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भिवानी: मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस पर हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन - बापोड़ा गांव मेजर ध्यानचंद जन्मदिन आयोजन

भिवानी के बापोड़ा गांव में मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस पर हॉकी के प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. लोगों ने केक काटकर हॉकी के इस जादूगर का जन्मदिवस मनाया.

hockey competition organized on the birthday of major dhyanchand in bhiwani
मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस पर हॉकी प्रतियोगिता का किया आयोजन
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Published : Aug 29, 2020, 8:31 PM IST

भिवानी: जिले के बापोड़ा गांव में 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद का जन्मदिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. खेल प्रेमियों ने केक काटकर हॉकी के जादूगर का जन्मदिन मनाया. इस अवसर पर एक मैत्रीपूर्ण मैच का आयोजन भी किया गया. ये मैच बापोड़ा जूनियर और सीनियर के बीच खेला गया. संघर्षपूर्ण मुकाबले में अंतिम क्षणों में बापोड़ा सीनियर ने बापोड़ा जूनियर को चार-एक से हराया.

मोहन फौजी, कंवर पाल सिंह ने मेजर ध्यानचंद को भारत के हॉकी का पितामह बताते हुए कहा कि उनके हाथों में हॉकी एक जादू की छड़ी की तरह लगती थी. इसलिए उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है.

उन्होंने खिलाड़ियों का परिचय लगते हुए कहा कि हमें खेल को खेल की भावना से खेलना चाहिए. हार-जीत अपनी जगह होती है. परिश्रम से ही हमें सफलता प्राप्त होती है. जो लगन से काम करेगा वो अपने मुकाम तक जरूर पहुंचेगा.

कौन हैं ध्यानचंद?

दरअसल 29 अगस्त 1906 को हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद का जन्म हुआ था. उनके जन्मदिन को भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन हर साल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते हैं

बता दें कि, 'द विर्जड' के नाम से विख्यात ध्यानचंद का असल नाम ध्यान सिंह था. उनको हॉकी को लेकर इतने प्रतिबद्द थे कि वो रात में चांद की रौशनी में भी हॉकी का अभ्यास किया करते थे, इसलिए उनके कोच ने उनका नाम ध्यान चंद रखा था. ध्यानचंद ने एम्स्टर्डम (1928), लॉस एंजलिस (1932) और बर्लिन(1936) में भारत के लिए 3 ओलंपिक मेडल जीते और अपने पूरे करियर में उन्होंने 400 गोल दागे जो अभी तक किसी भी खिलाड़ी द्वारा दागे गए गोलों में सर्वश्रेष्ठ है.

ये भी पढ़ें: पहली बार वर्चअुल सेरेमनी के माध्यम से बांटे गए नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड्स, ये खिलाड़ी और कोच हुए सम्मानित

भिवानी: जिले के बापोड़ा गांव में 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद का जन्मदिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. खेल प्रेमियों ने केक काटकर हॉकी के जादूगर का जन्मदिन मनाया. इस अवसर पर एक मैत्रीपूर्ण मैच का आयोजन भी किया गया. ये मैच बापोड़ा जूनियर और सीनियर के बीच खेला गया. संघर्षपूर्ण मुकाबले में अंतिम क्षणों में बापोड़ा सीनियर ने बापोड़ा जूनियर को चार-एक से हराया.

मोहन फौजी, कंवर पाल सिंह ने मेजर ध्यानचंद को भारत के हॉकी का पितामह बताते हुए कहा कि उनके हाथों में हॉकी एक जादू की छड़ी की तरह लगती थी. इसलिए उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है.

उन्होंने खिलाड़ियों का परिचय लगते हुए कहा कि हमें खेल को खेल की भावना से खेलना चाहिए. हार-जीत अपनी जगह होती है. परिश्रम से ही हमें सफलता प्राप्त होती है. जो लगन से काम करेगा वो अपने मुकाम तक जरूर पहुंचेगा.

कौन हैं ध्यानचंद?

दरअसल 29 अगस्त 1906 को हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद का जन्म हुआ था. उनके जन्मदिन को भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन हर साल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते हैं

बता दें कि, 'द विर्जड' के नाम से विख्यात ध्यानचंद का असल नाम ध्यान सिंह था. उनको हॉकी को लेकर इतने प्रतिबद्द थे कि वो रात में चांद की रौशनी में भी हॉकी का अभ्यास किया करते थे, इसलिए उनके कोच ने उनका नाम ध्यान चंद रखा था. ध्यानचंद ने एम्स्टर्डम (1928), लॉस एंजलिस (1932) और बर्लिन(1936) में भारत के लिए 3 ओलंपिक मेडल जीते और अपने पूरे करियर में उन्होंने 400 गोल दागे जो अभी तक किसी भी खिलाड़ी द्वारा दागे गए गोलों में सर्वश्रेष्ठ है.

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