अंबाला: महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित भगतराम शुक्ला ने बचपन में आजाद भारत का सपना देखा. उसी सपने को सच करने के लिए उन्होंने शिक्षा को अपना हथियार बनाया. आज भले ही पंडित भगतराम शुक्ला इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके घर में लगी आजादी के दिनों की वो तस्वीरें उनके अतुल्नीय योगदान की कहानी बयां करती हैं. ईटीवी भारत की टीम अंबाला पहुंची और पंडित भगतराम शुक्ला के पोते आनंद मोहन शुक्ला से बात की. आनंद मोहन शुक्ला से सुनिए उनके दादा के संघर्ष की कहानी.
पिता की मौत के बाद शुरू हुआ संघर्षों भरा सफर...
पंडित भगतराम शुक्ला जलंधर के रसड़ा गांव के रहने वाले थे. उनके पिताजी नाथुराम शुक्ला ने 1857 की क्रांति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. क्रांति के उस दौर में अंग्रेजों ने नाथुराम शुक्ला को इतनी यातनाएं दी कि 1901 में उनकी मौत हो गई. पिता की मौत के बाद शुरू हुआ 13 साल के पंडित भगतराम शुक्ला का संघर्षों भरा सफर...