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स्टेट इंफॉर्मेशन कमीशन का कड़ा संज्ञान, बाल कल्याण परिषद अधिकारी को जारी किया कारण बताओ नोटिस

जिला बाल कल्याण परिषद जमीन आवंटन धांधली मामले में राज्य सूचना विभाग ने कड़ा संज्ञान लिया है. सूचना आयोग ने जिला बाल कल्याण अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

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Published : Feb 12, 2019, 6:44 PM IST

जिला बाल कल्याण अधिकारी को कारण बताओ नोटिस

भिवानी: जिला बाल कल्याण परिषद की जमीन आवंटन धांधली मामले में अब राज्य सूचना आयोग ने कड़ा संज्ञान लिया है. आयोग ने जिला बाल कल्याण अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

इतना ही नहीं राज्य सूचना आयोग ने मांगी गई सूचनाएं भी दो सप्ताह के अंदर दिए जाने के कड़े आदेश दिए हैं. इसी के साथ सूचना आयोग ने अपने आदेश में 25 हजार रुपये जुर्माना लगाने का भी हवाला दिया है.

दरअसल जिला बाल कल्याण की जगह पर स्वीमिंग पुल निर्माण में व्यापक स्तर पर धांधली के उजागर होने के बाद मामले की जांच राज्य बाल कल्याण परिषद ने जांच करवाने के आदेश दिए थे. स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने 12 जून 2018 को जिला बाल कल्याण परिषद कार्यालय से स्वीमिंग पुल निर्माण से जुड़े तथ्यों की आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी. इस पर निर्धारित अवधि में कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई.

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इसके बाद पहली अपील 30 जुलाई को जिला उपायुक्त के समक्ष की गई. इसके बाद सूचना में गलत तथ्य उपलब्ध कराए गए. इसी मामले में 19 सितम्बर को राज्य सूचना आयोग के समक्ष अपील की गई.

मामले की सुनवाई 7 फरवरी 2019 को हुई. जिस पर राज्य सूचना आयुक्त हेमंत अत्री ने इस मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए जिला बाल कल्याण अधिकारी को सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के अंदर सूचनाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिए. इसी के साथ राज्य सूचना आयुक्त ने सूचनाएं नहीं उपलब्ध कराने पर 25 हजार रुपये जुर्माना लगाने की भी कड़ी चेतावनी दी है.

भिवानी: जिला बाल कल्याण परिषद की जमीन आवंटन धांधली मामले में अब राज्य सूचना आयोग ने कड़ा संज्ञान लिया है. आयोग ने जिला बाल कल्याण अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

इतना ही नहीं राज्य सूचना आयोग ने मांगी गई सूचनाएं भी दो सप्ताह के अंदर दिए जाने के कड़े आदेश दिए हैं. इसी के साथ सूचना आयोग ने अपने आदेश में 25 हजार रुपये जुर्माना लगाने का भी हवाला दिया है.

दरअसल जिला बाल कल्याण की जगह पर स्वीमिंग पुल निर्माण में व्यापक स्तर पर धांधली के उजागर होने के बाद मामले की जांच राज्य बाल कल्याण परिषद ने जांच करवाने के आदेश दिए थे. स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने 12 जून 2018 को जिला बाल कल्याण परिषद कार्यालय से स्वीमिंग पुल निर्माण से जुड़े तथ्यों की आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी. इस पर निर्धारित अवधि में कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई.

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इसके बाद पहली अपील 30 जुलाई को जिला उपायुक्त के समक्ष की गई. इसके बाद सूचना में गलत तथ्य उपलब्ध कराए गए. इसी मामले में 19 सितम्बर को राज्य सूचना आयोग के समक्ष अपील की गई.

मामले की सुनवाई 7 फरवरी 2019 को हुई. जिस पर राज्य सूचना आयुक्त हेमंत अत्री ने इस मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए जिला बाल कल्याण अधिकारी को सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के अंदर सूचनाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिए. इसी के साथ राज्य सूचना आयुक्त ने सूचनाएं नहीं उपलब्ध कराने पर 25 हजार रुपये जुर्माना लगाने की भी कड़ी चेतावनी दी है.

