भिवानी: हरियाणा में एकाएक बढ़ी ठंड ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. इस ठंड से बचने के लिए लोग जहां अलाव सेक रहे हैं वहीं अन्य गर्म पेय पदार्थ भी ठंड से राहत देने देने में मददगार साबित हो रहे हैं.
ठंड से बचने के लिए भिवानी के जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉक्टर देवेंद्र शर्मा ने कुछ सुझाव दिए हैं. उन्होंने कहा है कि अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाकर ही ठंड और कोरोना जैसी बीमारियों से निपटा जा सकता है.
ठंड से बचने के उपाय
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय, सोंठ, इलायची का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा गिलोय घनवटी और संशमनी वटी का प्रयोग करके भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है. ये रोग प्रतिरोधक क्षमता ना केवल ठंड से हमें सुरक्षित रखती है बल्कि कोरोना जैसी बीमारी से लड़ने में भी सक्षम बनाती है.
उन्होंने बताया कि भिवानी जिले में कोरोना महामारी के दौरान दो लाख 55 हजार लोगों तक आयुर्वेदिक दवाई रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए बांटी जा चुकी है. जो सभी प्रकार की बीमारियों में से बचाने के लिए उपयोगी साबित हो रही हैं.
क्या होती है संशमनी वटी ?
शरीर में कोई तत्व कम हो रहा है तो संशमनी वटी उसे कम होने से रोकती है. शरीर में कुछ चीजें अपनी निर्धारित स्तर से नीचे जा रही हैं या ऊपर जा रही हैं, तो ये उसे संतुलित करती है. शरीर को सामान्य रखने की कोशिश करती है. शरीर में संक्रमण को रोकती है. ये भी देखा गया है कि संक्रमण रोकने या शरीर को सामान्य अवस्था में लाने के लिए अगर कोई दवाई काम नहीं कर रही है या कम काम कर रही है तो उस दवाई के साथ इस वटी को दिया गया है तो वो भी काम करने लगती है.
गिलोय घनवटी क्यों जरूरी?
आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की पत्तियां, जड़ें और तना तीनो ही भाग सेहत के लिए बहुत गुणकारी हैं, लेकिन बीमारियों के इलाज में सबसे ज्यादा उपयोग गिलोय के तने या डंठल का ही होता है. गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण होते हैं. इन्हीं गुणों की वजह से यs बुखार, पीलिया, गठिया, डायबिटीज, कब्ज़, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोगों आदि से आराम दिलाती है.
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