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गणतंत्र दिवस 2023: हरियाणा के छोरे ने कर्तव्य पथ पर किया परेड का नेतृत्व, असम राइफल्स की संभाली कमान

भिवानी जिले के गांव कुंगड़ के छोरे ने कर्तव्य पथ पर इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में (Haryana Youth command of Assam Rifles parade) असम राइफल्स की टुकड़ी का कुशल नेतृत्व किया. इसके बाद से वह स्थानीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है.

Haryana Youth command of Assam Rifles parade on kartavya path Delhi
हरियाणा के छोरे ने कर्तव्य पथ पर किया परेड का नेतृत्व
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Published : Jan 27, 2023, 3:38 PM IST

भिवानी: कहा जाता है, जज्बे और जुनून के आगे पहाड़ भी बौने बन जाते हैं. जिले के गांव कुंगड़ के छोरे अक्षय गोयत ने इसी कहावत को चरितार्थ किया है. अक्षय ने इस बार दिल्ली में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में असम राइफल्स की टुकड़ी की कमान संभाली. यह जिले के युवाओं के लिए प्रेरणा है. अक्षय के पिता जोगिंद्र सिंह गोयत गणित के अध्यापक हैं. उन्होंने बताया कि अक्षय जब छह वर्ष का था, उस समय एक बार उसने गणतंत्र दिवस की परेड को देखकर सैनिक की वर्दी पहनकर परेड करने की जिद्द की थी.

उस समय अक्षय के पिता ने कहा था कि यह कोई सामान्य काम नहीं है. इसके लिए पहले फौज में ऑफिसर बनना पड़ता है और बाद में परेड की टुकड़ी में शामिल होने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है. बेटे ने आज अपना सपना पूरा कर दिखाया है. परिजनों की माने तो अक्षय बचपन से ही फौज में अफसर बनना चाहता था. जैसे जैसे वह बड़ा होता गया, अपनी जिद्द को दोहराता गया. परिजनों ने अक्षय की जिद्द के अनुसार ही उसका ध्यान उसके लक्ष्य पर केंद्रित करवाया.

पढ़ें: गणतंत्र दिवस 2023: डॉ. बख्शी राम को मिला पद्मश्री सम्मान, हिसार से है विशेष नाता

अक्षय ने भी इसके लिए कड़ा परिश्रम किया और लगभग 12 वर्ष बाद दिसंबर 2013 में अक्षय का एनडीए में चयन हो गया. वर्ष 2017 में देहरादून से पास आउट होकर कमीशन प्राप्त करने में सफल हुआ. जब वह पास आउट हुआ तो सबसे ज्यादा खुशी उसके दादा मास्टर शेर सिंह और दादी चातर देवी को हुई. वे दोनों अपने पोते की पास आउट परेड को देखने देहरादून पहुंचे थे. जोगेंद्र ने बताया कि अक्षय की नौकरी की शुरुआत भी हिसार कैंट से ही हुई.

इसके बाद उसकी कश्मीर, कपूरथला में तैनाती रही. फिलहाल उसकी पोस्टिंग असम में असम राइफल्स में है. करीब एक महीने की लम्बी प्रक्रिया के बाद उसका गणतंत्र दिवस परेड के लिए चयन हुआ. अब आखिर वह दिन भी आ गया, जब उसका 22 साल पहले देखा हुआ सपना पूरा हो गया. भिवानी के अक्षय गोयत गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए, असम राइफल्स की टुकड़ी का नेतृत्व किया.

पढ़ें: गणतंत्र दिवस 2023: मुख्यमंत्री ने यमुनानगर में किया ध्वजारोहण, पानीपत में तिरंगे को सैल्यूट करना भूले नेता

जब 26 जनवरी को सुबह परेड शुरू हुई, तो उसकी दोनों बहनें राखी व गरिमा अपनी मां पूनम रानी के साथ टीवी देख रही थीं. इनके साथ ही अक्षय की पत्नी पूजा भी गोद में एक साल की बेटी के साथ मौजूद थीं. डीआरडीओ की झांकी के पीछे अक्षय कदम-ताल मिलाकर चलते हुए दिखाई दिए. उस समय परिजनों के चेहरे खुशी से खिल गए. अक्षय द्वारा कर्तव्य पथ पर परेड की टुकड़ी की अगुवाई करना, जिले के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा है.

