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हॉट सीट सोनीपत: परदादा का, पिता का, सबका बदला लेंगे दिग्विजय !

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने देवीलाल को 1991,1996 और 1998 में लगातार 3 बार हराया. हालांकि वो सीट रोहतक थी और उसके बाद से ही रोहतक हुड्डा का गढ़ बन गई. ऐसा गढ़ कि भूपेंद्र सिंह हु़ड्डा पहली बार रोहतक के बाहर कहीं से चुनाव लड़ रहे हैं.

हॉट सीट सोनीपत
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Published : Apr 22, 2019, 5:41 PM IST

Updated : Apr 22, 2019, 11:10 PM IST

सोनीपत: 2019 के आम चुनाव को कांग्रेस हल्के में नहीं लेना चाहती है इसीलिए उसने हरियाणा में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इसके अलावा जेजेपी ने भी अपने सबसे मजबूत उम्मीदवारों में से एक दिग्विजय चौटाला पर दांव खेला है और बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद रमेश कौशिक पर भरोसा जताया है. अगर इनेलो की बात करें तो उन्होंने सुरेंद्र छिक्कारा को उम्मीदवार बनाया है. इन उम्मीदवारों ने सोनीपत को हॉट सीट बना दिया है. बेशक मौजूदा सांसद रमेश कौशिक यहां टक्कर में हैं लेकिन जो टक्कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दिग्विजय चौटाला के बीच है वो इस सीट को हरियाणा की सबसे हॉट सीट बनाती है.


परदादा का, पिता का, सबका बदला लेंगे दिग्विजय ?
सोनीपत से जेजेपी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने दिग्विजय चौटाला को मैदान में उतारा है. दिग्विजय चौटाला भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उम्र में काफी कम हैं लेकिन उनके पास इतिहास दोहराने का मौका है. क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिग्विजय चौटाला के परदादा चौधरी देवीलाल को लगातार 3 लोकसभा चुनावों में हराया था. उस वक्त हुड्डा की उम्र भी देवीलाल से काफी कम थी. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने देवीलाल को 1991,1996 और 1998 में लगातार 3 बार हराया. हालांकि वो सीट रोहतक थी और उसके बाद से ही रोहतक हुड्डा का गढ़ बन गई. ऐसा गढ़ कि भूपेंद्र सिंह हु़ड्डा पहली बार रोहतक के बाहर कहीं से चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन एक इतिहास ये भी है कि 1977 के परिसीमन के बाद रोहतक लोकसभा सीट से ही कटकर सोनीपत सीट बनी थी. इसाीलिए सोनीपत का मुकाबला दिलचस्प है क्योंकि देवीलाल की चौथी पीढ़ी के सामने एक बार फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं. चौटाला परिवार लगातार कहता आया है कि ओपी चौटाला और अजय चौटाला को साजिश करके हुड्डा ने ही जेल भिजवाया था. इसलिए दिग्विजय के लिए ये लड़ाई न सिर्फ परदादा के लिए है बल्कि पिता के लिए भी है.

जानिये बदला लेने पर क्या बोले दिग्विजय


सोनीपत में ये हैं वोट समीकरण ?
सोनीपत को जाटलैंड कहा जाता है. यहां जाट वोटरों का दबदबा है. इस सीट पर कुल 11 बार चुनाव हुए हैं जिसमें 9 बार जाट उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 14,17,188 है. इनमें से लगभग पौने पांच लाख मतदाता जाट हैं और लगभग डेढ़ लाख ब्राह्मण मतदाता हैं.


सोनीपत में कांग्रेस ने हर बार बदला उम्मीदवार
यहां का इतिहास कहता है कि कांग्रेस ने यहां से हर बार उम्मीदवार बदला है. 1998 में बलबीर सिंह को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया.1999 में चिरंजी लाल शर्मा को मैदान में उतारा. 004 में धर्मपाल मलिक को उम्मीदवार बना दिया गया. 2009 में जितेंद्र मलिक को कांग्रेस का टिकट मिला. 2014 में कांग्रेस ने जगबीर मलिक को उम्मीदवार बनाया और इस बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सोनीपत भेजा गया है.

सोनीपत: 2019 के आम चुनाव को कांग्रेस हल्के में नहीं लेना चाहती है इसीलिए उसने हरियाणा में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इसके अलावा जेजेपी ने भी अपने सबसे मजबूत उम्मीदवारों में से एक दिग्विजय चौटाला पर दांव खेला है और बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद रमेश कौशिक पर भरोसा जताया है. अगर इनेलो की बात करें तो उन्होंने सुरेंद्र छिक्कारा को उम्मीदवार बनाया है. इन उम्मीदवारों ने सोनीपत को हॉट सीट बना दिया है. बेशक मौजूदा सांसद रमेश कौशिक यहां टक्कर में हैं लेकिन जो टक्कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दिग्विजय चौटाला के बीच है वो इस सीट को हरियाणा की सबसे हॉट सीट बनाती है.


परदादा का, पिता का, सबका बदला लेंगे दिग्विजय ?
सोनीपत से जेजेपी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने दिग्विजय चौटाला को मैदान में उतारा है. दिग्विजय चौटाला भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उम्र में काफी कम हैं लेकिन उनके पास इतिहास दोहराने का मौका है. क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिग्विजय चौटाला के परदादा चौधरी देवीलाल को लगातार 3 लोकसभा चुनावों में हराया था. उस वक्त हुड्डा की उम्र भी देवीलाल से काफी कम थी. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने देवीलाल को 1991,1996 और 1998 में लगातार 3 बार हराया. हालांकि वो सीट रोहतक थी और उसके बाद से ही रोहतक हुड्डा का गढ़ बन गई. ऐसा गढ़ कि भूपेंद्र सिंह हु़ड्डा पहली बार रोहतक के बाहर कहीं से चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन एक इतिहास ये भी है कि 1977 के परिसीमन के बाद रोहतक लोकसभा सीट से ही कटकर सोनीपत सीट बनी थी. इसाीलिए सोनीपत का मुकाबला दिलचस्प है क्योंकि देवीलाल की चौथी पीढ़ी के सामने एक बार फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं. चौटाला परिवार लगातार कहता आया है कि ओपी चौटाला और अजय चौटाला को साजिश करके हुड्डा ने ही जेल भिजवाया था. इसलिए दिग्विजय के लिए ये लड़ाई न सिर्फ परदादा के लिए है बल्कि पिता के लिए भी है.

जानिये बदला लेने पर क्या बोले दिग्विजय


सोनीपत में ये हैं वोट समीकरण ?
सोनीपत को जाटलैंड कहा जाता है. यहां जाट वोटरों का दबदबा है. इस सीट पर कुल 11 बार चुनाव हुए हैं जिसमें 9 बार जाट उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 14,17,188 है. इनमें से लगभग पौने पांच लाख मतदाता जाट हैं और लगभग डेढ़ लाख ब्राह्मण मतदाता हैं.


सोनीपत में कांग्रेस ने हर बार बदला उम्मीदवार
यहां का इतिहास कहता है कि कांग्रेस ने यहां से हर बार उम्मीदवार बदला है. 1998 में बलबीर सिंह को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया.1999 में चिरंजी लाल शर्मा को मैदान में उतारा. 004 में धर्मपाल मलिक को उम्मीदवार बना दिया गया. 2009 में जितेंद्र मलिक को कांग्रेस का टिकट मिला. 2014 में कांग्रेस ने जगबीर मलिक को उम्मीदवार बनाया और इस बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सोनीपत भेजा गया है.

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Last Updated : Apr 22, 2019, 11:10 PM IST
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