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अस्पताल में वेंटिलेटर होने के बाद भी कोरोना मरीजों का नहीं हो रहा इलाज, ये है कारण

भिवानी के अस्पताल में गंभीर कोरोना मरीजों के लिए वेंटिलेटर की सुविधा दी गई है. इसके बाद भी मरीजों को इलाज के लिए अग्रोहा जाना पड़ रहा है.

Corona patients not getting treatment even after having ventilator in hospital bhiwani
Corona patients not getting treatment even after having ventilator in hospital bhiwani
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Published : Nov 21, 2020, 12:40 PM IST

भिवानी: जिले में कोरोना के नए केसों का आना जारी है. भिवानी में कोरोना के कई ऐसे मरीज है, जिनकी हालत गंभीर बनी हुई है. हैरत की बात ये है कि यहां कोरोना के गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर होने के बावजूद उन्हें उनकी सुविधा नहीं दी जा रही है. सिविल सर्जन की मानें तो उनकी नजर में यहां के वेंटिलेटर है. वहीं सिविल अस्पताल के पीएमओ का कहना है कि यहां रखे वेंटिलेटर को चलाने के लिए स्टाफ ही नहीं है.

वेंटिलेटर है इलाज नहीं

इस समस्या के कारण जिले के कोरोना के गंभीर मरीजों को अग्रोहा मेडिकल कॉलेज रेफर किया जा रहा है. जबकि इस तरह के कुछ मरीज अग्रोहा पहुंचने से पहले ही दम तोड़ चुके हैं. वहीं कुछ मरीज खुद को निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर का भारी भरकम खर्चा उठवाकर अपना इलाज करवा रहे हैं. पिछले दिनों तक सिविल अस्पताल में बने कोविड-19 केयर वार्ड में कोरोना मरीजों के लिए 11 वेंटिलेटर थे.

दूसरे अस्पताल में मरीजों को कराना पड़ रहा इलाज

उनमें से 4 वेंटीलेटर शहर के 3 निजी अस्पतालों के संचालकों ने आपातकाल के लिए दिए थे. इसके अलावा 2 वेंटिलेटर सांसद धर्मबीर सिंह यहां के लिए दान करा चुके हैं तो 5 वेंटिलेटर यहां स्वास्थ्य विभाग की ओर से मौजूद हैं. लेकिन इन सब के बावजूद कोरोना मरीजों के लिए एक भी वेंटिलेटर नहीं चलाया गया. इसके चलते यहां भर्ती होने वाले किसी मरीज की अगर हालत खराब होती है तो उसे वेंटीलेटर सुविधा के लिए अग्रोहा मेडीकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है.

इसलिए होती है वेंटिलेटर की जरूरत

बता दें कि कोरोना के 100 मरीजों में से करीब 10 मरीज ऐसे है, जिनकी हालत गंभीर बनी हुई है. उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत है. ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है. फेफड़ों में पानी भर जाता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है. इसलिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है. इसके जरिए मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को समान्य बनाया जाता है.

इसके अलावा एक वेंटिलेटर की कीमत 5 से 10 लाख रुपये के बीच होती है. लेकिन भिवानी में वेंटिलेटर होने के बाद मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ रहा है. इस बारे में सिविल सर्जन डा. सपना गहलोत से बात की तो उन्होंने कहा कि वेंटिलेटर रखे हुए हैं, पेशेंट आएंगे तो उनको चलाया जाएगा. इस पर उनसे कहा गया कि पेशेंट तो आ रहे हैं, लेकिन उन्हें अग्रोहा रेफर किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- गुरुग्राम में कोरोना के मामले बेकाबू, स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की रैंडम टेस्टिंग

ये है कारण

इस बारे में पीएमओ रघुबीर शांडिल्य ने बताया कि इन वेंटिलेटर को चलाने के लिए कम से कम 4 एमडी डाक्टरों की वेंटिलेटर एक्सपर्ट टीम, 4 एनेस्थेसिया स्पेशलिस्ट तो चाहिए ही चाहिए. लेकिन यहां इनमें से ना तो कोई डाक्टर है और ना ही एनेस्थेसिया स्पेशलिस्ट है. इसलिए इन वेंटिलेटर को नहीं चलाया जा रहा है.

