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भिवानी का जोगीवाला मंदिर, जहां महाशिवरात्रि पर चढ़ती है सबसे ज्यादा कावड़

छोटी काशी भिवानी के शिवमंदिरों में महाशिवरात्रि पर्व की तैयारियां अंतिम चरण में है. शहर के जोगीवाला मंदिर में इस दिन सबसे ज्यादा कावड़ चढ़ाई जाती है. भिवानी का जोगीवाला मंदिर करीबन 300 वर्ष पुराना है.

Lord Shiva temple in Bhiwani
भिवानी का जोगीवाला मंदिर, जहां महाशिवरात्रि पर चढ़ती है सबसे ज्यादा कावड़
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Published : Feb 17, 2023, 12:47 PM IST

भिवानी के जोगी वाला मंदिर में भगवान शिव का विशेष जलाभिषेक किया जाता है.

भिवानी: महाशिवरात्रि पर्व 18 फरवरी को देश भर में धूमधाम से मनाया जाएगा. छोटी काशी कहे जाने वाले भिवानी में भी हर वर्ष की भांति इस बार भी महाशिवरात्रि पर्व पर शिव भक्तों की काफी चहल-पहल रहेगी. देवो के देव महादेव भगवान शिव के इस त्योहार को लेकर छोटी काशी के लोगों में भी बड़ी श्रद्धा है. इस दिन भिवानी के सबसे बड़े शिव मंदिर जोगी वाला मंदिर में भगवान शिव का विशेष जलाभिषेक किया जाता है और कावड़ चढ़ाई जाती है.

जोगी वाला मंदिर भिवानी के महंत वेदनाथ महाराज ने बताया कि भिवानी का जोगीवाला मंदिर करीबन 300 वर्ष पुराना है. बाबा मस्तनाथ के शिष्य बाबा मेहूनाथ ने इस मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित की थी. मंदिर के महंत के अनुसार कहा जाता है कि 300 वर्ष पहले एक गाड़ीवान भगवान शिव की मूर्ति को जींद लेकर जा रहे थे, रात्रि विश्राम के लिए वे जोगीवाला मंदिर में ठहरे थे.

पढ़ें: Chandigarh Rose Festival 2023: तीन दिवसीय रोज फेस्टिवल 17 फरवरी से होगा शुरू, जानिए इस बार क्या है खास

जब सुबह गाड़ीवान चलने लगे तो गाड़ी धंस गई और काफी कोशिश करने के बावजूद वे मूर्ति को यहां से नहीं ले जा सके. इस पर बाबा मेहूनाथ ने गाड़ीवान से प्रार्थना कर इस मूर्ति को यहीं पर स्थापित करवा दिया. यहां शिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. महंत वेदनाथ महाराज ने बताया कि भगवान शिव की आराधना श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है. भगवान शिव के के आदि-अनादि रूप की पूजा चरणामृत से की जाती है. चरणामृत पांच पदार्थों से बनाया जाता है. इसे दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से बनाया जाता है.

पढ़ें: एक दिन पहले चंडीगढ़ रोज फेस्टिवल के लाइट एंड साउंड शो का उद्घाटन, शुक्रवार से शुरू होगा फेस्टिवल

श्रद्धाभाव से चरणामृत से शिवलिंग का मृदन किया जाता है. उसके बाद बेलपत्र, धूप व 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र से धूप-दीप के साथ भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं, भिवानी निवासी मेहुल सर्राफ ने बताया कि भगवान शिव हर व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण करते हैं. शिवरात्रि पर्व पर देश भर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है. जिससे श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है. विशेष तौर पर हर सोमवाार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन सभी भक्त भगवान का बेल पत्र के साथ जलाभिषेक कर शिव की पूजा करते हैं.

भिवानी के जोगी वाला मंदिर में भगवान शिव का विशेष जलाभिषेक किया जाता है.

भिवानी: महाशिवरात्रि पर्व 18 फरवरी को देश भर में धूमधाम से मनाया जाएगा. छोटी काशी कहे जाने वाले भिवानी में भी हर वर्ष की भांति इस बार भी महाशिवरात्रि पर्व पर शिव भक्तों की काफी चहल-पहल रहेगी. देवो के देव महादेव भगवान शिव के इस त्योहार को लेकर छोटी काशी के लोगों में भी बड़ी श्रद्धा है. इस दिन भिवानी के सबसे बड़े शिव मंदिर जोगी वाला मंदिर में भगवान शिव का विशेष जलाभिषेक किया जाता है और कावड़ चढ़ाई जाती है.

जोगी वाला मंदिर भिवानी के महंत वेदनाथ महाराज ने बताया कि भिवानी का जोगीवाला मंदिर करीबन 300 वर्ष पुराना है. बाबा मस्तनाथ के शिष्य बाबा मेहूनाथ ने इस मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित की थी. मंदिर के महंत के अनुसार कहा जाता है कि 300 वर्ष पहले एक गाड़ीवान भगवान शिव की मूर्ति को जींद लेकर जा रहे थे, रात्रि विश्राम के लिए वे जोगीवाला मंदिर में ठहरे थे.

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जब सुबह गाड़ीवान चलने लगे तो गाड़ी धंस गई और काफी कोशिश करने के बावजूद वे मूर्ति को यहां से नहीं ले जा सके. इस पर बाबा मेहूनाथ ने गाड़ीवान से प्रार्थना कर इस मूर्ति को यहीं पर स्थापित करवा दिया. यहां शिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. महंत वेदनाथ महाराज ने बताया कि भगवान शिव की आराधना श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है. भगवान शिव के के आदि-अनादि रूप की पूजा चरणामृत से की जाती है. चरणामृत पांच पदार्थों से बनाया जाता है. इसे दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से बनाया जाता है.

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श्रद्धाभाव से चरणामृत से शिवलिंग का मृदन किया जाता है. उसके बाद बेलपत्र, धूप व 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र से धूप-दीप के साथ भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं, भिवानी निवासी मेहुल सर्राफ ने बताया कि भगवान शिव हर व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण करते हैं. शिवरात्रि पर्व पर देश भर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है. जिससे श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है. विशेष तौर पर हर सोमवाार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन सभी भक्त भगवान का बेल पत्र के साथ जलाभिषेक कर शिव की पूजा करते हैं.

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