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मिताथल के ग्रामीणों का फैसला: गांव में कृषि कानून रद्द होने तक चुनावों पर रहेगा प्रतिबंध - haryana village election ban

भिवानी जिले के मिताथल गांव के ग्रामीणों ने कृषि कानूनों के रद्द होने तक सभी प्रकार के चुनावों पर प्रतिबंध लगा दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि वो गांव में कोई भी चुनाव नहीं होने देंगे.

election ban in mitathal village of bhiwani district haryana
election ban in mitathal village of bhiwani district haryana
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Published : Mar 5, 2021, 3:45 PM IST

भिवानी: जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करेगी, तब तक गांव मिताथल में सभी प्रकार के चुनाव पर प्रतिबंध रहेगा. ये फैसला भिवानी जिले के गांव मिताथल के ग्रामीणों ने लिया है.

बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठै किसानो के लिए गांव मिताथल के किसान लगतार अपना सहयोग दे रहे हैं. इसी के तहत शुक्रवार को एक बार फिर से 700 लीटर दूध, 900 लीटर लस्सी सहित अन्य खाद्य सामग्री लेकर किसान टिकरी बॉर्डर पर पहुंचे.

ये भी पढ़ें- 100 रुपये प्रति लीटर दूध, 2000 रुपये किलो घी बेच रहे हैं किसान, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा- हमने नहीं किया आह्वान

इस दौरान किसान विनोद सांगवान ने बताया कि ग्रामीणों ने फैसला लिया है कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होते, तक गांव में सभी प्रकार के चुनाव पर प्रतिबंध रहेगा और कृषि कानून रद्द होने के बाद गांव में चुनाव ईवीएम की बजाए बैलेट पेपर से करवाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि कृषि कानून रद्द होने तक किसान आंदोलन जारी रखेंगे, इसके लिए चाहे कोई भी कुर्बानी देनी पड़े.

ये भी पढ़ें- डेयरी संचालकों ने किया सतरोल खाप के फैसले का स्वागत, 100 रुपये किलो दूध बेचने को तैयार

भिवानी: जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करेगी, तब तक गांव मिताथल में सभी प्रकार के चुनाव पर प्रतिबंध रहेगा. ये फैसला भिवानी जिले के गांव मिताथल के ग्रामीणों ने लिया है.

बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठै किसानो के लिए गांव मिताथल के किसान लगतार अपना सहयोग दे रहे हैं. इसी के तहत शुक्रवार को एक बार फिर से 700 लीटर दूध, 900 लीटर लस्सी सहित अन्य खाद्य सामग्री लेकर किसान टिकरी बॉर्डर पर पहुंचे.

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इस दौरान किसान विनोद सांगवान ने बताया कि ग्रामीणों ने फैसला लिया है कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होते, तक गांव में सभी प्रकार के चुनाव पर प्रतिबंध रहेगा और कृषि कानून रद्द होने के बाद गांव में चुनाव ईवीएम की बजाए बैलेट पेपर से करवाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि कृषि कानून रद्द होने तक किसान आंदोलन जारी रखेंगे, इसके लिए चाहे कोई भी कुर्बानी देनी पड़े.

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