अंबालाः हरियाणा के माथे पर कलंक है कुड़ीमार का. कन्या भ्रूण हत्या का. घट रही बेटियों की संख्या का. इस अन्याय से हर कोई त्रस्त है. सरकार, समाज और खुद बेटियां. जब बीजेपी सरकार सत्ता में आई तो जोर-शोर से बेटियों को बचाने, उन्हें पढ़ाने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए तमाम कदम उठाने का दम भरा गया.
बेटियां बोझ नहीं होती. इस सोच को हर मां बाप के जेहन में उतारने की कोशिश हुई और इसी को आगे बढ़ाते हुए हरियाणा सरकार ने बहुउद्देशीय मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना पर काम किया. बेटियों के पैदा होते ही उसकी शादी के चिंता में डूब जाने वाले परिवारों को सरकार ने राहत दी और यही वजह थी कि मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के जरिए लड़कियों की शादी के लिए सरकार 11,000 रुपये से लेकर 51, 000 रुपये की धनराशि शगुन के तौर पर देना शुरु किया. ये राशि सरकार अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग, निराश्रित महिला की बेटी की शादी, अनाथ लड़कियों की शादी और विधवा की बेटी की शादी के लिए दी जाती है.
अब क्योंकि मनोहर सरकार के कार्यकाल के 5 साल पूरे होने वाले हैं. ऐसे में ये जानना और समझना बेहद जरुरी है कि जिस दावे और वादे के साथ विवाह शगुन योजना की शुरुआत की गई उस पर धरातल पर कितनों को फायदा हुआ. ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले जिला कल्याणकारी दफ्तर पहुंची जहां पर उन्होंने जिला कल्याणकारी अधिकारी कमल कुमार धीमान से बात की और उनसे ये जानने की कोशिश की कि आखिर इस योजना के तहत अंबाला जिले में कितनी राशि और कितने लाभार्थियों को इसका फायदा मिल चुका है.
जिला कल्याणकारी अधिकारी कमल कुमार धीमान ने बताया की पहले ये योजना इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी विवाह शगुन योजना के नाम से थी और वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से इस योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना रख दिया गया. उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 से लेकर अभी तक कुल 9, 943 लाभार्थियों को इसका लाभ मिल चुका है जिसके तहत 28, 60, 54, 000 विभाग ने जारी किए हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिल सके इसके लिए सबडिवीजन स्तर पर तहसील वेलफेयर अधिकारी गांव-गांव जाकर सरपंचों से मिलकर इस योजना के बारे में अधिक से अधिक लोगों को अवगत करवाते हैं.
अधिकारी ने तो अपने आंकड़ें पेश कर दिए पर लोगों की क्या राय है ये जानना सबसे जरूरी था. इसलिए ईटीवी भारत की टीम इस बात की पड़ताल करने निकली कि आखिरकार कितने लोगों को इस योजना के बारे में पता है और असल में कितनों को इसका फायदा मिल चुका है. इसके लिए ईटीवी भारत की टीम अंबाला शहर की बाल्मीकि समाज की बकरा मंडी पहुंचे और वहां पर लोगों से ये जानने की कोशिश की कि उन्हें इस योजना के बारे में जानकारी है या नहीं और यदि है तो इसका लाभ उन्हें मिला या नहीं.
हमारी पड़ताल में सामने आया कि किसी को योजना की जानकारी नहीं. किसी को योजना का लाभ लेने के लिए लंबी चौड़ी प्रक्रिया ने रुला दिया तो किसी ने तंग आग योजना का फॉर्म ही फाड़ दिया. मतबल समझे आप, यहां भी काम लालफीताशाही का है. यहां जाओ वहां जाओ इससे दस्तखत कराओ उससे दस्तखत कराओ. सरकारी तंत्र का यही रोना है. हमारे रियलिटी चेक में लोगों ने खुद ही बयां किया कि वास्तव में बेटियों के बेहतरी के लिए शुरु की गई इस योजना का लाभ कितना उन्हें मिला पा रहा है. बाकि आप अपनी समझ से सारी सच्चाई समझ सकते हैं.