भिवानी: पूर्व सांसद और तृणमूल कांग्रेस के नेता अशोक तंवर रविवार को भिवानी जिले में स्थित डाडम माइनिंग जोन में हुए घटनास्थल (landslide accident in dadam mining zone) पर पहुंचे. अशोक तंवर ने डाडम माइनिंग हादसे के पीछे सरकार की संलिप्तता को भी शक के दायरे में लेने की बात की है. इस दौरान उन्होंने ने कहा कि खनन कार्य में जितनी खुदाई की स्वीकृति मिली हुई है, उससे कहीं अधिक गहराई तक खुदाई किए जाने पर ऐसा भयानक हादसा हुआ. इसके लिए राज्य की बीजेपी-जेजेपी सरकार दोषी है.
अशोक तंवर ने कहा कि पहाड़ को पूरी तरह से खुदाई करके खोखला कर दिया है और इस मामले में सरकार के प्रतिनिधियों को सुविधाशुल्क दिया जा रहा है. किसी अधिकारी अथवा सत्ता से जुड़े लोगों के बगैर इतना बड़ा मामला नहीं चल सकता. पिछले सात सालों में इस मामले पर सरकार आंखें मूंदी रही और इसके लिए पूर्ववर्ती सरकारें भी कहीं ना कहीं जिम्मेदार हैं. तंवर ने कहा कि जिस मामले में खुद भाजपा के नेता सवाल उठा रहे हैं, निश्चित ही उसकी पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय के सीटिंग न्यायाधीश से उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, क्योंकि इसमें घोटाले की बू आ रही है. पूर्व सांसद ने कहा कि खनन में करीब तीन लाख करोड़ के घोटाले की आशंका है और इतना बड़ा मामला सरकार की स्वीकृति के बगैर संभव नहीं है.
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उन्होंने भौतिक संसाधनों की चाहत में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पूर्व भी यमुनानगर में रेत माफिया ने हरियाणा का काफी नुकसान किया है और आज तक उसके दोषियों को भी सरकार की ओर से दंड नहीं दिया जा सका. टीएमसी नेता ने कहा कि इससे पूर्व महेंद्रगढ़ में भी ऐसे ही खानक में भी हादसा हो चुका है, लेकिन सरकार इस दिशा में उदासीन ही रही. इससे जाहिर होता है कि सरकार रेत और खनन माफिया से मिली हुई है. डॉ. अशोक तंवर ने कहा कि वे समय समय पर राज्य सरकार के समक्ष ऐसे गंभीर मामले उठाते रहे हैं और विरोधस्वरूप पदयात्रा व अन्य संवैधानिक तरीके से अपना विरोध भी जाहिर करते रहे हैं मगर सरकार की मिलीभगत व उदासीनता से ऐसे हादसे अब भी जारी हैं.
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अशोक तंवर ने प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना जाहिर करते हुए राज्य सरकार से मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा व एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की है. तंवर ने कहा कि इस हादसे में जिन लोगों की जान गई है, वे ही अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले अकेले थे, ऐसे में अब राज्य सरकार का दायित्व बनता है कि उनके परिवारों का आर्थिक संरक्षण करे. उन्होंने मांग की कि इस हादसे में घायलों का उपचार सरकार अपने खर्च पर करवाए तथा जो इस हादसे में दबे हुए हैं, उन्हें चिह्नित कर जल्द से जल्द बाहर निकलवाने का काम करे.
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