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भिवानीः जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए ये हैं कृषि वैज्ञानिक के टिप्स

शनिवार को भिवानी के अनेक गांवों में किसानों को फसलों के प्रति जागरूक करने के लिए शिविर लगाए गए. किसानों को ग्वार, बाजरा जैसी फसलों के बारे में आवश्यक जानकारी दी गई.

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Published : May 18, 2019, 5:06 PM IST

किसानों को किया जागरूक

भिवानी: ग्वार फसल की पैदावार बढ़ाने और किसानों को फसल के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इन दिनों किसान जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है. इन शिविरों के माध्यम से किसानों को ग्वार फसल की अधिक पैदावार लेने और जमीन की उर्वरा शक्ति बनाए रखने संबंधी जानकारी दी जा रही है.

किसानों को किया गया जागरूक
इसी के तहत भिवानी में हिंदुस्तान गम एंड कैमिकल्स के सहयोग से भिवानी जिले के विभिन्न गांवों में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. शिविर में चौ.चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त ग्वार वैज्ञानिक डॉ. बीडी यादव ने किसानों को ग्वार फसल संबंधी जानकारी दी.

क्लिक कर देखें वीडियो

ग्वार बारानी क्षेत्रों की एक महत्वपूर्ण फसल
बता दें कि ग्वार बारानी क्षेत्रों की एक महत्वपूर्ण फसल है. खरीफ फसलों में यह एक मुख्य फसल मानी जाती है. यह सूखे को सहन करने में काफी क्षमता रखती है. भिवानी और दादरी जिले में ज्यादातर हल्की जमीन होने की वजह से काफी किसान बाजरे की फसल लेकर अगले साल फिर बाजरा की फसल लेते हैं. अब कुछ साल से बीटी नरमा के अच्छे भाव होने के कारण इस क्षेत्र में नरमा का क्षेत्र धीरे-धीरे करके बढ़ता जा रहा है.

ग्वार, बाजरा और ग्वार नरमा की फसल चक्र से जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है
किसानों को संबोधित करते हुए डॉ. बीडी यादव ने कहा कि ग्वार एक दलहनी फसल होने के नाते वायुमंडी से नाईट्रोजन लेकर पौधों को देती है और फसल पकने पर इसके पत्ते झड़कर जमीन पर गिरकर जैविक खाद का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि ग्वार, बाजरा और ग्वार नरमा के फसल चक्र को अपनाने पर इन फसलों की पैदावार काफी अच्छी मिलती है और जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहती है.

अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद अवश्य डालें
इसके साथ-साथ डॉ. यादव ने किसानों को बताया कि ग्वार की अच्छी पैदावार लेने के लिए अपने खेतों में गोबर की तैयार खाद अवश्य डालें. इससे खेत की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहेगी और पैदावार भी अधिक मिलेगी.

भिवानी: ग्वार फसल की पैदावार बढ़ाने और किसानों को फसल के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इन दिनों किसान जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है. इन शिविरों के माध्यम से किसानों को ग्वार फसल की अधिक पैदावार लेने और जमीन की उर्वरा शक्ति बनाए रखने संबंधी जानकारी दी जा रही है.

किसानों को किया गया जागरूक
इसी के तहत भिवानी में हिंदुस्तान गम एंड कैमिकल्स के सहयोग से भिवानी जिले के विभिन्न गांवों में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. शिविर में चौ.चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त ग्वार वैज्ञानिक डॉ. बीडी यादव ने किसानों को ग्वार फसल संबंधी जानकारी दी.

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ग्वार बारानी क्षेत्रों की एक महत्वपूर्ण फसल
बता दें कि ग्वार बारानी क्षेत्रों की एक महत्वपूर्ण फसल है. खरीफ फसलों में यह एक मुख्य फसल मानी जाती है. यह सूखे को सहन करने में काफी क्षमता रखती है. भिवानी और दादरी जिले में ज्यादातर हल्की जमीन होने की वजह से काफी किसान बाजरे की फसल लेकर अगले साल फिर बाजरा की फसल लेते हैं. अब कुछ साल से बीटी नरमा के अच्छे भाव होने के कारण इस क्षेत्र में नरमा का क्षेत्र धीरे-धीरे करके बढ़ता जा रहा है.

