चंडीगढ़ः देश में अगले पांच साल कौन सरकार चलाएगा इसका फैसला देश की जनता कर चुकी है. अब बस नतीजों का इंतजार है जिसके लिए चुनाव आयोग तैयारी पूरी कर चुका है. देश की 543 सीटों में से एक वेल्लोर को छोड़कर 542 सीटों पर मतदान हुआ है.
नतीजों में देरी के कारण
- लोकसभा चुनाव में पहली बार होगा VVPAT की पर्ची से EVM के मतों का मिलान.
- एक विधानसभा में 5 VVPAT का मिलान EVM के मतों से किया जाएगा.
- पहले विधानसभा चुनावों में VVPAT की पर्ची से EVM के मतों का मिलान होता था.
- अगर EVM और VVPAT की गिनती में अंतर आया तो VVPAT की पर्ची को सही माना जाएगा.
- अगर कहीं EVM खराब हुई तो VVPAT की पर्ची से गिनती होगी.
- पहले चुनाव आयोग एक विधानसभा में 1 EVM और VVPAT की पर्ची का मिलान करता था.
- देश की 4120 विधानसभा क्षेत्रों के 20,600 बूथों की EVM का VVPAT से मिलान होगा.
- एक पोलिंग बूथ पर एक EVM होती है और एक बूथ पर 800 से 2500 वोट हो सकते हैं.
सर्विस वोटों की गिनती में भी लगेगी देर
- सर्विस वोट पर पहली बार कोड का इस्तेमाल किया गया है.
- इसे कोड रीडर के माध्यम से पढ़ा जाएगा.
- कोड रीडर से पढ़ने में लगभग 1 मिनट लगेगा.
- जिन सीटों पर सर्विस वोटर्स की संख्या ज्यादा होगी वहां नतीजों में देर होना संभव.
देश में VVPAT मशीन कैसे आई ?
4 अक्तूबर 2010 को सर्वदलीय बैठक में ईवीएम को जारी रखने के बारे में व्यापक सहमति बनी थी. लेकिन कई राजनीतिक दलों ने वीवीपैट के इस्तेमाल की राय रखी इसलिए चुनाव आयोग ने पहली बार जुलाई 2011 में वीवीपैट को लेकर प्रयोग किया. जिसके बाद भारत सरकार ने 14 अगस्त 2013 को एक अधिसूचना के जरिए चुनाव कराने संबंधी नियम-1961 को संशोधित कर दिया. इससे चुनाव आयोग को ईवीएम के साथ वीवीपैट के इस्तेमाल का अधिकार मिला. जिसके बाद पहली बार सितंबर 2013 में नागालैंड की नोकसेन विधानसभा में वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया.