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चंडीगढ़ में पटाखा बैन का बड़ा असर, पटाखे से घायल होने वाले मरीजों में आई 80 फीसदी की गिरावट - 15 घायल दीपावली पटाखा चंडीगढ़

चंडीगढ़ में पटाखे बैन होने की वजह से पटाखों की वजह से घायल होने वाले मरीजों में 80 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. इस साल पटाखे से घायल होने वाले मरीजों की संख्या सिर्फ 15 है.

15 injured due to crackers on diwali in chandigarh
चंडीगढ़ में पटाखे से घायल होने वाले मरीजों में आई 80 फीसदी की गिरावट
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Published : Nov 16, 2020, 7:31 PM IST

चंडीगढ़: यूटी में पटाखे बैन होने का इस बार बड़ा असर देखने को मिला है. चंडीगढ़ में इस बार सिर्फ एक ही मरीज पटाखे फोड़ने की वजह से घायल हुआ है. पटाखों की वजह से पिछले सालों के मुताबिक इस बार मात्र 15 मरीज ही घायल हुए हैं. ये कहना है पीजीआई के डायरेक्टर डॉक्टर जगत राम का.

चंडीगढ़ में पटाखे से घायल होने वाले मरीजों में आई 80 फीसदी की गिरावट

डॉक्टर जगत राम ने बताया कि हर साल दीपावाली की रात पटाखे लगने से आंखें गंवाने वाले मरीजो की गिनती में 80 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है. आंखों में पटाखा लगने से पीजीआई में हर साल चंडीगढ़ और आस पास के शहरों से 80 मरीज आते थे. इस वर्ष की बात करें, तो अब तक महज 15 मरीज आये हैं. जिनमे से 9 मरीजों को बिना सर्जरी के छुट्टी कर दी गई है. जबकि 6 मरीजों की सर्जरी की गई है और जिनमें से तीन मरीजों के आंखों की रौशनी वापस आने की संभावना बेहद कम है.

पीजीआई के आई डिपार्टमेंट के डॉक्टर चिंतन ने बताया कि इस बार मरीज बहुत कम आए हैं. जिसमें चंडीगढ़ से कम बल्कि आसपास इलाकों से ज्यादा मरीज सामने आए हैं, और सबसे खास बात ये है कि इनमें से अधिकतर मरीज पटाखे जला नहीं रहे थे. बल्कि पटाखे जलाते हुए देख रहे थे. जिनकी पटाखा लगने की वजह से आंखों पर चोट आई है.

गौरतलब है कि इस बार चंडीगढ़ में पटाखे पूरी तरह से ही बैन थे. इसका असर भी देखने को मिला है. हालांकि डॉक्टरों की मानें तो पटाखों को पूरी तरह से बैन कर देना चाहिए, नहीं तो कितने ही बच्चे पटाखों की वजह से अपनी आंखों की रोशनी हर साल गंवा बैठते हैं.

ये भी पढ़ें:सोनीपत: सहकारिता मंत्री बनवारी लाल ने की गन्ना पिराई सत्र की शुरुआत

चंडीगढ़: यूटी में पटाखे बैन होने का इस बार बड़ा असर देखने को मिला है. चंडीगढ़ में इस बार सिर्फ एक ही मरीज पटाखे फोड़ने की वजह से घायल हुआ है. पटाखों की वजह से पिछले सालों के मुताबिक इस बार मात्र 15 मरीज ही घायल हुए हैं. ये कहना है पीजीआई के डायरेक्टर डॉक्टर जगत राम का.

चंडीगढ़ में पटाखे से घायल होने वाले मरीजों में आई 80 फीसदी की गिरावट

डॉक्टर जगत राम ने बताया कि हर साल दीपावाली की रात पटाखे लगने से आंखें गंवाने वाले मरीजो की गिनती में 80 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है. आंखों में पटाखा लगने से पीजीआई में हर साल चंडीगढ़ और आस पास के शहरों से 80 मरीज आते थे. इस वर्ष की बात करें, तो अब तक महज 15 मरीज आये हैं. जिनमे से 9 मरीजों को बिना सर्जरी के छुट्टी कर दी गई है. जबकि 6 मरीजों की सर्जरी की गई है और जिनमें से तीन मरीजों के आंखों की रौशनी वापस आने की संभावना बेहद कम है.

पीजीआई के आई डिपार्टमेंट के डॉक्टर चिंतन ने बताया कि इस बार मरीज बहुत कम आए हैं. जिसमें चंडीगढ़ से कम बल्कि आसपास इलाकों से ज्यादा मरीज सामने आए हैं, और सबसे खास बात ये है कि इनमें से अधिकतर मरीज पटाखे जला नहीं रहे थे. बल्कि पटाखे जलाते हुए देख रहे थे. जिनकी पटाखा लगने की वजह से आंखों पर चोट आई है.

गौरतलब है कि इस बार चंडीगढ़ में पटाखे पूरी तरह से ही बैन थे. इसका असर भी देखने को मिला है. हालांकि डॉक्टरों की मानें तो पटाखों को पूरी तरह से बैन कर देना चाहिए, नहीं तो कितने ही बच्चे पटाखों की वजह से अपनी आंखों की रोशनी हर साल गंवा बैठते हैं.

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