जिला बाल कल्याण परिषद जमीन आवंटन धांधली मामला: राज्य सूचना आयोग ने जिला बाल कल्याण अधिकारी को जारी किया कारण बताओ नोटिस
राज्य सूचना आयोग की टिप्पणी: क्यों ना आपको 25 हजार रुपये जुर्माना लगा दिया जाए
दो सप्ताह के अंदर मांगी गई सूचनाओं का देना होगा जवाब, स्वीमिंग पुल निर्माण से सम्बंधित मांगी थी सूचना
भिवानी, 12 फरवरी: जिला बाल कल्याण परिषद की जमीन आवंटन धांधली मामले में अब राज्य सूचना आयोग ने कड़ा संज्ञान लेते हुए जिला बाल कल्याण अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इतना ही नहीं राज्य सूचना आयोग ने मांगी गई सूचनाएं भी दो सप्ताह के अंदर दिए जाने के कड़े आदेश दिए हैं। इसी के साथ सूचना आयोग ने अपने आदेश में यह भी हवाला दिया है कि क्यों ना आपको 25 हजार रुपये जुर्माना लगा दिया जाए। दरअसल जिला बाल कल्याण की जगह पर स्वीमिंग पुल निर्माण में व्यापक स्तर पर धांधली के उजागर होने के बाद मामले की जांच राज्य बाल कल्याण परिषद ने भी पूरे प्रकरण की फिर से जांच कराए जाने के आदेश दिए थे। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने गत 12 जून 2018 को जिला बाल कल्याण परिषद कार्यालय से स्वीमिंग पुल निर्माण से जुड़े तथ्यों की आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी। इस पर निर्धारित अवधि में कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई। इसके बाद प्रथम अपील 30 जुलाई को जिला उपायुक्त के समक्ष की गई। इसके बाद सूचना में गलत तथ्य उपलब्ध कराए गए। इसी मामले में 19 सितम्बर को राज्य सूचना आयोग के समक्ष अपील की गई। मामले की सुनवाई 7 फरवरी 2019 को सुनवाई की गई। जिस पर राज्य सूचना आयुक्त हेमंत अत्री ने इस मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए जिला बाल कल्याण अधिकारी को सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के अंदर सूचनाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिए। इसी के साथ राज्य सूचना आयुक्त ने सूचनाएं नहीं उपलब्ध कराने पर 25 हजार रुपये जुर्माना लगाने की भी कड़ी चेतावनी दी है। राज्य सूचना आयोग ने 2 अप्रैल तक कारण बताओ नोटिस का जवाब भी देना होगा और 22 अप्रैल को व्यक्तिगत तौर पर आयोग के समक्ष तलब किया गया है। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने 2 अप्रैल 2018 को मामले की शिकायत मुख्यमंत्री को भेजी थी। इस शिकायत पर मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि ने कड़ा संज्ञान लेते हुए मामला सख्त टिप्पणी के साथ राज्य बाल कल्याण परिषद के समक्ष मामला भेजा गया था। इसके उपरांत राज्य बाल कल्याण परिषद ने पूरे मामले का अवलोकन एवं एसडीएम की जांच रिपोर्ट का मुआयना करने के उपरांत भी यह पाया गया कि जमीन आवंटन मामले में 20 साल की लीज की राशि बहुत कम निर्धारित की गई है, जिससे की राज्य सरकार को राजस्व का भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
    भिवानी जिला बाल कल्याण परिसर में 11 शोरूम/दुकानों एवं एक स्वीमिंग पुल आवंटन की प्रक्रिया 3 जनवरी 2018 को पूरी की गई थी। जिनकी मार्केट कीमत लगभग 22 करोड़ आंकी जा रही थी। इस प्रॉपर्टी को करीबन एक करोड़ 10 लाख रुपये में लगभग 5800 रुपये प्रतिमाह किराये पर 11 लोगों को अलाट कर दिया गया था। जिसमें व्यापक स्तर पर धांधली की संभावनाओं के चलते स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर शिकायत कर दी थी। इस शिकायत के बाद मामले में संज्ञान लिया और फिर 11 शोरूम आवंटन मामला प्रशासन ने आननफानन में रदद कर दिया था। जिसमें कई अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई थी। लेकिन इसी बीच दो हजार वर्गगज जगह में स्वीमिंग पुल का आवंटन रदद नहीं किया गया, जबकि स्वीमिंग पुल निर्धारित परीधि से अधिक जमीन पर निर्माण किया हुआ है।
    स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि जिला बाल कल्याण परिषद जमीन आवंटन मामले में निर्माण किए गए स्वीमिंग पुल की परीधि की पैमाईश कराकर फिर से जांच रिपोर्ट राज्य बाल कल्याण परिषद को भेजे जाने के कड़े आदेश दिए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि 11शोरूम आवंटन के साथ एक स्वीमिंग पुल की निविदा सूचना एक ही विज्ञापन संख्या व एक ही दिन प्रकाशित कराए थे। जबकि शोरूम आवंटन को प्रशासन ने रदद कर दिया था, जबकि स्वीमिंग पुल की लीज रदद नहीं की। उनका यह भी आरोप है कि स्वीमिंग पुल की लीज दो हजार वर्गफूट अलाट हुई थी, जबकि 2700 वर्गगज जगह में पुल का निर्माण अवैध तरीके से किया गया, जबकि स्वीमिंग पुल निर्माण के साथ ही एक शोरूम व तीन से चार कमरे भी अवैध रूप से निर्माण किए गए हैं। जिनके नक्शे भी नगर परिषद से मंजूर नहीं है। जमीन आवंटन की धांधली मामले की शिकायत सीएम विंडों में दिए जाने के बाद पुरे प्रकरण का खुलासा तो हुआ, मगर अभी भी अधिकारी स्वीमिंग पुल आवंटन को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसे जल्द ही पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में भी चुनौति दी जाएगी।
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