ग्वार, बाजरा और ग्वार नरमा की फसल चक्र से जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है
किसानों को संबोधित करते हुए डॉ. बीडी यादव ने कहा कि ग्वार एक दलहनी फसल होने के नाते वायुमंडी से नाईट्रोजन लेकर पौधों को देती है और फसल पकने पर इसके पत्ते झड़कर जमीन पर गिरकर जैविक खाद का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि ग्वार, बाजरा और ग्वार नरमा के फसल चक्र को अपनाने पर इन फसलों की पैदावार काफी अच्छी मिलती है और जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहती है.

अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद अवश्य डालें
इसके साथ-साथ डॉ. यादव ने किसानों को बताया कि ग्वार की अच्छी पैदावार लेने के लिए अपने खेतों में गोबर की तैयार खाद अवश्य डालें. इससे खेत की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहेगी और पैदावार भी अधिक मिलेगी.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश दुहन भिवानी
दिनांक 18 मई।
विशेषज्ञों ने किसानों को बताए भूमि की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के टिप्स
जागरूकता शिविर आयोजित कर किसानों को बताए ग्वार फसल की पैदावार बढ़ाने के तरीके
ग्वार फसल की पैदावार बढ़ाने व किसानों को फसल के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इन दिनों किसान जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इन शिविरों के माध्यम से किसानों को ग्वार फसल की अधिक पैदावार लेने व जमीन की उर्वरा शक्ति बनाए रखने संबंधी जानकारी दी जा रही है। इसी के तहत भिवानी में हिंदुस्तान गम एंड कैमिकल्स के सहयोग से भिवानी जिला के विभिन्न गांवों में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में चौ. चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त ग्वार वैज्ञानिक डॉ. बीडी यादव ने किसानों को ग्वार फसल संबंधी जानकारी दी गई।
बता दें कि ग्वार बारानी क्षेत्रों की एक महत्वपूर्ण फसल है। खरीफ फसलों में यह एक मुख्य फसल मानी जाती है। यह सूखे को सहन करने में काफी क्षमता रखती है। भिवानी व दादरी जिले में ज्यादातर हल्की जमीन होने के कारण काफी किसान बाजरा की फसल लेकर अगली साल फिर बाजरा की फसल लेते है। अब कुछ साल से बीटी नरमा के अच्छे भाव होने के कारण इस क्षेत्र में नरमा का क्षेत्र धीरे-धीरे करके बढ़ता जा रहा है। काफी ऐसे किसान है, जो फसल चक्र बीटी नरमा के बाद बीटी नरमा ले रहे है, जससे भूमि की उपजाऊ शक्ति घटती जा रही है और भूमि में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है। जिसके कारण इन फसलों पैदावार में कमी होती जा रही है।
किसानों को संबोधित करते हुए डॉ. बीडी यादव ने कहा कि ग्वार एक दलहनी फसल होने के नाते वायुमंडी से नाईट्रोजन लेकर पौधों को देती है तथा फसल पकने पर इसके पत्ते झडक़र जमीन पर गिकर जैविक खाद का काम करते हैं। ग्वार, बाजरा व ग्वार नरमा के फसल चक्र को अपनाने पर इन फसलों की पैदावार काफी अच्छी मिलती है और जमीन की उर्वाशक्ति भी बनी रहती है। इसीलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि बाजरा व नरमा को ग्वार के फसल चक्र में अवश्य रखें। इसके साथ-साथ डॉ. यादव ने किसानों को बताया कि ग्वार की अच्छी पैदावार लेने के लिए अपने खेतों में गोबर की तैयार खाद अवश्य डालें, इससे खेत की उर्वाशक्ति भी बनी रहेगी और पैदावार भी अधिक मिलेगी। इस प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए ग्वार विशेषज्ञ ने उखेड़ा रोग को ग्वार फसल की एक मुख्य बीमारी बताया और इसकी रोकथाम के