ETV Bharat / jagte-raho

चंडीगढ़: डीएसपी आत्महत्या मामले में पत्रकार सतीश कुमार को कोर्ट से अग्रिम जमानत - डीसीपी विक्रम कपूर आत्महत्या

डीएसपी आत्महत्या मामले में ओरिजनल सुसाईड नोट देखकर हाईकोर्ट के जस्टिस ने जांच अधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या जांच कैसे होती है पुलिस यह भूल गई है.

डीएसपी आत्महत्या मामले में पत्रकार सतीश कुमार को कोर्ट से अग्रिम जमानत
author img

By

Published : Sep 5, 2019, 4:54 PM IST

चंडीगढ़: जिले के डीसीपी विक्रम कपूर आत्महत्या मामले में शक के दायरे में आए पत्रकार को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है. डीएसपी का सुसाइड नोट लेकर हाईकोर्ट पहुंचे अधिकारी को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस शायद जांच का तरीका भूल गई है. हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि सुसाइड लेटर को फॉरेंसिक लैब क्यों नहीं भेजा गया और लिखावट की जांच अभी तक क्यों नहीं कराई गई.

डीएसपी आत्महत्या मामले में पत्रकार सतीश कुमार को कोर्ट से अग्रिम जमानत

मामले की सुनवाई आरंभ होते ही जांच अधिकारी ने डीसीपी का ओरिजनल सुसाईड नोट हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया और कहा कि इसमें पत्रकार सतीश कुमार का नाम कहीं भी नहीं है. ओरिजनल सुसाईड नोट देखकर हाईकोर्ट के जस्टिस ने जांच अधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या जांच कैसे होती है पुलिस यह भूल गई है. कोर्ट ने कहा इसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाना चाहिए.

कोर्ट ने जब कहा कि पुलिस के पास डीसीपी की पर्सनल डायरी मौजूद है फिर भी इस पत्र पर लिखाई किसकी है यह जांचने का प्रयास नहीं किया गया. इस पर जांच अधिकारी ने कुछ नहीं कहा. पत्रकार ने याचिका में कहा था कि उसका डीसीपी की आत्महत्या के केस से कोई लेना देना नहीं है. सतीश ने का कि डीसीपी विक्रम कपूर ने अपने पत्र में भी उसका नाम नही लिखा जबकि उसने इंस्पेक्टर अब्दुल का नाम लिखा है.

ये भी पढ़ें: जन आशीर्वाद यात्रा पर योगेंद्र यादव का निशाना, कहा- 20 फुट ऊपर से नहीं मिलता है जनता का आशीर्वाद

गौरतलब है डीसीपी ने पुलिस लाइन स्थित अपने आवास पर अपने सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. घटना की जांच कर रही पुलिस को घटनास्थल से एक नोट मिला था जिसमें लिखा हुआ था कि वो इंस्पेक्टर अब्दुल की वजह से ऐसा कर रहे हैं.

चंडीगढ़: जिले के डीसीपी विक्रम कपूर आत्महत्या मामले में शक के दायरे में आए पत्रकार को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है. डीएसपी का सुसाइड नोट लेकर हाईकोर्ट पहुंचे अधिकारी को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस शायद जांच का तरीका भूल गई है. हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि सुसाइड लेटर को फॉरेंसिक लैब क्यों नहीं भेजा गया और लिखावट की जांच अभी तक क्यों नहीं कराई गई.

डीएसपी आत्महत्या मामले में पत्रकार सतीश कुमार को कोर्ट से अग्रिम जमानत

मामले की सुनवाई आरंभ होते ही जांच अधिकारी ने डीसीपी का ओरिजनल सुसाईड नोट हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया और कहा कि इसमें पत्रकार सतीश कुमार का नाम कहीं भी नहीं है. ओरिजनल सुसाईड नोट देखकर हाईकोर्ट के जस्टिस ने जांच अधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या जांच कैसे होती है पुलिस यह भूल गई है. कोर्ट ने कहा इसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाना चाहिए.

