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सरपंचों के बाद जिला परिषद अपनी मांगों को लेकर हुए लामबंद, राज्य स्तरीय बैठक में मांगों पर किया मंथन

अभी सरपंचों का विरोध थमा भी नहीं कि अब जिला परिषद भी अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं. बुधवार को भिवानी के देवसर धाम में सभी जिला परिषद स्दस्यों ने एकसाथ अपनी मांगों को लेकर राज्यस्तरीय बैठक की.

haryana Zilla Parishads state level meeting demands in bhiwani
सरपंचों के बाद जिला परिषद अपनी मांगों को लेकर हुए लामबंद
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Published : Mar 22, 2023, 4:49 PM IST

भिवानी: हरियाणा प्रदेश के सरपंचों की तर्ज पर अब प्रदेश के जिला परिषद सदस्य भी अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ खड़ा होने शुरू हो गए हैं. प्रदेश के 22 जिलों के 200 के लगभग जिला परिषद सदस्यों ने भिवानी के देवसर धाम में एकत्रित होकर अपनी शक्तियां बढ़ाने व मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर राज्य स्तरीय बैठक की. जिला परिषदों ने बैठक में सरकार को चेताया और जिला परिषद सदस्यों ने सांसद व विधायकों की तर्ज पर शक्तियां दिए जाने की सरकार से मांग की.

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे विभिन्न वर्गों से जुड़े संगठन भी सक्रिय होकर सरकार पर अपनी मांगें मनवाने के लिए दबाव बढ़ाते नजर आ रहे हैं. भिवानी के जिला पार्षद मोनू देवसरिया की अध्यक्षता में 22 जिलों के 200 के लगभग महिला व पुरुष जिला परिषद सदस्यों ने एकत्रित होकर भिवानी में अपनी मांगों पर विचार किया. उन्होंने कहा कि वे शक्तियों के अभाव में सरपंचों के मार्फत काम करने को मजबूर है. जब तक सरपंच रेजुलेशन पास नहीं करता, तब तक वे जिला परिषद सदस्य अपने क्षेत्र में काम नहीं करवा पाते.

ऐसे में बड़े क्षेत्र की जनता के हितों के लिए काम कर पाने में अक्षम है. उन्होंने कहा कि वे अपने क्षेत्र के लगभग 20 किलोमीटर क्षेत्र के 35 से 40 हजार मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. जबकि उन्हें अपने कामों के लिए सरपंचों व अधिकारियों पर निर्भर रहना पड़ता है और उन्हें मात्र तीन हजार रुपये मानदेय मिलता है. वहीं, शहरी क्षेत्र से चार से पांच हजार मतदाताओं पर बनने वाले पार्षदों को 7500 रुपये मानदेय मिलता है. भिवानी में जुटे जिला परिषद सदस्यों ने अपनी मांगों को लेकर रणनीति बनाई और कहा कि सरकार उनका मानदेय 50 हजार रुपये करें. विधायक व सांसद की तर्ज पर ऐच्छिक निधि तीन लाख रुपये निर्धारित की जाए.

ये भी पढ़ें: पलवल में साइको किलर को फांसी की सजा, 2 घंटे में 6 लोगों को उतारा था मौत के घाट

जिला परिषदों की मांगें: जिला के सभी टोल उनके लिए फ्री हो, पार्षदों को कार्यालय व कामकाज में सहायता के लिए कर्मचारी उपलब्ध हों, वार्ड के किसी भी कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जिला पार्षद से एनओसी लेना जरूरी किया जाए. पार्षदों की पेंशन शुरू की जाए, पार्षदों को सीएचसी व पीएचसी के कार्यो में निरीक्षण की शक्तियां प्राप्त हो, जिला पार्षद की प्रोटोकॉल की अधिसूचना जारी की जाए, 1500 किलोमीटर का पेट्रोल दिया जाए, हर जिला का अपना बजट तथा सभी जिला पार्षदों का बजट बराबर हो, जैसी विभिन्न मांगें जिला पार्षदों ने रखी. उन्होंने कहा कि वे आने वाले समय में सरकार को उनकी मांगें मानने के लिए मजबूर कर देंगे. उन्होंने कहा कि ये मांगें उनका हक है, इन्हें पूरा किया जाना राज्य सरकार का दायित्व है.

