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अंबाला: करगिल युद्ध में हीरो रही 17 स्क्वाड्रन को मिलेगी राफेल की कमान

हरियाणा के अंबाला में मंगलवार को एक बेहद अहम कार्यक्रम होने जा रहा है. इस कार्यक्रम में राफेल को लेकर 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन का पुनर्गठन किया जाएगा. भारतीय वायु सेना के इस खास कार्यक्रम में खुद वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ शामिल होंगे.

राफेल विमान
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Published : Sep 10, 2019, 9:40 AM IST

Updated : Sep 10, 2019, 9:54 AM IST

अंबाला: देश में आने वाले कुछ ही समय में लड़ाकू विमान राफेल दस्तक देगा. पूरा देश राफेल को लेकर काफी उत्साहित है. फ्रांस से खरीदे जाने वाले लड़ाकू विमान राफेल की तैनाती अंबाला वायुसेना स्टेशन पर की जाएग. राफेल को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं.

करगिल युद्ध की हीरो '17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन'
राफेल को उड़ाने के लिए करगिल युद्ध की हीरो '17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन' की एक बार फिर बहाली की गई है. इसके लिए मंगलवार को यहां पर रेसुरेक्शन कार्यक्रम होगा. कार्यक्रम में वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ भी आएंगे. बता दें कि 3 साल पहले स्क्वाड्रन को वायुसेना ने भंग कर दिया गया था.

इसी महीने से मिलेंगे राफेल
करगिल युद्ध की हीरो '17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन' राफेल उड़ाने वाली पहली स्क्वाड्रन होगी. एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन अनुपम बैनर्जी ने बताया कि अंबाला में गोल्डन एरो स्क्वाड्रन को तैनात किया जा रहा है. फ्रांस से 36 रफाल खरीदे जा रहे हैं. इन्हें पाक सीमा के पास अंबाला और चीन सीमा के पास हाशीमारा एयरबेस पर तैनात किया जाना है. आपको ये भी बता दें कि फ्रांस से आने वाले राफेल इसी महीने से मिलने लगेंगे.

पढ़िए स्क्वाड्रन का बहादुरी से भरा इतिहास
17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन का इतिहास वीर गाथाओं से भरा है. 1999 के युद्ध के दौरान ऑपरेशन सफेद सागर के समय स्क्वाड्रन बठिंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात थी, तब एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ विंग कमांडर थे और इसी स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर थे. 27 मई 1999 को स्क्वाड्रन के लीडर अजय आहूजा मिशन पर थे, जब एक स्टिंगर मिसाइल ने उनके विमान को निशाना बनाया. स्क्वाड्रन लीडर आहूजा विमान से इजेक्ट कर गए थे, मगर वे शहीद हो गए थे. उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित भी किया गया था.

अब राफेल विमानों का संचालन इस स्क्वाड्रन को ही सौंपा जाएगा, जिससे एयरफोर्स में इस स्क्वाड्रन की भूमिका सबसे अहम होगी. राफेल के लिए अंबाला में अधिक चौड़ा रनवे, हैंगर और अन्य प्रबंध किए गए हैं.

क्या है राफेल की खासियत ?
राफेल एक बहुत ही उपयोगी लड़ाकू विमान है. इसके एक विमान को बनाने में 70 मिलियन की लागत आती है. इस विमान की लंबाई 15.27 मीटर होती है और इसमें एक या दो पायलट ही बैठ सकते हैं.

इस विमान की खासियत है कि ये ऊंचे इलाकों में भी लड़ने में माहिर है. राफेल एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है. ये अधिकतम 24,500 किलोग्राम का भार उठाकर उड़ने में सक्षम है. इसकी अधिकतम रफ्तार 2200 से 2500 किमी. प्रतिघंटा है और इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है.

ये भी पढ़ें- भारतीय वायुसेना में 20 साल बाद शुरू होगा 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन, जानें मकसद

अंबाला: देश में आने वाले कुछ ही समय में लड़ाकू विमान राफेल दस्तक देगा. पूरा देश राफेल को लेकर काफी उत्साहित है. फ्रांस से खरीदे जाने वाले लड़ाकू विमान राफेल की तैनाती अंबाला वायुसेना स्टेशन पर की जाएग. राफेल को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं.

करगिल युद्ध की हीरो '17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन'
राफेल को उड़ाने के लिए करगिल युद्ध की हीरो '17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन' की एक बार फिर बहाली की गई है. इसके लिए मंगलवार को यहां पर रेसुरेक्शन कार्यक्रम होगा. कार्यक्रम में वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ भी आएंगे. बता दें कि 3 साल पहले स्क्वाड्रन को वायुसेना ने भंग कर दिया गया था.

इसी महीने से मिलेंगे राफेल
करगिल युद्ध की हीरो '17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन' राफेल उड़ाने वाली पहली स्क्वाड्रन होगी. एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन अनुपम बैनर्जी ने बताया कि अंबाला में गोल्डन एरो स्क्वाड्रन को तैनात किया जा रहा है. फ्रांस से 36 रफाल खरीदे जा रहे हैं. इन्हें पाक सीमा के पास अंबाला और चीन सीमा के पास हाशीमारा एयरबेस पर तैनात किया जाना है. आपको ये भी बता दें कि फ्रांस से आने वाले राफेल इसी महीने से मिलने लगेंगे.

पढ़िए स्क्वाड्रन का बहादुरी से भरा इतिहास
17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन का इतिहास वीर गाथाओं से भरा है. 1999 के युद्ध के दौरान ऑपरेशन सफेद सागर के समय स्क्वाड्रन बठिंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात थी, तब एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ विंग कमांडर थे और इसी स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर थे. 27 मई 1999 को स्क्वाड्रन के लीडर अजय आहूजा मिशन पर थे, जब एक स्टिंगर मिसाइल ने उनके विमान को निशाना बनाया. स्क्वाड्रन लीडर आहूजा विमान से इजेक्ट कर गए थे, मगर वे शहीद हो गए थे. उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित भी किया गया था.

अब राफेल विमानों का संचालन इस स्क्वाड्रन को ही सौंपा जाएगा, जिससे एयरफोर्स में इस स्क्वाड्रन की भूमिका सबसे अहम होगी. राफेल के लिए अंबाला में अधिक चौड़ा रनवे, हैंगर और अन्य प्रबंध किए गए हैं.

क्या है राफेल की खासियत ?
राफेल एक बहुत ही उपयोगी लड़ाकू विमान है. इसके एक विमान को बनाने में 70 मिलियन की लागत आती है. इस विमान की लंबाई 15.27 मीटर होती है और इसमें एक या दो पायलट ही बैठ सकते हैं.

इस विमान की खासियत है कि ये ऊंचे इलाकों में भी लड़ने में माहिर है. राफेल एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है. ये अधिकतम 24,500 किलोग्राम का भार उठाकर उड़ने में सक्षम है. इसकी अधिकतम रफ्तार 2200 से 2500 किमी. प्रतिघंटा है और इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है.

ये भी पढ़ें- भारतीय वायुसेना में 20 साल बाद शुरू होगा 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन, जानें मकसद

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Last Updated : Sep 10, 2019, 9:54 AM IST
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