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कोरोना काल में अंबाला में 4 हजार लोगों ने कराई नसबंदी - अंबाला राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम नसबंदी

कोरोना काल में भी सरकार द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम सफल रहा. स्वास्थ्य विभाग को दिए गए टारगेट के अनुसार 3,840 की नसबंदी करन थी जिसको विभाग ने आसानी से पूरा कर लिया. इस दौरान लोगों के कोरोना टेस्ट करने के बाद ही उनकी सर्जरी की जा रही थी.

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कोरोना काल में भी सफल रहा राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम
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Published : Dec 2, 2020, 5:27 PM IST

Updated : Dec 2, 2020, 6:58 PM IST

अंबाला: देश की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण पाने और जनता को फायदा पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनेक प्रकार के कार्यक्रम चलाएं जा रहे हैं जिसमें से एक राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम है. लेकिन कोरोना काल में इस कार्यक्रम पर कितना प्रभाव पड़ा और इस दौरान कितनी संख्या में लोगों ने इसका फायदा उठाया है, वो जानने के लिए ईटीवी भारत ने अंबाला का रूख किया.

हमारी पड़ताल में सामने आया की इस वर्ष राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को 3,840 लोगों की नसबंदी का आंकड़ा दिया गया था, जिसे इन अधिकारियों ने बखूबी पूरा किया है. तो वहीं इस वर्ष भी सरकार द्वारा चलाए गए इस कार्यक्रम का कई लोगों ने फायदा भी उठाया है.

कोरोना काल में भी सफल रहा राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम

नसबंदी कराने में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या बेहद कम

वहीं इस वर्ष जनवरी से लेकर अब तक 8,300 नसबंदी की जा चुकी है, जिनमें से 8,270 महिलाएं और मात्र 30 पुरुष शामिल हैं. वहीं कोरोना काल में भी पूरी सावधानी बरते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को जागरुक करने के लिए पखवाड़े लगाए गए. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा कंडोम, गर्भधारण नहीं होने वाली दवाई और अबो्र्ट करने वाली दवाइयां मुफ्त में जिले के हर स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध करवाई जाती है.

राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत पुरुषों की काफी कम भागीदारी देखी गई जिसको लेकर डॉक्टर्स का मानना है की समाज में शर्म के कारण और परिवार के दबाव की वजह से वो आगे नहीं आना चाहतें हैं.

कोरोना काल में भी सफल रहा राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम

गौरतलब है की कोरोना काल के दौरान हर किसी के मन में संक्रमण के फैलने का डर बना रहता है और इस समय डॉक्टर्स भी लोगों के संपर्क में आने से बचते है लेकिन राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम को संचालित करने वाली डॉक्टर शालिनी से जब हमने मुलाकात की तो उनका कहना था की कोरोना संकट के दौरान पहले लोगों के सैंपल लिए गए और फिर उसके बाद बिना किसी घबराहट के उनकी टीम ने लोगों की सर्जरी की.

बता दें कि सरकार द्वारा चलाई गई इस मुहिम के अंतर्गत पुरुष नसबंदी स्वीकारक को 2000 रुपये और पुरुष नसबंदी प्रेरक को 300रुपये सरकार द्वारा दिए जाते हैं, तो वहीं महिला नसबंदी स्वीकारक को 1400 रुपये और महिला नसबंदी प्रेरक को भी 300 रुपये दिए जाते हैं. इसके बावजूद जिले में अधिकतर नसबंदी महिलाओं द्वारा करवाई जाती है. क्यों कि आज भी सामाजिक बुराइयां पुरुषों को आगे आने से रोकती हैं.

ये भी पढ़िए: कैथल: लोगों की जिंदगी पर भारी फैक्ट्रियों से निकलने वाला कैमिकल, पर्यावरण में घुल रहा है जहर

खैर कोरोना काल के दौरान भी सरकार द्वारा चलाया जा रहा राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम सफल रहा और स्वास्थ्य विभाग का मानना है की वो इस बार पुछले वर्ष के आंकड़ों को बड़ी आसानी से पूरा कर लेंगे.

अंबाला: देश की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण पाने और जनता को फायदा पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनेक प्रकार के कार्यक्रम चलाएं जा रहे हैं जिसमें से एक राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम है. लेकिन कोरोना काल में इस कार्यक्रम पर कितना प्रभाव पड़ा और इस दौरान कितनी संख्या में लोगों ने इसका फायदा उठाया है, वो जानने के लिए ईटीवी भारत ने अंबाला का रूख किया.

हमारी पड़ताल में सामने आया की इस वर्ष राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को 3,840 लोगों की नसबंदी का आंकड़ा दिया गया था, जिसे इन अधिकारियों ने बखूबी पूरा किया है. तो वहीं इस वर्ष भी सरकार द्वारा चलाए गए इस कार्यक्रम का कई लोगों ने फायदा भी उठाया है.

कोरोना काल में भी सफल रहा राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम

नसबंदी कराने में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या बेहद कम

वहीं इस वर्ष जनवरी से लेकर अब तक 8,300 नसबंदी की जा चुकी है, जिनमें से 8,270 महिलाएं और मात्र 30 पुरुष शामिल हैं. वहीं कोरोना काल में भी पूरी सावधानी बरते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को जागरुक करने के लिए पखवाड़े लगाए गए. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा कंडोम, गर्भधारण नहीं होने वाली दवाई और अबो्र्ट करने वाली दवाइयां मुफ्त में जिले के हर स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध करवाई जाती है.

राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत पुरुषों की काफी कम भागीदारी देखी गई जिसको लेकर डॉक्टर्स का मानना है की समाज में शर्म के कारण और परिवार के दबाव की वजह से वो आगे नहीं आना चाहतें हैं.

कोरोना काल में भी सफल रहा राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम

गौरतलब है की कोरोना काल के दौरान हर किसी के मन में संक्रमण के फैलने का डर बना रहता है और इस समय डॉक्टर्स भी लोगों के संपर्क में आने से बचते है लेकिन राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम को संचालित करने वाली डॉक्टर शालिनी से जब हमने मुलाकात की तो उनका कहना था की कोरोना संकट के दौरान पहले लोगों के सैंपल लिए गए और फिर उसके बाद बिना किसी घबराहट के उनकी टीम ने लोगों की सर्जरी की.

बता दें कि सरकार द्वारा चलाई गई इस मुहिम के अंतर्गत पुरुष नसबंदी स्वीकारक को 2000 रुपये और पुरुष नसबंदी प्रेरक को 300रुपये सरकार द्वारा दिए जाते हैं, तो वहीं महिला नसबंदी स्वीकारक को 1400 रुपये और महिला नसबंदी प्रेरक को भी 300 रुपये दिए जाते हैं. इसके बावजूद जिले में अधिकतर नसबंदी महिलाओं द्वारा करवाई जाती है. क्यों कि आज भी सामाजिक बुराइयां पुरुषों को आगे आने से रोकती हैं.

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खैर कोरोना काल के दौरान भी सरकार द्वारा चलाया जा रहा राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम सफल रहा और स्वास्थ्य विभाग का मानना है की वो इस बार पुछले वर्ष के आंकड़ों को बड़ी आसानी से पूरा कर लेंगे.

Last Updated : Dec 2, 2020, 6:58 PM IST
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