लिए 3 ग्राम कार्बंडाजिम 50 प्रतिशत बेविस्टीन प्रतिकिलो बीज की दर से सूखा उपचरित करने पर जोर दिया। ऐसा करने से 80 से 95 प्रतिशत इस रोग पर काबू पाया जा सकता है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए बीजोपचार ही एकमात्र हल है। ग्वार की उन्नतशील किस्में एचजी 365, एचजी 563 व एचजी 2-20 ही बिजाई करने की सलाह दी। ये किस्में 85 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसके बाद आगामी फसल समय पर ली जा सकती है। ग्वार की बिजाई के लिए जून का दूसरा पखवाड़ा सबसे उचित बताया।
बाईट : डॉ. बीडी यादव ग्वार वैज्ञानिक।
Body:रिपोर्ट इन्द्रवेश दुहन भिवानी
दिनांक 18 मई।
विशेषज्ञों ने किसानों को बताए भूमि की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के टिप्स
जागरूकता शिविर आयोजित कर किसानों को बताए ग्वार फसल की पैदावार बढ़ाने के तरीके
ग्वार फसल की पैदावार बढ़ाने व किसानों को फसल के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इन दिनों किसान जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इन शिविरों के माध्यम से किसानों को ग्वार फसल की अधिक पैदावार लेने व जमीन की उर्वरा शक्ति बनाए रखने संबंधी जानकारी दी जा रही है। इसी के तहत भिवानी में हिंदुस्तान गम एंड कैमिकल्स के सहयोग से भिवानी जिला के विभिन्न गांवों में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में चौ. चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त ग्वार वैज्ञानिक डॉ. बीडी यादव ने किसानों को ग्वार फसल संबंधी जानकारी दी गई।
बता दें कि ग्वार बारानी क्षेत्रों की एक महत्वपूर्ण फसल है। खरीफ फसलों में यह एक मुख्य फसल मानी जाती है। यह सूखे को सहन करने में काफी क्षमता रखती है। भिवानी व दादरी जिले में ज्यादातर हल्की जमीन होने के कारण काफी किसान बाजरा की फसल लेकर अगली साल फिर बाजरा की फसल लेते है। अब कुछ साल से बीटी नरमा के अच्छे भाव होने के कारण इस क्षेत्र में नरमा का क्षेत्र धीरे-धीरे करके बढ़ता जा रहा है। काफी ऐसे किसान है, जो फसल चक्र बीटी नरमा के बाद बीटी नरमा ले रहे है, जससे भूमि की उपजाऊ शक्ति घटती जा रही है और भूमि में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है। जिसके कारण इन फसलों पैदावार में कमी होती जा रही है।
किसानों को संबोधित करते हुए डॉ. बीडी यादव ने कहा कि ग्वार एक दलहनी फसल होने के नाते वायुमंडी से नाईट्रोजन लेकर पौधों को देती है तथा फसल पकने पर इसके पत्ते झडक़र जमीन पर गिकर जैविक खाद का काम करते हैं। ग्वार, बाजरा व ग्वार नरमा के फसल चक्र को अपनाने पर इन फसलों की पैदावार काफी अच्छी मिलती है और जमीन की उर्वाशक्ति भी बनी रहती है। इसीलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि बाजरा व नरमा को ग्वार के फसल चक्र में अवश्य रखें। इसके साथ-साथ डॉ. यादव ने किसानों को बताया कि ग्वार की अच्छी पैदावार लेने के लिए अपने खेतों में गोबर की तैयार खाद अवश्य डालें, इससे खेत की उर्वाशक्ति भी बनी रहेगी और पैदावार भी अधिक मिलेगी। इस प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए ग्वार विशेषज्ञ ने उखेड़ा रोग को ग्वार फसल की एक मुख्य बीमारी बताया और इसकी रोकथाम के लिए 3 ग्राम कार्बंडाजिम 50 प्रतिशत बेविस्टीन प्रतिकिलो बीज की दर से सूखा उपचरित करने पर जोर दिया। ऐसा करने से 80 से 95 प्रतिशत इस रोग पर काबू पाया जा सकता है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए बीजोपचार ही एकमात्र हल है। ग्वार की उन्नतशील किस्में एचजी 365, एचजी 563 व एचजी 2-20 ही बिजाई करने की सलाह दी। ये किस्में 85 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसके बाद आगामी फसल समय पर ली जा सकती है। ग्वार की बिजाई के लिए जून का दूसरा पखवाड़ा सबसे उचित बताया।
