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बुढ़ापे की मार, पेंशन तक को लाचार, अधिकारी सुनते नहीं 'सरकार'

अंबाला: लोकसभा चुनाव से अब तक बुढ़ापा पेंशन के लिए किसी भी बुजूर्ग को पंजीकृत नहीं किया गया था. अब जिला समाज कल्याणकारी अधिकारी सुरजीत कौर ने जिले के सभी ब्लॉकों के बुजुर्गों को बुलाया था.

'बुढ़ापा पेंशन के लिए क्या-क्या झेल रहे हैं बुजुर्ग, अधिकारी है कि सुनते ही नहीं'
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Published : Jun 20, 2019, 6:45 PM IST

Updated : Jun 20, 2019, 7:30 PM IST

'चिलचिलाती धूप में बुजुर्ग हो रहे हैं परेशान'
जिले भर के बुजूर्ग आज सुबह तकरीबन 6:00 बजे से ही दफ्तर के बाहर आना शुरू हो गए. आलम यह है कि इतनी भारी तादात में आये बुजुर्गों के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. जिसके चलते बुजुर्गों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

बुढ़ापा पेंशन के लिए बुजुर्ग को हो रही है भारी परेशानी, देखिए ईटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट

बुजुर्गों ने बताया कि, पहले तो फोन करके बुलाया जाता है. उसके बाद यहां पर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई. जिसकी अधिकारियों से जान पहचान है वो तो अंदर जा रहे हैं और जिनकी जान पहचान नहीं है वो बाहर कड़कड़ाती धूप में बैठे रहे.

सुनने वाला है कोई नहीं है- बुजुर्ग
इसके इलावा बुजुर्गों ने आरोप लगाया कि, उनके कागजात तीन महीने पहले से ही दफ्तर के अधिकारियों के पास हैं, लेकिन किसी ना किसी वजह से बुढ़ापा पेंशन की अर्जी को रद्द कर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान तो नेता बड़े बड़े वायदे करते है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है जो हम झेल रहे है. बुजुर्गों का कहना है कि प्रशासन को चाहिए था कि दो-दो ब्लॉक के बुजुर्गों को अलग-अलग दिन बुलाए. जिससे कुछ तो सहुलियत होती.

'चिलचिलाती धूप में बुजुर्ग हो रहे हैं परेशान'
जिले भर के बुजूर्ग आज सुबह तकरीबन 6:00 बजे से ही दफ्तर के बाहर आना शुरू हो गए. आलम यह है कि इतनी भारी तादात में आये बुजुर्गों के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. जिसके चलते बुजुर्गों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

बुढ़ापा पेंशन के लिए बुजुर्ग को हो रही है भारी परेशानी, देखिए ईटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट

बुजुर्गों ने बताया कि, पहले तो फोन करके बुलाया जाता है. उसके बाद यहां पर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई. जिसकी अधिकारियों से जान पहचान है वो तो अंदर जा रहे हैं और जिनकी जान पहचान नहीं है वो बाहर कड़कड़ाती धूप में बैठे रहे.

सुनने वाला है कोई नहीं है- बुजुर्ग
इसके इलावा बुजुर्गों ने आरोप लगाया कि, उनके कागजात तीन महीने पहले से ही दफ्तर के अधिकारियों के पास हैं, लेकिन किसी ना किसी वजह से बुढ़ापा पेंशन की अर्जी को रद्द कर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान तो नेता बड़े बड़े वायदे करते है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है जो हम झेल रहे है. बुजुर्गों का कहना है कि प्रशासन को चाहिए था कि दो-दो ब्लॉक के बुजुर्गों को अलग-अलग दिन बुलाए. जिससे कुछ तो सहुलियत होती.

Intro:बुढ़ापा पेंशन लगवाने के लिए वुजुर्गो को झेलनी पड़ रही है अधिकारियों की मनमानी।


Body:बता दे कि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर लगाई गई आचार सहिता के बाद से लेकर अब तक सरकार द्वारा वुजुर्गो की सामाजिक सुरक्षा को लेकर चलाई जा रही बुढ़ापा पेंशन में किसी भी वुजूर्ग को पंजीकृत नही किया गया था जिसके चलते जिला समाज कल्याणकारी अधिकारी सुरजीत कौर ने आज जिले के सभी ब्लॉकों के वुजुर्गो को पेंशन लगवाने और उससे सम्बंदित समस्यों के निपटारे के लिए बुलाया था।

जिसके चलते जिले भर के वुजूर्ग आज सुबह तकरीबन 6:00 बजे से ही दफ्तर के बाहर आना शुरू हो गए।

आलम यह था कि इतनी भारी तादात में आये वुजुर्गो के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नही की गई थी जिसके चलते वुजुर्गो को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

वुजुर्गो ने बताया कि पहले तो हमे यह फ़ोन करके बुलाया जाता है उसके बाद यहा पर किसी तरह की कोई व्यवस्था नही की गई थी। जिसकी अधिकारियों से जानपहचान वह तो अंदर चले जा रहे है और जिनकी जानपहचान नही है वह अभी भी बाहर कड़कड़ाती धूप में बैठे है।

इसके इलावा वुजुर्गो ने आरोप लगाया कि हमारे सारे कागजात तीन महीने पहले से ही दफ्तर के अधिकारियों के पास है लेकिन किसी ना किसी कारण से हमारी बुढ़ापा पेंशन की अर्जी को रद्द कर दिया जा रहा है।

उन्हीने कहा कि चुनावो के दौरान तो नेता बड़े बड़े वायदे करते है लेकिन जमीनी हकीकत यह है जो हम झेल रहे है।

वुजुर्गो ने कहा कि इन्हें चाहीये था कि दो दो ब्लॉक के वुजुर्गो को अलग अलग दिन पर बुलाना चाहीये था जिस वज़ह से कुछ तो व्यवस्था होती।

इतनी गर्मी में हम इतने घंटो से अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे है लेकिन ना तो पानी की व्यवस्था है।

बाइट वुजूर्ग


Conclusion:
Last Updated : Jun 20, 2019, 7:30 PM IST
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