesiologists)
पीजीआई पेन क्लीनिक की प्रभारी डॉ. बबीता घई ने बताया कि कमर दर्द की बढ़ती समस्या अब कम उम्र के लोगों में भी सामने आ रही है. इसका मुख्य कारण गलत क्रियाकलाप व खानपान है. इससे बचाव के लिए जरूरी है कि अपने रहन-सहन के साथ ही खानपान पर विशेष ध्यान दें. महिलाओं को ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है. रीढ़ का निचला हिस्सा हमारे शरीर का ज्यादातर वजन उठाता है. जब हम झुकते, मुड़ते या भारी वस्तु उठाते हैं तब भी सारा भार रीढ़ के निचले हिस्से पर पड़ता है. जब हम एक स्थान पर ज्यादा समय बैठते हैं तब भी भार उसी स्थान पर पड़ता है. इन सब कारणों से रीढ़ को सहारा देने वाली मांसपेशियां, टिश्यू और लिंगामेंट्स पर बार-बार दबाव पड़ता है. इस तरह की इंजरी को स्ट्रेस इंजरी कहते हैं जिससे लो बैक पेन या कमर दर्द वाली स्थिति उत्पन्न होती है.