भिवानी: विभाग प्रदेशभर के 8600 निजी स्कूलों में चल रही नर्सरी कक्षाओं की वैधता की जांच करेगा. जांच के बाद इसकी रिपोर्ट भी महिला एवं बाल विकास विभाग निदेशालय को भेजी जाएगी. जिसके बाद निजी स्कूलों में चल रही अवैध एलकेजी, यूकेजी व नर्सरी कक्षाओं पर कार्रवाई के लिए कदम उठाया जाएगा. स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने मौलिक शिक्षा निदेशालय के समक्ष शिकायत भेजी थी.
बृजपाल परमार की शिकायत को मौलिक शिक्षा निदेशालय ने महिला एवं बाल विकास विभाग को भेजा, जिस पर महिला एवं बाल विकास विभाग निदेशालय ने प्रदेशभर के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों से निजी स्कूलों के अंदर चल रही एलकेजी, यूकेजी और नर्सरी की कक्षाओं की जांच पड़ताल कर इसकी रिपोर्ट निदेशालय के समक्ष भेजे जाने के आदेश दिए हैं.
अवैध नर्सरी कक्षाओं की रिपोर्ट की गई तलब!
मौलिक शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन अब मौलिक शिक्षा निदेशालय ने इन कक्षाओं का संचालन और प्ले स्कूल की अनुमति देने के मामले महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत आने पर उसी के समक्ष भेज दिया. जिसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने भी सभी कार्यक्रम अधिकारियों से ऐसे स्कूलों के अंदर चल रही अवैध नर्सरी कक्षाओं की जांच पड़ताल कर अपनी टिप्पणी सहित जल्द रिपोर्ट तलब की है.
हाई कोर्ट के आदेशों की हो रही अवमानना
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक अप्रैल 2015 में आदेश जारी किया था कि प्री नर्सरी कक्षाओं में गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को 25 फीसदी मुफ्त दाखिले दिए जाएंगे. लेकिन हरियाणा भर में चल रहे मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के अंदर चल रही प्री नर्सरी कक्षाएं अवैध हैं, जिनका शिक्षा विभाग के पास भी कोई रिकार्ड नहीं हैं, ऐसे में ये स्कूल इन कक्षाओं में गरीब बच्चों को भी माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार दाखिले का कोई लाभ नहीं दे रहे हैं. जिससे की सीधे सीधे न्यायालय के आदेशों की अवमानना हो रही है. अगर महिला एवं बाल विकास विभाग से प्री-नर्सरी कक्षाओं के संचालन की अनुमति होगी तो गरीब बच्चों को भी उनका 25 फीसदी मुफ्त दाखिले का हक मिल पाएगा.