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27 अगस्त को कृषि अध्यादेश के खिलाफ अखिल भारतीय किसान सभा करेगी प्रदर्शन

किसान लगातार कृषि अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं. अखिल भारतीय किसान सभा ने 27 अगस्त को प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है.

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27 अगस्त को कृषि अध्यादेश के खिलाफ अखिल भारतीय किसान सभा करेगी प्रदर्शन
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Published : Aug 24, 2020, 2:32 PM IST

भिवानी: अखिल भारतीय किसान सभा कैरू खंड की बैठक देवराला गांव में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता ओमप्रकाश नंबरदार ने की. बैठक में सभा के खंड प्रधान छोटूराम पूनिया ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी किसान मिलकर केंद्र की किसान विरोधी नीतियों का विरोध करें.

पूनिया ने बताया कि भारी संख्या में किसान 27 अगस्त को तिकोना पार्क तोशाम में एकत्रित होंगे और सरकार से कृषि अध्यादेश रद्द करने की मांग करेंगे. अगर सरकार उनकी मांग पूरी नहीं करती है तो किसान बड़ा आंदोलन करने को बाध्य हो जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी केंद्र और प्रदेश सरकार की होगी.

कृषि अध्यादेश के खिलाफ अखिल भारतीय किसान सभा करेगी प्रदर्शन

ये भी पढ़िए: तीनों अध्यादेश वापस नहीं लिए तो अक्टूबर में व्यापारी सड़कों पर उतरेंगे: बजरंग दास

वहीं सभा के वरिष्ठ उपप्रधान शेर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार जो तीन कृषि अध्यादेश लाई है उसका मकसद किसान और खेती दोनों को बर्बाद करना है. एक तरफ तो सरकार स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिश लागू करने का वादा करती है तो वहीं दूसरी तरफ ये अध्यादेश लेकर किसानों को बर्बाद करने की कोशिश करती है.

क्या है कृषि अध्यादेश 2020?

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन ) अध्यादेश पारित किए हैं. इन अध्यादेशों के विरोध में किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश: इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है. इस अध्यादेश की सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर किसान और व्यापारी में कोई विवाद होगा तो उसका निपटारा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तीस दिनों के भीतर किया जाएगा. इस विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश: इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है. कॉन्ट्रैक्ट खेती में खेती बड़ी-बड़ी कंपनियां करेंगी. जिससे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश: देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए अध्यादेश में आलू, प्याज और तिलहन जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से लोग इन सामानों की जितनी चाहें स्टॉक जमा कर सकते हैं. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.

भिवानी: अखिल भारतीय किसान सभा कैरू खंड की बैठक देवराला गांव में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता ओमप्रकाश नंबरदार ने की. बैठक में सभा के खंड प्रधान छोटूराम पूनिया ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी किसान मिलकर केंद्र की किसान विरोधी नीतियों का विरोध करें.

पूनिया ने बताया कि भारी संख्या में किसान 27 अगस्त को तिकोना पार्क तोशाम में एकत्रित होंगे और सरकार से कृषि अध्यादेश रद्द करने की मांग करेंगे. अगर सरकार उनकी मांग पूरी नहीं करती है तो किसान बड़ा आंदोलन करने को बाध्य हो जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी केंद्र और प्रदेश सरकार की होगी.

कृषि अध्यादेश के खिलाफ अखिल भारतीय किसान सभा करेगी प्रदर्शन

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वहीं सभा के वरिष्ठ उपप्रधान शेर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार जो तीन कृषि अध्यादेश लाई है उसका मकसद किसान और खेती दोनों को बर्बाद करना है. एक तरफ तो सरकार स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिश लागू करने का वादा करती है तो वहीं दूसरी तरफ ये अध्यादेश लेकर किसानों को बर्बाद करने की कोशिश करती है.

क्या है कृषि अध्यादेश 2020?

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन ) अध्यादेश पारित किए हैं. इन अध्यादेशों के विरोध में किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश: इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है. इस अध्यादेश की सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर किसान और व्यापारी में कोई विवाद होगा तो उसका निपटारा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तीस दिनों के भीतर किया जाएगा. इस विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश: इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है. कॉन्ट्रैक्ट खेती में खेती बड़ी-बड़ी कंपनियां करेंगी. जिससे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश: देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए अध्यादेश में आलू, प्याज और तिलहन जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से लोग इन सामानों की जितनी चाहें स्टॉक जमा कर सकते हैं. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.

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