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भिवानी सामाजिक संगठनों ने वीर पुत्र चंद्रशेखर को किया याद, पुण्यतिथि पर दी गई श्रद्धांजलि

बुधवार को चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि भिवानी में सभी सामाजिक संगठनों द्वारा मनाई गई. इस मौके पर सभी सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

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Published : Feb 27, 2019, 6:12 PM IST

चंद्र शेखर आजाद को श्रद्धांजलि देते लोग.

भिवानी: विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा बुधवार को चंद्रशेखर आजाद की पुण्यातिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.आदर्श समाज हरियाणा के प्रवक्ता सुरेश सैनी ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि चन्द्रशेखर आजाद का जन्म भाबरा गांव (अब चन्द्रशेखर आजादनगर) (वर्तमान जिला- अलीराजपुर ) में 23 जुलाई 1906 को हुआ था.

उनके पूर्वज बदरका (वर्तमान उन्नाव जिला) बैसवारा से थे. आजाद के पिता पंडित सीताराम तिवारी अपने पैतृक निवास बदरका को छोड़कर पहले कुछ दिनों मध्य प्रदेश अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते रहे, फिर जाकर भावरा गांव में बस गए, जहां चंद्रशेखर का बचपन बीता था.

बता दें उनकी मां का नाम जगरानी देवी था. आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरागांव में बीता. साथ ही चद्रशेखर ने निशानेबाजी भी बचपन में ही सीख ली थी.नगर परिषद के वाइस चेयरमैन मामनचंद ने कहा कि आजाद प्रखर देशभक्त थे. काकोरी कांड में फरार होने के बाद से ही उन्होंने छिपने के लिए साधु का वेश बनाना बखूबी सीख लिया था और इसका उपयोग उन्होंने कई बार किया.चन्द्रशेखर आजाद ने वीरता की नई परिभाषा लिखी थी. उनके बलिदान के बाद उनके द्वारा प्रारम्भ किया गया आंदोलन और तेज हो गया. उसके बाद उनसे प्रेरणा लेकर हजारों युवक स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े.

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आजाद की शहादत के सोलह वर्षों बाद 15 अगस्त 1947 को हिन्दुस्तान के आजाद होने का उनका सपना पूरा हुआ. 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों के मुकाबले में अंग्रेजों के हाथ ना लग जाए, इसलिए स्वयं गोली मार ली और वीरगति को प्राप्त हो गए.

भिवानी: विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा बुधवार को चंद्रशेखर आजाद की पुण्यातिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.आदर्श समाज हरियाणा के प्रवक्ता सुरेश सैनी ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि चन्द्रशेखर आजाद का जन्म भाबरा गांव (अब चन्द्रशेखर आजादनगर) (वर्तमान जिला- अलीराजपुर ) में 23 जुलाई 1906 को हुआ था.

उनके पूर्वज बदरका (वर्तमान उन्नाव जिला) बैसवारा से थे. आजाद के पिता पंडित सीताराम तिवारी अपने पैतृक निवास बदरका को छोड़कर पहले कुछ दिनों मध्य प्रदेश अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते रहे, फिर जाकर भावरा गांव में बस गए, जहां चंद्रशेखर का बचपन बीता था.

बता दें उनकी मां का नाम जगरानी देवी था. आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरागांव में बीता. साथ ही चद्रशेखर ने निशानेबाजी भी बचपन में ही सीख ली थी.नगर परिषद के वाइस चेयरमैन मामनचंद ने कहा कि आजाद प्रखर देशभक्त थे. काकोरी कांड में फरार होने के बाद से ही उन्होंने छिपने के लिए साधु का वेश बनाना बखूबी सीख लिया था और इसका उपयोग उन्होंने कई बार किया.चन्द्रशेखर आजाद ने वीरता की नई परिभाषा लिखी थी. उनके बलिदान के बाद उनके द्वारा प्रारम्भ किया गया आंदोलन और तेज हो गया. उसके बाद उनसे प्रेरणा लेकर हजारों युवक स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े.

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आजाद की शहादत के सोलह वर्षों बाद 15 अगस्त 1947 को हिन्दुस्तान के आजाद होने का उनका सपना पूरा हुआ. 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों के मुकाबले में अंग्रेजों के हाथ ना लग जाए, इसलिए स्वयं गोली मार ली और वीरगति को प्राप्त हो गए.

चंद्रशेखर आजाद की पुण्यातिथि पर दी श्रद्धांजलि
भिवानी, 27 फरवरी : विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा बुधवार को चंद्रशेखर आजाद की पुण्यातिथि के अवसर पर शहीद स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। आदर्श समाज हरियाणा के प्रवक्ता सुरेश सैनी ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि चन्द्रशेखर आजाद का जन्म भाबरा गांव (अब चन्द्रशेखर आजादनगर) (वर्तमान अलीराजपुर जिला) में 23 जुलाई 1906 को हुआ था। उनके पूर्वज बदरका (वर्तमान उन्नाव जिला) बैसवारा से थे। आजाद के  पिता  पंडित सीताराम तिवारी अपने पैतृक निवास बदरका को छोडक़र पहले कुछ दिनों मध्य प्रदेश अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते रहे फिर जाकर भाबरा गांव में बस गये। यही बालक चन्द्रशेखर का बचपन बीता। उनकी मां का नाम जगरानी देवी था। आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा  गांव में बीता अतएव बचपन में आजाद ने भील बालकों के साथ खूब धनुष बाण चलाये। इस प्रकार उन्होंने निशानेबाजी बचपन में ही सीख ली थी। 
    नगर परिषद के वाईस चेयरमैन मामनचंद ने कहा कि आजाद प्रखर देशभक्त थे। काकोरी कांड में फरार होने के बाद से ही उन्होंने छिपने के लिए साधु का वेश बनाना बखूबी सीख लिया था और इसका उपयोग उन्होंने कई बार किया। चन्द्रशेखर आजाद ने वीरता की नई परिभाषा लिखी थी। उनके बलिदान के बाद उनके द्वारा प्रारम्भ किया गया आन्दोलन और तेज हो गया, उनसे प्रेरणा लेकर हजारों युवक स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। आजाद की शहादत के सोलह वर्षों बाद 15 अगस्त 1947 को  हिन्दुस्तान की आजादी का उनका सपना पूरा तो हुआ किन्तु वे उसे जीते जी देख न सके। 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों का मुकाबले में अंग्रेजों के हाथ ना लग जाए इसलिए खुदकों गोली मार ली और वीरगति को प्राप्त हो गए।
फोटो कैप्शन : 27बीडब्ल्यूएन, 2 : चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर शहीद स्मारक् पर पुष्प अर्पित कर उनको श्रद्धांजलि देते गणमान्य लोग।

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