ये भी पढ़ें: भिवानी में इनसो ने चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय के कुलपति को सौंपा ज्ञापन, मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने की मांग

भिवानी: हरियाणा प्रदेश के सरपंचों की तर्ज पर अब प्रदेश के जिला परिषद सदस्य भी अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ खड़ा होने शुरू हो गए हैं. प्रदेश के 22 जिलों के 200 के लगभग जिला परिषद सदस्यों ने भिवानी के देवसर धाम में एकत्रित होकर अपनी शक्तियां बढ़ाने व मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर राज्य स्तरीय बैठक की. जिला परिषदों ने बैठक में सरकार को चेताया और जिला परिषद सदस्यों ने सांसद व विधायकों की तर्ज पर शक्तियां दिए जाने की सरकार से मांग की.

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे विभिन्न वर्गों से जुड़े संगठन भी सक्रिय होकर सरकार पर अपनी मांगें मनवाने के लिए दबाव बढ़ाते नजर आ रहे हैं. भिवानी के जिला पार्षद मोनू देवसरिया की अध्यक्षता में 22 जिलों के 200 के लगभग महिला व पुरुष जिला परिषद सदस्यों ने एकत्रित होकर भिवानी में अपनी मांगों पर विचार किया. उन्होंने कहा कि वे शक्तियों के अभाव में सरपंचों के मार्फत काम करने को मजबूर है. जब तक सरपंच रेजुलेशन पास नहीं करता, तब तक वे जिला परिषद सदस्य अपने क्षेत्र में काम नहीं करवा पाते.

ऐसे में बड़े क्षेत्र की जनता के हितों के लिए काम कर पाने में अक्षम है. उन्होंने कहा कि वे अपने क्षेत्र के लगभग 20 किलोमीटर क्षेत्र के 35 से 40 हजार मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. जबकि उन्हें अपने कामों के लिए सरपंचों व अधिकारियों पर निर्भर रहना पड़ता है और उन्हें मात्र तीन हजार रुपये मानदेय मिलता है. वहीं, शहरी क्षेत्र से चार से पांच हजार मतदाताओं पर बनने वाले पार्षदों को 7500 रुपये मानदेय मिलता है. भिवानी में जुटे जिला परिषद सदस्यों ने अपनी मांगों को लेकर रणनीति बनाई और कहा कि सरकार उनका मानदेय 50 हजार रुपये करें. विधायक व सांसद की तर्ज पर ऐच्छिक निधि तीन लाख रुपये निर्धारित की जाए.

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जिला परिषदों की मांगें: जिला के सभी टोल उनके लिए फ्री हो, पार्षदों को कार्यालय व कामकाज में सहायता के लिए कर्मचारी उपलब्ध हों, वार्ड के किसी भी कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जिला पार्षद से एनओसी लेना जरूरी किया जाए. पार्षदों की पेंशन शुरू की जाए, पार्षदों को सीएचसी व पीएचसी के कार्यो में निरीक्षण की शक्तियां प्राप्त हो, जिला पार्षद की प्रोटोकॉल की अधिसूचना जारी की जाए, 1500 किलोमीटर का पेट्रोल दिया जाए, हर जिला का अपना बजट तथा सभी जिला पार्षदों का बजट बराबर हो, जैसी विभिन्न मांगें जिला पार्षदों ने रखी. उन्होंने कहा कि वे आने वाले समय में सरकार को उनकी मांगें मानने के लिए मजबूर कर देंगे. उन्होंने कहा कि ये मांगें उनका हक है, इन्हें पूरा किया जाना राज्य सरकार का दायित्व है.

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