भिवानी: हरियाणा में मई और जून में हुई बारिश का सकारात्मक परिणाम खरीफ की फसलों बाजरे, धान और कपास पर पड़ता नजर आ रहा है. मई और जून में सामान्य से अधिक बारिश के कारण खरीफ की बुवाई करने वाले किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं. इस बारिश से किसानों को समय पर बुवाई करने का अवसर मिलने के अलावा फसलों को सिंचाई में आने वाला खर्च भी बचा है. वहीं, भिवानी के कृषि उप निदेशक और किसान इस साल खरीफ की बंपर फसल होने उम्मीद जता रहे हैं.
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भिवानी के कृषि उप निदेशक आत्माराम गोदारा ने बताया कि, वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष या मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है. आत्माराम गोदारा ने कहा कि, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लगभग 20 हजार एकड़ अधिक बाजरे की बुवाई होने की उम्मीद है. भिवानी जिले में पिछले वर्ष एक लाख 50 हजार हेक्टेयर में बाजरे की बुवाई की गई थी. इस साल यह रकबा बढ़कर एक लाख 70 हजार एकड़ तक पहुंचने की उम्मीद है.
वहीं, कपास का भाव बेहतर होने के चलते कपास का रकबा 45 हजार एकड़ बढ़ा है. उन्होंने बताया कि, देसी कपास की बुवाई भी भिवानी जिले में 10 हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में की गई है. भिवानी के कृषि उप निदेशक ने कहा कि, बाजरे और कपास की खेती पर प्रदेश सरकार चार हजार रुपये प्रति एकड़ सब्सिडी भी दे रही है. इससे किसानों में बाजरे और कपास के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिला है.
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कृषि उप निदेशक आत्माराम गोदारा ने कहा कि, मई और जून में अच्छी बरसात होने के चलते किसानों को खरीफ की फसलों में अच्छा-खासा लाभ होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि, एक ओर बरसात के कारण किसानों को सिंचाई का खर्च बचा है. वहीं, दूसरी ओर राहत की बात यह है कि अभी तक फसलों में कोई कीट और अन्य बीमारियों का प्रकोप देखने को नहीं मिला है. ऐसे में इस साल खरीफ की बंपर फसल होने की उम्मीद है.
भिवानी जिले के किसानों ने बताया कि, इस साल इंद्र देव मेहरबान हैं और अच्छी बारिश कर रहे हैं. बारिश से बाजरे, धान और कपास की फसल को विशेष लाभ पहुंचा है. अभी तक परिस्थिति अनुकूल है ऐसे में किसानों को इस बार बाजरे, कपास और धान की बंपर उत्पादन होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि, अच्छी बरसात होने के चलते सिंचाई का खर्च तो बचा ही है साथ ही साथ सिंचाई के लिए उपयोग होने वाला समय और श्रम भी बचा है.