अक्षय का बचपन गांव कुंगड़ में बीता है. बाद में उसने करियर प्लेनेट पब्लिक स्कूल भिवानी से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की थी. अक्षय के पिता मास्टर जोगिंद्र सिंह भिवानी के राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल में गणित अध्यापक हैं. वे भिवानी शहर स्थित विद्या नगर में रह रहे हैं. जोगेंद्र ने कहा कि उनको बेहद खुशी है कि उनके बेटे ने कर्तव्य पथ पर परेड की टुकड़ी की अगुवाई की है. बेटे ने केवल अपना ही नहीं बल्कि परिवार का सपना साकार किया है.

भिवानी: कहा जाता है, जज्बे और जुनून के आगे पहाड़ भी बौने बन जाते हैं. जिले के गांव कुंगड़ के छोरे अक्षय गोयत ने इसी कहावत को चरितार्थ किया है. अक्षय ने इस बार दिल्ली में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में असम राइफल्स की टुकड़ी की कमान संभाली. यह जिले के युवाओं के लिए प्रेरणा है. अक्षय के पिता जोगिंद्र सिंह गोयत गणित के अध्यापक हैं. उन्होंने बताया कि अक्षय जब छह वर्ष का था, उस समय एक बार उसने गणतंत्र दिवस की परेड को देखकर सैनिक की वर्दी पहनकर परेड करने की जिद्द की थी.

उस समय अक्षय के पिता ने कहा था कि यह कोई सामान्य काम नहीं है. इसके लिए पहले फौज में ऑफिसर बनना पड़ता है और बाद में परेड की टुकड़ी में शामिल होने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है. बेटे ने आज अपना सपना पूरा कर दिखाया है. परिजनों की माने तो अक्षय बचपन से ही फौज में अफसर बनना चाहता था. जैसे जैसे वह बड़ा होता गया, अपनी जिद्द को दोहराता गया. परिजनों ने अक्षय की जिद्द के अनुसार ही उसका ध्यान उसके लक्ष्य पर केंद्रित करवाया.

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अक्षय ने भी इसके लिए कड़ा परिश्रम किया और लगभग 12 वर्ष बाद दिसंबर 2013 में अक्षय का एनडीए में चयन हो गया. वर्ष 2017 में देहरादून से पास आउट होकर कमीशन प्राप्त करने में सफल हुआ. जब वह पास आउट हुआ तो सबसे ज्यादा खुशी उसके दादा मास्टर शेर सिंह और दादी चातर देवी को हुई. वे दोनों अपने पोते की पास आउट परेड को देखने देहरादून पहुंचे थे. जोगेंद्र ने बताया कि अक्षय की नौकरी की शुरुआत भी हिसार कैंट से ही हुई.

इसके बाद उसकी कश्मीर, कपूरथला में तैनाती रही. फिलहाल उसकी पोस्टिंग असम में असम राइफल्स में है. करीब एक महीने की लम्बी प्रक्रिया के बाद उसका गणतंत्र दिवस परेड के लिए चयन हुआ. अब आखिर वह दिन भी आ गया, जब उसका 22 साल पहले देखा हुआ सपना पूरा हो गया. भिवानी के अक्षय गोयत गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए, असम राइफल्स की टुकड़ी का नेतृत्व किया.

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जब 26 जनवरी को सुबह परेड शुरू हुई, तो उसकी दोनों बहनें राखी व गरिमा अपनी मां पूनम रानी के साथ टीवी देख रही थीं. इनके साथ ही अक्षय की पत्नी पूजा भी गोद में एक साल की बेटी के साथ मौजूद थीं. डीआरडीओ की झांकी के पीछे अक्षय कदम-ताल मिलाकर चलते हुए दिखाई दिए. उस समय परिजनों के चेहरे खुशी से खिल गए. अक्षय द्वारा कर्तव्य पथ पर परेड की टुकड़ी की अगुवाई करना, जिले के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा है.

अक्षय का बचपन गांव कुंगड़ में बीता है. बाद में उसने करियर प्लेनेट पब्लिक स्कूल भिवानी से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की थी. अक्षय के पिता मास्टर जोगिंद्र सिंह भिवानी के राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल में गणित अध्यापक हैं. वे भिवानी शहर स्थित विद्या नगर में रह रहे हैं. जोगेंद्र ने कहा कि उनको बेहद खुशी है कि उनके बेटे ने कर्तव्य पथ पर परेड की टुकड़ी की अगुवाई की है. बेटे ने केवल अपना ही नहीं बल्कि परिवार का सपना साकार किया है.

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