करनाल: शादी केवल दुल्हन और दूल्हे का मिलन नहीं, बल्कि उन लोगों की आजीविका का स्रोत भी है, जो शादी के जरिए अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से अब शादी समारोह नहीं हो रहे. अगर कहीं शादी हो भी रही है तो उसमें गिने चुने लोग ही शामिल हो रहे हैं. जिसकी वजह से शादी समारोह में पर निर्भर रहने वाले लोगों पर गहरा असर पड़ा है.
पंडित विश्वनाथ के मुताबिक लॉकडाउन के बाद सभी शादियां स्थगित हो गई हैं. जिसकी वजह से उनके ऊपर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से अब उनको शादियों में नहीं बुलाया जा रहा, क्योंकि शादियां हो नहीं रही. पहले लगभग 5 से 10 शादियां या हवन यज्ञ 1 महीने में उनके पास आ जाते थे, लेकिन अब सब बंद पड़ा है.
सिर्फ पंडित ही नहीं बल्कि कैमरा पर्सन और प्रिंटिंग प्रेस का काम कर रहे लोगों पर इसका असर पड़ा है. पहले महीने महीने में उनके पास महीने में लगभग 20 से 25 ऑर्डर कार्ड छपवाने के लिए आते थे. लेकिन अब वो अपने वर्करों की मासिक वेतन देने में भी असमर्थ है. प्रिंटिंग प्रेस में काम कर रहे विक्रम ने कहा कि उनका काम अब खत्म होने की कगार पर है.
मैरिज पैलेस संचालकों पर आर्थिक संकट
कोरोना महामारी के बीच देश जब अनलॉक हुआ तो दोबारा से शादी समारोह का आयोजन नियमों के तहत शुरू हुआ. जिससे मैरिज पैलेस संचालकों को मुनाफा होना शुरू हुआ था. लेकिन अब फिर से प्रदेश में लॉकडाउन लगने के बाद उनका काम ठप हो गया है. पहले मैरिज पैलेस में 5 से 10 शादी एक महीने में हो जाती थी. जब से कोरोना की दूसरी लहर आई है तब से सब बंद पड़ा है.
फोटोग्राफर और प्रिंटिंग प्रेस संचालकों का काम ठप
मैरिज पैलेस के मालिक बाबूराम टाया ने कहा कि जब से कोविड-19 भारत में आया है. तब से उनके व्यापार काम धंधे पर बुरा असर पड़ा है. अब कोविड-19 की वजह से कोई नहीं आ रहा. जिसकी वजह से उनका काम खत्म होने की कगार पर है. नौबत ये आ गई है कि छोटे-मोटे कार्यक्रम के लिए भी लोग बाहर नहीं निकल रहे. अगर कोई कार्यक्रम कर रहा है तो अपने घर पर ही परिवार के सदस्यों के साथ कर रहे हैं.
कोरोना संक्रमण पर लगाम लग सके इसलिए सरकार ने शादी जैसे आयोजनों पर पाबंदी लगाई है. हालांकि जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति ले चुके विवाह समारोह के लिए शर्तों के साथ छूट है. इसके लिए इंडोर कार्यक्रम के लिए 30 और आउटडोर के लिए 50 व्यक्तियों से अधिक का कार्यक्रम नहीं किया जा सकेगा. इतने छोटे कार्यक्रम के लोग ना तो मैरिज पैलेस बुक करवा रहे हैं. ना ही कार्ड छपवा रहे हैं. यहां तक की फोटोग्राफी का काम भी खुद ही कर लेते हैं. जिसकी जवह से शादी से जुड़े लोगों की रोजी पर अब आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.