कोर्ट ने जब कहा कि पुलिस के पास डीसीपी की पर्सनल डायरी मौजूद है फिर भी इस पत्र पर लिखाई किसकी है यह जांचने का प्रयास नहीं किया गया. इस पर जांच अधिकारी ने कुछ नहीं कहा. पत्रकार ने याचिका में कहा था कि उसका डीसीपी की आत्महत्या के केस से कोई लेना देना नहीं है. सतीश ने का कि डीसीपी विक्रम कपूर ने अपने पत्र में भी उसका नाम नही लिखा जबकि उसने इंस्पेक्टर अब्दुल का नाम लिखा है.

ये भी पढ़ें: जन आशीर्वाद यात्रा पर योगेंद्र यादव का निशाना, कहा- 20 फुट ऊपर से नहीं मिलता है जनता का आशीर्वाद

गौरतलब है डीसीपी ने पुलिस लाइन स्थित अपने आवास पर अपने सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. घटना की जांच कर रही पुलिस को घटनास्थल से एक नोट मिला था जिसमें लिखा हुआ था कि वो इंस्पेक्टर अब्दुल की वजह से ऐसा कर रहे हैं.

Intro:एंकर -
फरीदाबाद के डीसीपी विक्रम कपूर आत्महत्या मामले में शक के दायरे में आए पत्रकार सतीश कुमार को हाईकोर्ट ने राहत देते हुए अग्रिम जमानत दे दी है । इस दौरान डीसीपी का सुसाईड नोट लेकर हाईकोर्ट पहुंचे अधिकारी को कोर्ट ने जमकर फटकार भी लगाई । हाईकोर्ट ने कहा पुलिस शायद जांच का तरीका भूल गई है । हाई कोर्ट ने सवाल उठाया कि सुसाइड लैटर को फॉरेंसिक लैब क्यों नही भेजा गया , हाई कोर्ट ने कहा अभी तक लिखावट की जांच के लिए भी प्रयास क्यो नही किये गए है । Body:फरीदाबाद के डीसीपी विक्रम कपूर आत्महत्या मामले में शक के दायरे में आए पत्रकार को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है । हाई कोर्ट में इस माम्चले कि सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी को डीसीपी का लैटर लेकर आना भारी पड़ गया और हाईकोर्ट ने उसको जमकर फटकार लगाई । मामले की सुनवाई आरंभ होते ही जांच अधिकारी ने डीसीपी का ओरिजनल सुसाईड नोट हाईकोर्ट के समक्ष पेश कर कहा इसमें पत्रकार सतीश कुमार का नाम नहीं है । ओरिजनल सुसाईड नोट देखकर हाईकोर्ट के जस्टिस ने जांच अधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या जांच कैसे होती है पुलिस यह भूल गई है । कोर्ट ने कहा इसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाना चाहिए । पुलिस के पास डीसीपी की पर्सनल डायरी मौजूद है फिर भी इस पत्र पर लिखाई किसकी है यह जांचने का प्रयास किया गया इसपर जांच अधिकारी की तरफ से कुछ नही कहा गया । Conclusion:डीसीपी विक्रम कपूर आत्महत्या मामले में शक के दायरे में आए पत्रकार सतीश कुमार को हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत की मांग स्वीकार कर ली है । पत्रकार ने याचिका में कहा था कि उसका डीसीपी की आत्महत्या के केस से कोई लेना देना नहीं है । डीसीपी विक्रम कपूर ने अपने पत्र में भी उसका नाम नही लिखा जबकि उसने इंस्पेक्टर अब्दुल का नाम लिखा है । गौरतलब है डीसीपी ने पुलिस लाइन स्थित अपने आवास पर अपने सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी । घटना की जांच कर रही पुलिस को घटनास्थल से एक नोट मिला था जिसमें लिखा हुआ था कि वो इंस्पेक्टर अब्दुल की वजह से ऐसा कर रहे है । वहीं इस मामले की जांच में एक रिपोर्टर का नाम भी सामने आया था ।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.