भिवानी: जिले में कोरोना के नए केसों का आना जारी है. भिवानी में कोरोना के कई ऐसे मरीज है, जिनकी हालत गंभीर बनी हुई है. हैरत की बात ये है कि यहां कोरोना के गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर होने के बावजूद उन्हें उनकी सुविधा नहीं दी जा रही है. सिविल सर्जन की मानें तो उनकी नजर में यहां के वेंटिलेटर है. वहीं सिविल अस्पताल के पीएमओ का कहना है कि यहां रखे वेंटिलेटर को चलाने के लिए स्टाफ ही नहीं है.

वेंटिलेटर है इलाज नहीं

इस समस्या के कारण जिले के कोरोना के गंभीर मरीजों को अग्रोहा मेडिकल कॉलेज रेफर किया जा रहा है. जबकि इस तरह के कुछ मरीज अग्रोहा पहुंचने से पहले ही दम तोड़ चुके हैं. वहीं कुछ मरीज खुद को निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर का भारी भरकम खर्चा उठवाकर अपना इलाज करवा रहे हैं. पिछले दिनों तक सिविल अस्पताल में बने कोविड-19 केयर वार्ड में कोरोना मरीजों के लिए 11 वेंटिलेटर थे.

दूसरे अस्पताल में मरीजों को कराना पड़ रहा इलाज

उनमें से 4 वेंटीलेटर शहर के 3 निजी अस्पतालों के संचालकों ने आपातकाल के लिए दिए थे. इसके अलावा 2 वेंटिलेटर सांसद धर्मबीर सिंह यहां के लिए दान करा चुके हैं तो 5 वेंटिलेटर यहां स्वास्थ्य विभाग की ओर से मौजूद हैं. लेकिन इन सब के बावजूद कोरोना मरीजों के लिए एक भी वेंटिलेटर नहीं चलाया गया. इसके चलते यहां भर्ती होने वाले किसी मरीज की अगर हालत खराब होती है तो उसे वेंटीलेटर सुविधा के लिए अग्रोहा मेडीकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है.

इसलिए होती है वेंटिलेटर की जरूरत

बता दें कि कोरोना के 100 मरीजों में से करीब 10 मरीज ऐसे है, जिनकी हालत गंभीर बनी हुई है. उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत है. ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है. फेफड़ों में पानी भर जाता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है. इसलिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है. इसके जरिए मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को समान्य बनाया जाता है.

इसके अलावा एक वेंटिलेटर की कीमत 5 से 10 लाख रुपये के बीच होती है. लेकिन भिवानी में वेंटिलेटर होने के बाद मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ रहा है. इस बारे में सिविल सर्जन डा. सपना गहलोत से बात की तो उन्होंने कहा कि वेंटिलेटर रखे हुए हैं, पेशेंट आएंगे तो उनको चलाया जाएगा. इस पर उनसे कहा गया कि पेशेंट तो आ रहे हैं, लेकिन उन्हें अग्रोहा रेफर किया जा रहा है.

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ये है कारण

इस बारे में पीएमओ रघुबीर शांडिल्य ने बताया कि इन वेंटिलेटर को चलाने के लिए कम से कम 4 एमडी डाक्टरों की वेंटिलेटर एक्सपर्ट टीम, 4 एनेस्थेसिया स्पेशलिस्ट तो चाहिए ही चाहिए. लेकिन यहां इनमें से ना तो कोई डाक्टर है और ना ही एनेस्थेसिया स्पेशलिस्ट है. इसलिए इन वेंटिलेटर को नहीं चलाया जा रहा है.

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