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गुजरात के राज्यपाल ने भिवानी में दिया प्राकृतिक खेती का संदेश, 22 हजार लोगों को दिलाई प्राकृतिक खेती अपनाने की शपथ - Radha Swami Satsang Bhiwani

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भिवानी में हुए एक कार्यक्रम के दौरान करीब 22 हजार लोगों को प्राकृतिक खेती अपनाने की (natural farming oath in Bhiwani) शपथ दिलाई. इस दौरान उन्होंने कहा कि 60 के दशक से पहले प्राकृतिक खेती होती थी, इसे अपनाकर हम गंभीर बीमारियों से निजात पा सकेंगे.

natural farming oath in Bhiwani
गुजरात के राज्यपाल ने भिवानी में दिया प्राकृतिक खेती का संदेश
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Published : Mar 23, 2023, 2:37 PM IST

भिवानी: किसानों को प्राकृतिक खेती का संदेश देने के उद्देश्य से भिवानी में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने एक कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जब उन्हें अपनी खाद उत्पादन को शुद्ध करके बीमारियों से बचना होगा. क्योंकि आज के समय में कैंसर व हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का बढ़ना रासायनिक खेती का ही नतीजा है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से जंगल के पौधे बगैर खाद के कम पानी में पूर्णतया उत्पादन देते हैं, वैसे ही अब प्राकृतिक खेती की तरफ कदम बढ़ाना होगा.

इस अवसर पर उन्होंने राधास्वामी सत्संग भवन भिवानी में 22 हजार के लगभग लोगों को जहर मुक्त खेती की शपथ दिलवाई तथा प्राकृतिक खेती को अपनाने का संदेश दिया. गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि 60 के दशक से पहले जो खेती होती थी, उस समय कैंसर, हार्टअटैक, बीपी, शुगर जैसी बीमारियां लोगों में नहीं पाई जाती थी. अब हमें रासायनिक खेती से आगे बढ़कर जैविक खेती से भी एक कदम आगे प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा.

पढ़ें : Martyrs Day: शहीद भगत सिंह के साथी थे पानीपत के क्रांति कुमार, जानें गुमनाम रहे सेनानी की कहानी

उन्होंने कहा कि 60 के दशक में हमारी जमीन में ऑर्गेनिक कारकों की मात्रा 2.5 प्रतिशत थी, जो अब घटकर आधा प्रतिशत से भी कम रह गई है. इसका कारण खाद में कृत्रिम रूप से नाईट्रोजन, फास्फोरस, मैग्नीशियम व पेस्टिसाइड का प्रयोग करना है. उन्होंने कहा कि यूनेस्कों व यूएनए की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग का 24 प्रतिशत हिस्सा अकेला रासायनिक खेती के कारण है, ऐसे में विश्व स्तर पर अब रासायनिक खेती की बजाए प्राकृतिक खेती की तरफ आगे बढ़ना होगा.

इसके लिए हमें डीएपी व यूरिया पर अपनी निर्भरता को कम करके धरती की प्राकृतिक उपजाऊ शक्ति का प्रयोग करते हुए फसलों का उत्पादन करना होगा. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती के बारे में उपस्थित जनसमूह को कहा कि इसके लिए गोबर की खाद, गुड़ व जैविक मिट्टी के घोल को यूरिया व डीएपी के स्थान पर प्रयोग करना होगा, इससे जमीन में सूक्ष्म जीवाणुओं व केंचुओं की मात्रा बढ़ेगी.

पढ़ें : हरियाणा में किसानों पर दोहरी मार, रोहतक में फसल बीमा के लिए कृषि विभाग पर लगी लंबी कतार

जो प्राकृतिक रूप से सभी फसलों को नाईट्रोजन, फास्फोरस, आयरन व मैग्नीशियम पहुंचाने में सक्षम है. इससे ना केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि लागत में भी कमी आएगी तथा किसान समृद्ध होंगे. इस मौके पर कार्यशाला में पहुंचे किसान कमल सिंह, अनिल कुमार, दुष्यंत व विवेक ने बताया कि आज उन्होंने रासायनिक खेती की बजाए प्राकृतिक खेती अपनाने का संदेश ग्रहण किया है. वे इस संदेश को गांव-गांव तक पहुंचाएंगे ताकि हमारे भोजन में सुधार हो तथा बीमारियों से बचा जा सके.

भिवानी: किसानों को प्राकृतिक खेती का संदेश देने के उद्देश्य से भिवानी में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने एक कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जब उन्हें अपनी खाद उत्पादन को शुद्ध करके बीमारियों से बचना होगा. क्योंकि आज के समय में कैंसर व हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का बढ़ना रासायनिक खेती का ही नतीजा है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से जंगल के पौधे बगैर खाद के कम पानी में पूर्णतया उत्पादन देते हैं, वैसे ही अब प्राकृतिक खेती की तरफ कदम बढ़ाना होगा.

इस अवसर पर उन्होंने राधास्वामी सत्संग भवन भिवानी में 22 हजार के लगभग लोगों को जहर मुक्त खेती की शपथ दिलवाई तथा प्राकृतिक खेती को अपनाने का संदेश दिया. गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि 60 के दशक से पहले जो खेती होती थी, उस समय कैंसर, हार्टअटैक, बीपी, शुगर जैसी बीमारियां लोगों में नहीं पाई जाती थी. अब हमें रासायनिक खेती से आगे बढ़कर जैविक खेती से भी एक कदम आगे प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा.

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उन्होंने कहा कि 60 के दशक में हमारी जमीन में ऑर्गेनिक कारकों की मात्रा 2.5 प्रतिशत थी, जो अब घटकर आधा प्रतिशत से भी कम रह गई है. इसका कारण खाद में कृत्रिम रूप से नाईट्रोजन, फास्फोरस, मैग्नीशियम व पेस्टिसाइड का प्रयोग करना है. उन्होंने कहा कि यूनेस्कों व यूएनए की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग का 24 प्रतिशत हिस्सा अकेला रासायनिक खेती के कारण है, ऐसे में विश्व स्तर पर अब रासायनिक खेती की बजाए प्राकृतिक खेती की तरफ आगे बढ़ना होगा.

इसके लिए हमें डीएपी व यूरिया पर अपनी निर्भरता को कम करके धरती की प्राकृतिक उपजाऊ शक्ति का प्रयोग करते हुए फसलों का उत्पादन करना होगा. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती के बारे में उपस्थित जनसमूह को कहा कि इसके लिए गोबर की खाद, गुड़ व जैविक मिट्टी के घोल को यूरिया व डीएपी के स्थान पर प्रयोग करना होगा, इससे जमीन में सूक्ष्म जीवाणुओं व केंचुओं की मात्रा बढ़ेगी.

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जो प्राकृतिक रूप से सभी फसलों को नाईट्रोजन, फास्फोरस, आयरन व मैग्नीशियम पहुंचाने में सक्षम है. इससे ना केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि लागत में भी कमी आएगी तथा किसान समृद्ध होंगे. इस मौके पर कार्यशाला में पहुंचे किसान कमल सिंह, अनिल कुमार, दुष्यंत व विवेक ने बताया कि आज उन्होंने रासायनिक खेती की बजाए प्राकृतिक खेती अपनाने का संदेश ग्रहण किया है. वे इस संदेश को गांव-गांव तक पहुंचाएंगे ताकि हमारे भोजन में सुधार हो तथा बीमारियों से बचा जा सके.

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