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अरावली जमीन विवाद का पतंजलि कनेक्शन, इसलिए कठघरे में घिरी सरकार

2011 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि शामलात देह यानी गांव की साझा जमीन को ग्राम पंचायतों को वापस कर दिया जाना चाहिए और इसके साथ ही ऐसी किसी भी बिक्री को अवैध करार दिया गया.

अरावली रेंज की प्रतिबंधित जमीन (फाइल फोटो)
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Published : Jun 11, 2019, 1:18 PM IST

चंडीगढ़: अरावली रेंज की 400 एकड़ जमीन को बाबा रामदेव के पतंजलि ट्रस्ट को बेचने के आरोपों के बाद बवाल मच गया है. अब आपको बताते हैं कि आखिर क्यों अरावली क्षेत्र की जमीन बेचना या खरीदना प्रतिबंधित है.

दरअसल जिस 400 एकड़ जमीन को पतंजलि ट्रस्ट को बेचने की बात कही जा रही है. उनमें से अधिकतर ज़मीन 'ग़ैर मुमकिन पहाड़' या 'शामलात देह' की थी. खास बात ये है कि कि ग़ैर मुमकिन पहाड़ वह ज़मीन होती है जिस पर न तो खेती-किसानी, व्यवसाय किया जा सकता है और न ही किसी को कब्ज़ा दिया जा सकता है. शामलात देह गांव की साझा ज़मीन होती है जो ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में होती है और जिसे किसी व्यक्ति या कंपनी को बेचा नहीं जा सकता है.

2011 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि शामलात देह यानी गांव की साझा जमीन को ग्राम पंचायतों को वापस कर दिया जाना चाहिए और इसके साथ ही ऐसी किसी भी बिक्री को अवैध करार दिया गया.

हरियाणा सरकार ने इसी साल फ़रवरी में 'बेहतर खेती' के लिए 3,184 एकड़ ज़मीन को समेकित करने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी. इसमें एक बड़े क्षेत्र में बिखरे हुए ज़मीन के कई छोटे टुकड़े को एक साथ लाना शामिल है. जबकि इस ज़मीन का अधिकांश हिस्सा ग़ैर मुमकिन पहाड़ और शामलात देह है. जहाँ खेती और विकास के दूसरे ऐसे कार्य की अनुमति नहीं है.

हरियाणा सरकार को कोर्ट ने लगाई थी फटकार

हरियाणा विधानसभा ने इसी साल फरवरी में पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम, 1990 में संशोधन किया था, जिससे अरावली पर्वत शृंखला में रियल एस्टेट के विकास और खनन के लिए हज़ारों एकड़ ज़मीन अधिग्रहण का रास्ता साफ़ हो सके. सरकार के इस फ़ैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जंगल को तबाह करने की कोशिश करने के लिए सरकार की कड़ी फटकार लगाई थी. शीर्ष अदालत ने संशोधित अधिनियम के तहत किसी भी ज़मीन अधिग्रहण जैसी किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.

कांग्रेस ने लगाए आरोप

हरियाणा कांग्रेस ने ट्वीट जारी करके आरोप लगाया है कि फरीदाबाद के रहने वाले प्रवीण कुमार शर्मा ने ज़मीन के कम से कम 104 मालिकों के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी एग्रीमेंट के दस्तावेज़ प्रस्तुत किए हैं. शर्मा हर्बो वेद ग्राम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के आधिकारिक प्रतिनिधि हैं.

  • ये वन क्षेत्र की जमीन है। इसमें जिस प्रवीण कुमार शर्मा का नाम आया है, वो एक कंपनी को रिप्रेजेंट करते हैं, जिसे आचार्य बालकृष्ण जी कंट्रोल करते हैं। कंपनी का नाम है- हर्बो वेद ग्राम प्राइवेट लिमिटेड :

    — Haryana Congress (@INCHaryana) June 8, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अरावली लैंड डील से कैसे जुड़ा है पतंजलि समूह?

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 2016-2017 तक के जमा किए गए दस्तावेज़ों के अनुसार योग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के पास हर्बो वेद प्राइवेट लिमिटेड के 100% शेयर थे. इसके बाद के वित्तीय वर्ष 2017- 2018 में इन शेयरों में से 99% का स्वामित्व रामदेव के व्यापार सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को हस्तांतरित किया गया था.

मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि कंपनी द्वारा जमा किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि इसने रियल एस्टेट एजेंट प्रवीण कुमार शर्मा को ज़मीन ख़रीदने के लिए बिना किसी ज़मानत के ब्याज मुक्त पैसे दिए गए. इसके अलावा कोट गांव में मालिकों को भी उनकी ज़मीन के लिए बिना ब्याज के और पहले ही रुपये का भुगतान कर दिया गया.

चंडीगढ़: अरावली रेंज की 400 एकड़ जमीन को बाबा रामदेव के पतंजलि ट्रस्ट को बेचने के आरोपों के बाद बवाल मच गया है. अब आपको बताते हैं कि आखिर क्यों अरावली क्षेत्र की जमीन बेचना या खरीदना प्रतिबंधित है.

दरअसल जिस 400 एकड़ जमीन को पतंजलि ट्रस्ट को बेचने की बात कही जा रही है. उनमें से अधिकतर ज़मीन 'ग़ैर मुमकिन पहाड़' या 'शामलात देह' की थी. खास बात ये है कि कि ग़ैर मुमकिन पहाड़ वह ज़मीन होती है जिस पर न तो खेती-किसानी, व्यवसाय किया जा सकता है और न ही किसी को कब्ज़ा दिया जा सकता है. शामलात देह गांव की साझा ज़मीन होती है जो ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में होती है और जिसे किसी व्यक्ति या कंपनी को बेचा नहीं जा सकता है.

2011 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि शामलात देह यानी गांव की साझा जमीन को ग्राम पंचायतों को वापस कर दिया जाना चाहिए और इसके साथ ही ऐसी किसी भी बिक्री को अवैध करार दिया गया.

हरियाणा सरकार ने इसी साल फ़रवरी में 'बेहतर खेती' के लिए 3,184 एकड़ ज़मीन को समेकित करने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी. इसमें एक बड़े क्षेत्र में बिखरे हुए ज़मीन के कई छोटे टुकड़े को एक साथ लाना शामिल है. जबकि इस ज़मीन का अधिकांश हिस्सा ग़ैर मुमकिन पहाड़ और शामलात देह है. जहाँ खेती और विकास के दूसरे ऐसे कार्य की अनुमति नहीं है.

हरियाणा सरकार को कोर्ट ने लगाई थी फटकार

हरियाणा विधानसभा ने इसी साल फरवरी में पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम, 1990 में संशोधन किया था, जिससे अरावली पर्वत शृंखला में रियल एस्टेट के विकास और खनन के लिए हज़ारों एकड़ ज़मीन अधिग्रहण का रास्ता साफ़ हो सके. सरकार के इस फ़ैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जंगल को तबाह करने की कोशिश करने के लिए सरकार की कड़ी फटकार लगाई थी. शीर्ष अदालत ने संशोधित अधिनियम के तहत किसी भी ज़मीन अधिग्रहण जैसी किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.

कांग्रेस ने लगाए आरोप

हरियाणा कांग्रेस ने ट्वीट जारी करके आरोप लगाया है कि फरीदाबाद के रहने वाले प्रवीण कुमार शर्मा ने ज़मीन के कम से कम 104 मालिकों के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी एग्रीमेंट के दस्तावेज़ प्रस्तुत किए हैं. शर्मा हर्बो वेद ग्राम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के आधिकारिक प्रतिनिधि हैं.

  • ये वन क्षेत्र की जमीन है। इसमें जिस प्रवीण कुमार शर्मा का नाम आया है, वो एक कंपनी को रिप्रेजेंट करते हैं, जिसे आचार्य बालकृष्ण जी कंट्रोल करते हैं। कंपनी का नाम है- हर्बो वेद ग्राम प्राइवेट लिमिटेड :

    — Haryana Congress (@INCHaryana) June 8, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अरावली लैंड डील से कैसे जुड़ा है पतंजलि समूह?

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 2016-2017 तक के जमा किए गए दस्तावेज़ों के अनुसार योग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के पास हर्बो वेद प्राइवेट लिमिटेड के 100% शेयर थे. इसके बाद के वित्तीय वर्ष 2017- 2018 में इन शेयरों में से 99% का स्वामित्व रामदेव के व्यापार सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को हस्तांतरित किया गया था.

मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि कंपनी द्वारा जमा किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि इसने रियल एस्टेट एजेंट प्रवीण कुमार शर्मा को ज़मीन ख़रीदने के लिए बिना किसी ज़मानत के ब्याज मुक्त पैसे दिए गए. इसके अलावा कोट गांव में मालिकों को भी उनकी ज़मीन के लिए बिना ब्याज के और पहले ही रुपये का भुगतान कर दिया गया.

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