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किसान गेहूं की कटाई में मस्त, ग्रामीण आंचल में नहीं दे रहा चुनावी रंग - सरसों

एक ओर देश भर में चुनावों का रंग चढा हुआ है वहीं दूसरी ओर किसान की 6 महीने की मेहनत भी रंग जोरों पर है. किसान इन दिनों अपनी गेहूं की फसल की कटाई कर रहे हैं.

गेहूं की फसल काटते किसान
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Published : Apr 20, 2019, 11:16 PM IST

भिवानी: सरसों की कटाई के बाद किसान गर्मी पड़ने के साथ ही गेहूं की कटाई में जुट गया है. वर्ष भर की मेहनत खेतों में खड़ी हो तो चुनाव का रंग किसे भाता है. इसीलिए ग्रामीण आंचल में चुनाव का रंग हाल-फिलहाल फीका ही है.

कुछ राजनीतिक दलों के नेता और उनके समर्थक मतदाताओं से संपर्क का प्रयास तो करते है, लेकिन अधिकांश गांवों में उन्हें निराशा ही लगती है. बेचारा किसान सूर्य उदय से पहले ही खेतों में कटाई के लिए पहुंच जाता है. शाम ढ़ले ही धका-मादा घर आता है. फिर राजनेताओं की तकरीर सुनने की फुसरत किसे है.

गेहूं की कटाई जोरों पर है. इसीलिए गांवों में राजनीतिक हलचल न के बराबर ही है. नामांकन की अंतिम तारीख 23 अप्रैल है. संभवत: अगले एक सप्ताह में गेहूं की कटाई और कढ़ाई की प्रक्रिया किसान पूरी कर लेगा. इसके बाद चुनाव का रंग ही ग्रामीण आंचल में दिखाई देने लगेगा.

भिवानी: सरसों की कटाई के बाद किसान गर्मी पड़ने के साथ ही गेहूं की कटाई में जुट गया है. वर्ष भर की मेहनत खेतों में खड़ी हो तो चुनाव का रंग किसे भाता है. इसीलिए ग्रामीण आंचल में चुनाव का रंग हाल-फिलहाल फीका ही है.

कुछ राजनीतिक दलों के नेता और उनके समर्थक मतदाताओं से संपर्क का प्रयास तो करते है, लेकिन अधिकांश गांवों में उन्हें निराशा ही लगती है. बेचारा किसान सूर्य उदय से पहले ही खेतों में कटाई के लिए पहुंच जाता है. शाम ढ़ले ही धका-मादा घर आता है. फिर राजनेताओं की तकरीर सुनने की फुसरत किसे है.

गेहूं की कटाई जोरों पर है. इसीलिए गांवों में राजनीतिक हलचल न के बराबर ही है. नामांकन की अंतिम तारीख 23 अप्रैल है. संभवत: अगले एक सप्ताह में गेहूं की कटाई और कढ़ाई की प्रक्रिया किसान पूरी कर लेगा. इसके बाद चुनाव का रंग ही ग्रामीण आंचल में दिखाई देने लगेगा.

किसान गेहूं की कटाई में मस्त, ग्रामीण आंचल मेें नहीं दे रहा चुनावी रंग
भिवानी, 20 अप्रैल : सरसो की कटाई के बाद किसान गर्मी पडऩे के साथ ही गेहूं की कटाई में जुट गया है। वर्ष भर की मेहनत खेतों में खड़ी हो तो चुनाव का रंग किसे भाता है। इसीलिए ग्रामीण आंचल में चुनाव का रंग हाल-फिलहाल फीका ही है। 
    कुछ राजनीतिक दलों के नेता व उनके समर्थक मतदाताओं से संपर्क का प्रयास तो करते है, लेकिन अधिकांश गांवों में उन्हे निराशा ही लगती है। क्योंकि बेचारा किसान सूर्य उदय से पहले ही खेतों में कटाई के लिए पहुंच जाता है और शाम ढ़ले ही धका-मादा घर आता है। फिर राजनेताओं की तकरीर सुनने की फुसरत किसे है। 
    गेहूं की कटाई जोरो पर है। इसीलिए गांवों में राजनीतिक हलचल न के बराबर ही है। नामांकन की अंतिम तारीख 23 अप्रैल है। संभवत: अगले एक सप्ताह में गेहूं की कटाई व कढ़ाई की प्रक्रिया किसान पूरी कर लेगा। इसके बाद चुनाव का रंग ही ग्रामीण आंचल में दिखाई देने लगेगा। 
फोटो कैप्शन : 20बीडब्ल्यूएन, 1 : खेतों में गेहूं की कटाई करते किसान। 

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