बाईट : डॉ. बीडी यादव ग्वार वैज्ञानिक।
Conclusion:रिपोर्ट इन्द्रवेश दुहन भिवानी
दिनांक 18 मई।
विशेषज्ञों ने किसानों को बताए भूमि की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के टिप्स
जागरूकता शिविर आयोजित कर किसानों को बताए ग्वार फसल की पैदावार बढ़ाने के तरीके
ग्वार फसल की पैदावार बढ़ाने व किसानों को फसल के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इन दिनों किसान जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इन शिविरों के माध्यम से किसानों को ग्वार फसल की अधिक पैदावार लेने व जमीन की उर्वरा शक्ति बनाए रखने संबंधी जानकारी दी जा रही है। इसी के तहत भिवानी में हिंदुस्तान गम एंड कैमिकल्स के सहयोग से भिवानी जिला के विभिन्न गांवों में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में चौ. चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त ग्वार वैज्ञानिक डॉ. बीडी यादव ने किसानों को ग्वार फसल संबंधी जानकारी दी गई।
बता दें कि ग्वार बारानी क्षेत्रों की एक महत्वपूर्ण फसल है। खरीफ फसलों में यह एक मुख्य फसल मानी जाती है। यह सूखे को सहन करने में काफी क्षमता रखती है। भिवानी व दादरी जिले में ज्यादातर हल्की जमीन होने के कारण काफी किसान बाजरा की फसल लेकर अगली साल फिर बाजरा की फसल लेते है। अब कुछ साल से बीटी नरमा के अच्छे भाव होने के कारण इस क्षेत्र में नरमा का क्षेत्र धीरे-धीरे करके बढ़ता जा रहा है। काफी ऐसे किसान है, जो फसल चक्र बीटी नरमा के बाद बीटी नरमा ले रहे है, जससे भूमि की उपजाऊ शक्ति घटती जा रही है और भूमि में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है। जिसके कारण इन फसलों पैदावार में कमी होती जा रही है।
किसानों को संबोधित करते हुए डॉ. बीडी यादव ने कहा कि ग्वार एक दलहनी फसल होने के नाते वायुमंडी से नाईट्रोजन लेकर पौधों को देती है तथा फसल पकने पर इसके पत्ते झडक़र जमीन पर गिकर जैविक खाद का काम करते हैं। ग्वार, बाजरा व ग्वार नरमा के फसल चक्र को अपनाने पर इन फसलों की पैदावार काफी अच्छी मिलती है और जमीन की उर्वाशक्ति भी बनी रहती है। इसीलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि बाजरा व नरमा को ग्वार के फसल चक्र में अवश्य रखें। इसके साथ-साथ डॉ. यादव ने किसानों को बताया कि ग्वार की अच्छी पैदावार लेने के लिए अपने खेतों में गोबर की तैयार खाद अवश्य डालें, इससे खेत की उर्वाशक्ति भी बनी रहेगी और पैदावार भी अधिक मिलेगी। इस प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए ग्वार विशेषज्ञ ने उखेड़ा रोग को ग्वार फसल की एक मुख्य बीमारी बताया और इसकी रोकथाम के लिए 3 ग्राम कार्बंडाजिम 50 प्रतिशत बेविस्टीन प्रतिकिलो बीज की दर से सूखा उपचरित करने पर जोर दिया। ऐसा करने से 80 से 95 प्रतिशत इस रोग पर काबू पाया जा सकता है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए बीजोपचार ही एकमात्र हल है। ग्वार की उन्नतशील किस्में एचजी 365, एचजी 563 व एचजी 2-20 ही बिजाई करने की सलाह दी। ये किस्में 85 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसके बाद आगामी फसल समय पर ली जा सकती है। ग्वार की बिजाई के लिए जून का दूसरा पखवाड़ा सबसे उचित बताया।
बाईट : डॉ. बीडी यादव ग्वार वैज्ञानिक।
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